Father's Day Special: बॉलीवुड की चमकदार दुनिया में कुछ कहानियां ऐसी भी होती हैं, जो संघर्ष, सपनों और विरासत की नींव पर टिकी होती हैं। आज भी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे सितारे हैं, जिनकी पहचान न सिर्फ उनके हुनर की वजह से बनी है, बल्कि उनके पिता की मेहनत, दृष्टिकोण और दी गई विरासत की देन भी है। 

फादर्स डे के मौके पर नजर डालते हैं उन कुछ दिग्गज परिवारों पर, जहां फिल्मी सफर की शुरुआत पिता ने की और उस राह को उनके बच्चों ने और आगे बढ़ाया।

रोशन परिवार – संगीत से अभिनय तक की विरासत

रोशन 1948 में मुंबई आए और 'बावरे नैन', 'बरसात की रात', 'ममता' जैसी फिल्मों के ज़रिए शास्त्रीय और लोक संगीत को नई पहचान दी। उनके बेटे राकेश रोशन ने अभिनय और निर्देशन में नाम कमाया। ‘कहो ना प्यार है’ से लेकर ‘कृष’ तक, राकेश के निर्देशन में बनी अधिकतर फिल्मों का संगीत उनके भाई राजेश रोशन ने दिया। राकेश रोशन के बेटे ऋतिक रोशन, आज बॉलीवुड के सुपरस्टार हैं और बेटी सुनैना रोशन निर्माता के रूप में सक्रिय हैं।

 यश चोपड़ा – इमोशन्स और रोमांस का पर्याय

यश चोपड़ा ने 'धूल का फूल' और 'धर्मपुत्र' से निर्देशन की शुरुआत की, और फिर ‘दीवार’, ‘सिलसिला’, ‘चांदनी’ जैसी फिल्मों से हिंदी सिनेमा की परिभाषा बदल दी। उन्होंने 1973 में यशराज फिल्म्स की स्थापना की, जिसे आज उनके बेटे आदित्य चोपड़ा संभाल रहे हैं। ‘पठान’, ‘चक दे इंडिया’, ‘धूम’ और ‘सुलतान’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में इसी बैनर के तहत बनीं। छोटे बेटे उदय चोपड़ा भी कुछ समय के लिए अभिनय में सक्रिय रहे।

 सलीम खान – कलम से बदल दी किस्मत

सलीम खान ने अभिनय से शुरुआत की, लेकिन उन्हें पहचान मिली पटकथा लेखक के रूप में। ‘शोले’, ‘डॉन’, ‘जंजीर’ जैसी आइकॉनिक फिल्मों के लेखक रहे सलीम ने अपने बेटों – सलमान, अरबाज़ और सोहेल खान – को सशक्त विरासत दी, जिनमें से हर कोई इंडस्ट्री में किसी न किसी रूप में सक्रिय और सफल है।

 जावेद अख्तर – लेखन से लेकर गीतों तक की बेमिसाल विरासत

जावेद अख्तर ने लेखन में सलीम खान के साथ जोड़ी बनाकर ‘शक्ति’, ‘त्रिशूल’, ‘मशाल’ जैसी फिल्में लिखीं। फिर ‘लगान’, ‘कल हो ना हो’, ‘रॉक ऑन’ जैसे फिल्मों के गीत लिखे। उनके बच्चे – फरहान अख्तर (निर्देशक, अभिनेता, गायक) और जोया अख्तर (लेखिका, निर्देशक, निर्माता) – आज क्रिएटिव सिनेमा की पहचान हैं।

 अमिताभ बच्चन – संघर्ष से शिखर तक

अमिताभ बच्चन ने आवाज़ की दुनिया से शुरुआत की, और फिर ‘शोले’, ‘दीवार’, ‘डॉन’ जैसी फिल्मों में अभिनय से खुद को 'एंग्री यंग मैन' के रूप में स्थापित किया। 2000 के बाद उन्होंने ‘ब्लैक’, ‘पिंक’, ‘बदला’ जैसी फिल्मों से उम्र के पार जाकर अभिनय की नई परिभाषा गढ़ी। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका बेटा अभिषेक बच्चन आज उनके पदचिन्हों पर चल रहा है।