नई दिल्ली: नेशनल कमीशन फॉर वीमेन (NCW) ने शुक्रवार को उल्लू ऐप के अधिकारियों से सख्त सवाल पूछते हुए कहा, “अगर यही कंटेंट आपके अपने बच्चों तक पहुंचे तो क्या होगा?” दरअसल, यह सवाल विवादित शो ‘हाउस अरेस्ट’ को लेकर उठाया गया, जिसे भारी विरोध के बाद हटाना पड़ा है।

अश्लील कंटेंट दिखाने के आरोप में फंसे उल्लू ऐप के सीईओ अविनाश दूगर और ऑपरेशन प्रमुख प्रियंका चौरसिया शुक्रवार को राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष पेश हुए थे। हालांकि शो के होस्ट एजाज खान गैरहाजिर रहे।

एजाज खान को दूसरा नोटिस भेजा गया

आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने एजाज खान की अनुपस्थिति पर भी कड़ी नाराजगी जताई। आयोग ने गैरहाजिरी को गंभीरता से लेते हुए एजाज खान को दूसरा नोटिस जारी किया है और अब उन्हें समन पुलिस के जरिए सौंपने का निर्णय लिया गया है।

रहाटकर ने उल्लू ऐप के सीईओ अविनाश दुगड़ और संचालन प्रमुख प्रियंका चौरसिया को बताया कि एक कंटेंट निर्माता के रूप में उनकी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि मनोरंजन और शोषण के बीच की रेखा धुंधली हो गई है, और ‘हाउस अरेस्ट’ इस शोषण का स्पष्ट उदाहरण है, जिसमें महिलाओं के उत्पीड़न को ‘मनोरंजन’ के नाम पर पेश किया गया है।

उल्लू ऐप के कंटेंट पर आयोग ने जताई नाराजगी

आयोग ने उल्लू ऐप के समग्र कंटेंट प्रोफाइल पर गहरी चिंता व्यक्त की, जिसमें अंतरंग रिश्तों को महिमामंडित करने, महिलाओं की वस्तुकरण और सॉफ्ट पॉर्नोग्राफी जैसे तत्व पाए गए हैं — जो युवाओं और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।

रहाटकर ने प्लेटफॉर्म को निर्देश दिया कि वह ऐसे कंटेंट के सामाजिक प्रभावों पर एक विस्तृत मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करे और यह भी बताए कि वह भविष्य में इस तरह की यौन रूप से स्पष्ट और शोषणकारी सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए कौन-से सुधारात्मक कदम उठाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि ‘हाउस अरेस्ट’ ही नहीं, बल्कि उल्लू ऐप के कई अन्य शो गंभीर रूप से आपत्तिजनक और महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले हैं, जिसके चलते आयोग कड़े नियामक कदमों पर विचार कर रहा है, जिनमें प्लेटफॉर्म पर पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश भी शामिल है।

'जिम्मेदार व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराना जारी रखेगा'

महिला आयोग ने यह भी संकेत दिया कि उल्लू ऐप द्वारा इस तरह की सामग्री का जानबूझकर वितरण, कानूनी प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन माना जा सकता है। आयोग ने दोहराया कि मीडिया में महिलाओं के शोषण और वस्तुकरण के प्रति उसकी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति है।

रहाटकर ने कहा कि आयोग महिलाओं और बच्चों की गरिमा व सुरक्षा को ठेस पहुंचाने वाले किसी भी कंटेंट को लेकर प्लेटफॉर्म और जिम्मेदार व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराना जारी रखेगा।