मुंबई: हिंदी फिल्मों के अपने जमाने के सुपरस्टार अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार का निधन हो गया है। वे 87 वर्ष के थे। उन्होंने मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। देशभक्ति फिल्मों के निर्माण के लिए खास तौर पर जाने जाने वाले मनोज कुमार अपने फैंस के बीच 'भारत कुमार' के नाम से भी खासे लोकप्रिय रहे हैं।
मनोज कुमार की देशभक्ति विषयों पर कई फिल्मों सुपरहिट रही थीं। इसमें 'शहीद' (1965), 'उपकार' (1967), 'पूरब और पश्चिम' (1970), और 'रोटी कपड़ा और मकान' (1974), 'क्रांति' जैसी फिल्में शामिल हैं। इनमें कई फिल्मों का उन्होंने खुद निर्देशन किया था।
भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए मनोज कुमार को 1992 में पद्मश्री और 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपनी देशभक्ति फिल्मों के अलावा मनोज कुमार ने कई और हिट फिल्मों में मुख्य भूमिका में नजर आए। इसमें 'हरियाली और रास्ता', 'वो कौन थी', 'हिमालय की गोद में', 'दो बदन', 'पत्थर के सनम', 'नील कमल' जैसी बेहतरीन फिल्में शामिल हैं।
#WATCH | Mumbai | On the demise of Indian actor and film director Manoj Kumar, Filmmaker Ashoke Pandit says, "...The legendary Dadasaheb Phalke award winner, our inspiration and the 'lion' of the Indian film industry, Manoj Kumar Ji is no more...It is a great loss to the industry… pic.twitter.com/vWL7FRI44D
— ANI (@ANI) April 4, 2025
एबटाबाद में जन्म, 1957 में फिल्मों में डेब्यू
मनोज कुमार का जन्म 1937 में ब्रिटिशकालीन भारत के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के एक छोटे से शहर एबटाबाद (अब खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) में हुआ था। उनका असल नाम हरिकृष्णन गोस्वामी था।
1947 में भारत के बंटवारे के बाद मनोज कुमार के अभिभावकों ने भारत में रहने का फैसला किया। इसी के साथ वह दिल्ली आ गए। बताया जाता है कि वह दिलीप कुमार और अशोक कुमार की फिल्मों को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक्टर बनने का निश्चय कर लिया। इसी के साथ ही उन्होंने अपना नाम हरिकिशन से बदलकर मनोज कुमार रख लिया।
मनोज कुमार ने 1957 में फिल्म 'फैशन' से फिल्मों में डेब्यू किया। इसके बाद उन्हें कांच की गुड़िया (1961) में ब्रेक मिला, जिसमें उन्होंने सईदा खान के साथ अभिनय किया।
उनकी थ्रिलर गुमनाम (1965) साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक रही थी, जिसने तब 2.6 करोड़ रुपये कमाए। उसी साल, कुमार ने 'शहीद' में अभिनय किया, जिसमें स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के जीवन को दर्शाया गया था।
पूरब और पश्चिम (1970) और क्रांति (1981) जैसी देशभक्ति फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के बाद फैंस ने उन्हें 'भारत कुमार' उपनाम दिया। उन्होंने फिल्म शोर (1972) का निर्देशन और इसमें अभिनय भी किया। कुमार ने 1975 में अपनी फिल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता।
भाजपा में 2004 में शामिल हुए मनोज कुमार
2004 के आम चुनावों से पहले कुमार आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे।
मनोज कुमार के निधन पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए एक्स पर लिखा, 'मनोज कुमार जी एक बहुमुखी अभिनेता थे, जिन्हें हमेशा देशभक्ति से भरी फिल्में बनाने के लिए याद किया जाएगा। 'भारत कुमार' के नाम से मशहूर, 'उपकार', 'पूरब और पश्चिम' जैसी फिल्मों में उनके अविस्मरणीय अभिनय ने हमारी संस्कृति को समृद्ध किया है और उन्हें पीढ़ियों से लोगों का प्रिय बनाया है। उनकी सिनेमाई विरासत उनके कामों के जरिए जिंदा रहेगी। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।'