Homeमनोरंजन5 साल से चला आ रहा झगड़ा खत्म, अब कंगना की फिल्म... मनोरंजन 5 साल से चला आ रहा झगड़ा खत्म, अब कंगना की फिल्म के लिए गीत लिखेंगे जावेद अख्तर! By bharatb February 28, 2025 0 39 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp Tagsकंगना रनौतजावेद अख़्तर Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp Previous articleवैश्विक दबाव के बीच भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट, सेंसेक्स 1,400 अंक से अधिक लुढ़काNext articleडॉक्टर्स, बेड और स्टाफ की कमी, अब सेहत पर भी घिरे केजरीवाल; सीएजी के खुलासे bharatbhttps://bolebharat.com/ RELATED ARTICLES मनोरंजन ‘5 रुपये के पाउच में केसर कैसे?’, सलमान खान को कंज्यूमर कोर्ट ने भेजा नोटिस, किसने की शिकायत? November 5, 2025 मनोरंजन असमः जुबीन गर्ग की मौत मामले में सीएम का बड़ा खुलासा, कहा- मैं इसे दुर्घटना नहीं कहूंगा, यह हत्या है November 3, 2025 मनोरंजन शाह बानो पर आधारित फिल्म ‘हक’ के खिलाफ अदालत में याचिका, परिवार रिलीज पर रोक की क्यों कर रहा मांग? November 3, 2025 LEAVE A REPLY Cancel reply Comment: Please enter your comment! Name:* Please enter your name here Email:* You have entered an incorrect email address! Please enter your email address here Website: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Most Popular Bihar Election: पहले चरण में 121 सीटों पर कल मतदान, कहां किससे मुकाबला; किन दिग्गजों की किस्मत का होगा फैसला? November 5, 2025 ‘ट्रंप-मोदी के बीच लगातार बातचीत’, व्हाइट हाउस के इसे खुलासे पर कांग्रेस ने पूछा- PM इसे स्वीकार क्यों नहीं करते? November 5, 2025 ‘5 रुपये के पाउच में केसर कैसे?’, सलमान खान को कंज्यूमर कोर्ट ने भेजा नोटिस, किसने की शिकायत? November 5, 2025 ट्रंप विरोधी जोहरान ममदानी बने न्यूयॉर्क के मेयर, पद हासिल करने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम November 5, 2025 Load more Recent Comments Kavita Kavita on भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक जीत के बहाने बात प्रेम, विवाह, आजादी और ‘इन सारे पाटन बीच’ ‘स्त्रियों’ की… योगेंद्र आहूजा on भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक जीत के बहाने बात प्रेम, विवाह, आजादी और ‘इन सारे पाटन बीच’ ‘स्त्रियों’ की… Jai Mala on कहानीः इरेज़र Jai Mala on कहानीः इरेज़र Jai Mala on कहानीः सोचनेवाला जीव Afzal on दृश्यम: लोक आस्थाओं का कांतारा डॉ उर्वशी on कथा प्रांतर-4: ‘कहे’ और ‘अनकहे’ के बीच पारिस्थितिक संवाद Anjani Kumar on अनिकेतः जो तुम आ जाते एक बार… प्रताप दीक्षित on कहानीः प्रायिकता का नियम R G on कहानीः इरेज़र डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र RAVI KHAVSE on अखिलेश यादव के फेसबुक अकाउंट ब्लॉक-बहाल होने में सरकार ने किसी भी भूमिका से किया इंकार Dinesh Bhatt on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद Rakesh Bihari on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद डॉ उर्वशी on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद पंकज मित्र on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद Rohini Aggarwal on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता मनोज मोहन on कहानीः याद Alka Tiwari on स्मरण: आलोचना की निगाह से दूर एक लेखक और एक राजा के दिल मे गरीबों के लिए दर्द Kavita kavita on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… प्रकाश on कहानीः याद Neelam shanker on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद Kavita Kavita on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र K. Manjari Srivastava on दृश्यम: कमालुद्दीन नीलू, इब्सन और नेटिव पियर Shampa Shah on दृश्यम: कमालुद्दीन नीलू, इब्सन और नेटिव पियर Kavita on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… Kavita Kavita on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र नमिता on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा डॉ उर्वशी on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र SAHIL RAJ on पुस्तक समीक्षा: हो सके तो इन किसानों को बचाइए राकेश बिहारी on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता राकेश बिहारी on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Navin Goela on बोलते बंगले: शास्त्री जी क्यों नहीं रहे तीन मूर्ति रवि रंजन on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता पंखुरी सिन्हा on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Pramod Kumar barnwal on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Madhu Kankariya on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता