Homeमनोरंजनऑस्कर 2025: 'अनोरा' ने जीता बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब, 'द ब्रूटलिस्ट' को...मनोरंजनऑस्कर 2025: ‘अनोरा’ ने जीता बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब, ‘द ब्रूटलिस्ट’ को मिला बेस्ट एक्टरBy bharatbMarch 3, 2025022ShareFacebookTwitterPinterestWhatsApp Tagsऑस्कर पुरस्कारShareFacebookTwitterPinterestWhatsApp Previous articleIRCTC और IRFC को मिला ‘नवरत्न’ का दर्जा, जानें क्या हैं इसके मायने?Next articleबेटी की खैरियत जानने कोर्ट पहुंचा पिता, सरकार बोली- शहजादी खान को पिछले महीने ही दी जा चुकी है फांसीbharatbhttps://bolebharat.com/RELATED ARTICLES मनोरंजनसलमान खान को क्या सच में पाकिस्तान ने आतंकवादी घोषित कर दिया है, क्या है सच्चाई? October 26, 2025 मनोरंजनमशहूर अभिनेता सतीश शाह का 74 साल की उम्र में निधन, किडनी संबंधी बीमारी से थे पीड़ित October 25, 2025 मनोरंजन‘थामा’ और ‘स्त्री 2’ के संगीतकार सचिन सांघवी गिरफ्तार, यौन शोषण का आरोप October 24, 2025 LEAVE A REPLY Cancel replyComment:Please enter your comment! Name:*Please enter your name here Email:*You have entered an incorrect email address!Please enter your email address here Website: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Most Popularपाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियों पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियों ने भारत को लेकर क्या कहा है? October 26, 2025 सलमान खान को क्या सच में पाकिस्तान ने आतंकवादी घोषित कर दिया है, क्या है सच्चाई? October 26, 2025 IB ने ACIO ग्रेड-II के पदों पर निकाली भर्ती, जल्दी करें आवेदन October 26, 2025 कुरनूल हादसा: बस से टकराने वाली बाइक पर दो लोग सवार थे, एक की एक्सीडेंट से पहले ही हो गई थी मौत October 26, 2025 Load moreRecent Comments R G on कहानीः इरेज़र डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र RAVI KHAVSE on अखिलेश यादव के फेसबुक अकाउंट ब्लॉक-बहाल होने में सरकार ने किसी भी भूमिका से किया इंकार Dinesh Bhatt on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद Rakesh Bihari on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद डॉ उर्वशी on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद पंकज मित्र on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद Rohini Aggarwal on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता मनोज मोहन on कहानीः याद Alka Tiwari on स्मरण: आलोचना की निगाह से दूर एक लेखक और एक राजा के दिल मे गरीबों के लिए दर्द Kavita kavita on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… प्रकाश on कहानीः याद Neelam shanker on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद Kavita Kavita on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र K. Manjari Srivastava on दृश्यम: कमालुद्दीन नीलू, इब्सन और नेटिव पियर Shampa Shah on दृश्यम: कमालुद्दीन नीलू, इब्सन और नेटिव पियर Kavita on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… Kavita Kavita on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र नमिता on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा डॉ उर्वशी on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र SAHIL RAJ on पुस्तक समीक्षा: हो सके तो इन किसानों को बचाइए राकेश बिहारी on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता राकेश बिहारी on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Navin Goela on बोलते बंगले: शास्त्री जी क्यों नहीं रहे तीन मूर्ति रवि रंजन on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता पंखुरी सिन्हा on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Pramod Kumar barnwal on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Madhu Kankariya on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता