'Janaki Vs State of Kerala' फिल्म से जुड़ा विवाद क्या है, सेंसर बोर्ड ने क्यों जताई आपत्ति? हाई कोर्ट में है मामला

मलयालम भाषा की फिल्म Janaki vs State Of Kerala पिछले सप्ताह सिनेमाघरों मे आने वाली थी। हालांकि, सेंसर बोर्ड की ओर से फिल्म में जानकी नाम के इस्तेमाल पर आपत्ति जताए जाने के बाद रिलीज को रोकना पड़ा।

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तिरुवनंतपुरम: 'जानकी Vs स्टेट ऑफ केरल' के निर्देशक प्रवीण नारायणन की पहली फिल्म इन दिनों विवादों में है। पूरा विवाद फिल्म के नाम को लेकर है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सेंसर बोर्ड ने नाम में बदलाव का सुझाव दिया है लेकिन फिल्म मेकर ने इससे इनकार किया है और मामला हाई कोर्ट में पहुंचा हुआ है, जहां इस पर सुनवाई भी हुई है।

मलयालम भाषा की फिल्म Janaki vs State Of Kerala पिछले सप्ताह सिनेमाघरों मे आने वाली थी। हालांकि, सेंसर बोर्ड की ओर से फिल्म में जानकी नाम के इस्तेमाल पर आपत्ति जताए जाने के बाद रिलीज को रोकना पड़ा। जानकी नाम दरअसल माता सीता का भी एक नाम है। फिल्म में अनुपमा परमेश्वरन मुख्य भूमिका में हैं, जिनके किरदार का नाम जानकी है। इस किरदार के साथ बलात्कार होता है और वो जो न्याय के लिए अदालत जाती है। पूरी फिल्म इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।

नाम में बदलाव नहीं करने को लेकर क्या बोले फिल्म मेकर

वेबसाइट ऑनमनोरमा डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार फिल्म के डायरेक्टर प्रवीण ने सेंसर बोर्ड द्वारा नाम में बदलाव की मांग को लेकर आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, 'हमने फिल्म को पांच भाषाओं में डब किया है। फिल्म में जानकी नाम 90 से ज्यादा बार बोला गया है। सभी कलाकारों को एक साथ लाकर अब अलग नाम डब करना बेहद मुश्किल है।'

प्रवीण ने कहा कि अगर फिल्म को 15 सदस्यों वाली रिविजन कमिटी- दो के पास भेजा जाता है तो फिल्म के रिलीज में और देरी होगी। उन्होंने कहा, 'सेंसर बोर्ड फिल्म को रिविजन कमिटी-2 के पास भेजने का सुझाव दे सकता है, जो एक समय लेने वाली प्रक्रिया है। पहली संशोधन समिति में नौ सदस्य थे। दूसरी संशोधन समिति में अभिनेताओं सहित 15 सदस्यों को एक साथ आकर फिल्म देखनी होगी और फैसला लेना होगा। इस प्रक्रिया में कम से कम तीन महीने लगने की संभावना है। इससे निर्माताओं को काफी नुकसान होगा।'

केरल हाई कोर्ट में हो रही मामले की सुनवाई

केरल हाई कोर्ट में पूरे मामले की सुनवाई पिछले हफ्ते शुक्रवार को हुई थी। प्रमाणन में देरी को लेकर फिल्म के प्रोडक्शन हाउस कॉसमॉस एंटरटेनमेंट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एन नागरेश ने कहा कि भारतीय सिनेमा में बिना किसी विवाद के पौराणिक नामों के इस्तेमाल का इतिहास रहा है।

उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा, 'हमारे पास सीता और गीता नाम की एक फिल्म है। जानकी सीता हैं। कुछ नहीं हुआ। कोई समस्या नहीं है। किसी को कोई शिकायत नहीं है। हमारे पास राम लखन नाम की एक फिल्म है। किसी को कोई शिकायत नहीं है। फिर जानकी के लिए शिकायत कैसे हो सकती है?' बताते चलें कि फिलहाल मामले पर कोर्ट की ओर से अभी कोई अंतिम फैसला नहीं आया है।

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