निर्देशक रंजीत बालकृष्णन । Photograph: (IANS)
बेंगलुरुः कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मलयालम फिल्म निर्देशक रंजीत बालकृष्णन के खिलाफ दर्ज यौन शोषण के एक मामले को खारिज कर दिया। यह मामला एक उभरते एक्टर द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसमें फिल्म निर्माता पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।
न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की एकल पीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब निर्देशक के वकील ने शिकायत में कई स्पष्ट तथ्यों की गलतियां अदालत के सामने रखीं।
शिकायत में गंभीर विरोधाभास
निर्देशक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रभुलिंग नवदगी ने अदालत को बताया कि यह मामला पूरी तरह से झूठा है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 2012 में बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास स्थित ताज होटल में रंजीत ने उनके साथ जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए और उनकी नग्न तस्वीरें लेकर केरल की एक अभिनेत्री को भेज दीं।
लेकिन वकील ने बताया कि जिस होटल में घटना के होने का दावा किया गया है, वह 2016 में खुला, जबकि शिकायत में 2012 की घटना का जिक्र है। यानी घटना उस होटल के अस्तित्व में आने से चार साल पहले की बताई गई, जो पूरी तरह असंभव है।
पुलिस ने इन धाराओं में किया था मामला दर्ज
पुलिस ने रंजीत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन कृत्य) और आईटी एक्ट 2000 की धारा 66(E) (निजी तस्वीरों का डिजिटल प्रसारण) के तहत मामला दर्ज किया था। इसके बाद फिल्म निर्माता ने एफआईआर रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया।
इससे पहले न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की पीठ ने इस मामले में आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा था कि शिकायत में कई गंभीर विसंगतियाँ हैं, और 12 साल की देरी से शिकायत दर्ज की गई है जिसका कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया।
हाईकोर्ट ने माना शिकायत झूठी
इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने माना कि यह मामला “झूठी शिकायत का स्पष्ट उदाहरण” है और इसे तुरंत खारिज किया जाना चाहिए। निर्देशक रंजीत ने पहले भी कहा था कि यह शिकायत बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य से की गई है।
गौरतलब है कि रंजीत बालकृष्णन मलयालम फिल्म उद्योग की उन कई हस्तियों में से एक हैं जिन पर हाल के वर्षों में, खासकर न्यायमूर्ति के. हेमा समिति रिपोर्ट के आने के बाद, यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगे थे।