सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर इलाहाबादिया के विवादित टिप्पणी मामले में जल्द सुनवाई से किया इंकार

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया और समय रैना के विवादित टिप्पणी मामले में जल्द सुनवाई की अपील को खारिज कर दिया।

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center opposed plea demanding lifetime disqualification of convicted representatives

विवादित टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से किया इंकार। Photograph: (IANS)

नई दिल्ली: यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया ने 'इंडियाज गॉट लेटेंट' शो में की गई विवादित टिप्पणी के बाद उत्पन्न कानूनी समस्याओं के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर कर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एकसाथ जोड़ने और किसी भी तरह की बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इंकार कर दिया।

विवाद की पृष्ठभूमि

यह विवाद 8 फरवरी 2025 को स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना के शो 'इंडियाज गॉट लेटेंट' के एक एपिसोड से शुरू हुआ, जिसमें रणवीर ने एक प्रतिभागी से उनके माता-पिता के बारे में अभद्र सवाल पूछे थे। इस घटना के बाद, देशभर में रणवीर के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें मुंबई, असम और अन्य राज्यों की पुलिस शामिल हैं। मुंबई की खार पुलिस ने रणवीर को पूछताछ के लिए समन भी जारी किया है। 

विवाद बढ़ने पर, शो के होस्ट समय रैना ने अपने यूट्यूब चैनल से 'इंडियाज गॉट लेटेंट' के सभी वीडियो हटा दिए हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए कहा, "मेरा मकसद सिर्फ लोगों को हंसाना और खुशी देना था। मैं सभी एजेंसियों के साथ पूरी तरह सहयोग करूंगा ताकि उनकी जांच सही तरीके से हो सके।" 

कानूनी कार्यवाही और आगे की दिशा

रणवीर इलाहाबादिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एकसाथ जोड़ने का अनुरोध किया है, ताकि उन्हें अलग-अलग अदालतों में उपस्थित होने की आवश्यकता न पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर दो-तीन दिनों में सुनवाई करने का आश्वासन दिया है। 

इस बीच, असम पुलिस की एक टीम भी मुंबई में है और उन्होंने महाराष्ट्र साइबर सेल के अधिकारियों से मुलाकात की है। समय रैना को भी असम पुलिस ने समन जारी किया है, जिसके तहत उन्हें पेश होने के लिए कहा गया है। 

इस विवाद ने यूट्यूब कंटेंट की सीमाओं और जिम्मेदारियों पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।

यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।

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