बेंगलुरु: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) केस के संबंध में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया। ऐसे में आने वाले दिनों में सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि इस बीच कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने संकेत दिया कि वह सीएम सिद्धारमैया का समर्थन करना जारी रखेगा और मामले को राजनीतिक रूप से लड़ेगा।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (AICC) के सूत्रों ने कहा कि सिद्धारमैया के खिलाफ मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है और राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुटबाजी और आपसी मतभेद के बावजूद सिद्धारमैया के साथ खड़े हैं। सूत्रों ने बताया कि सिद्धारमैया को सीएम पद छोड़ने के लिए कहने का कोई सवाल ही नहीं है। दूसरी ओर बीजेपी सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग कर रही है।
‘लोकसभा चुनाव के बाद बदली से परिस्थिति’
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने सिद्धारमैया के बचाव में कहा, ‘हम इससे राजनीतिक तौर पर लड़ेंगे। अब स्थिति भी अलग है। यह अब लोकसभा चुनाव से पहले की तरह नहीं है जब भाजपा हावी थी और विपक्ष को कमजोर देखा जा रहा था…वे अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर सकते थे। लेकिन अब परिस्थिति अलग है।’
वहीं, एक अन्य नेता ने कहा कि मामला दर्ज करने का समय विधानसभा चुनावों के मद्देनजर तय किया गया। उन्होंने कहा कि अभी हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव चल रहे हैं और झारखंड और महाराष्ट्र में भी कुछ दिनों में होने हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘यह कोई रहस्य नहीं है कि ईडी नॉनबायोलॉजिकल प्रधानमंत्री द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों पर उत्पीड़न, प्रतिशोध का एक साधन बन गया है। मई 2023 में कर्नाटक की जनता ने उन्हें बुरी तरह खारिज कर दिया और वह उस अपमान को नहीं भूले हैं। कांग्रेस का मानना है कि वह और उनकी ईडी जल्द ही पूरी तरह बेनकाब हो जाएगी। हमें डरने की कोई बात नहीं है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री निर्दोष साबित होंगे।’
सिद्धारमैया की पत्नी ‘मुडा’ के भूखंडों को वापस करने की पेशकश
इस बीच सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने मुडा को पत्र लिखकर उन्हें आवंटित 14 भूखंडों को वापस करने की पेशकश की है।
इस पर भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि वास्तव में यह पत्र मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस्तीफे का होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जांच से बचने के लिए यह पत्र लिखा गया है। जब कुछ गलत नहीं किया गया, तो भूखंडों को वापस क्यों किया जा रहा है। ये जगजाहिर है कि उन्होंने भ्रष्टाचार किया है। ईडी की कार्रवाई के बाद यह कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। जमीन घोटाला करना कांग्रेस का जन्मसिद्ध अधिकार बन चुका है।’
मुडा (MUDA) घोटाला क्या है?
कर्नाटक के मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) में विकास योजनाओं के दौरान खुद की जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत जमीन खोने वाले लोगों को विकसित भूमि का 50 फीसद हिस्सा देने की बात की गई थी। इसी वजह से आगे चलकर यह योजना 50:50 के नाम से मशहूर हुई। पूरा विवाद इसी 50 फीसद जमीन के अलॉटमेंट में धांधली को लेकर है।
सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती से जुड़ा जो मामला है, उसके केंद्र में मैसूर के केसारू में 3.16 एकड़ की एक जमीन है। इसे सिद्धारमैया की पत्नी के भाई मल्लिकार्जुनसामी ने 2010 में बतौर उपहार दिया था। मुडा द्वारा इस भूमि के अधिग्रहण के बाद पार्वती ने मुआवजे की मांग की और बाद में उन्हें इसके बदले 14 भूखंड आवंटित किए गए। बताया जाता है कि ये भूखंड अधिग्रहण किए गए मूल जमीन के मुकाबले काफी अधिक मूल्य वाले हैं।
कुल मिलाकर भाजपा ने दावा किया है कि सिद्धारमैया की पत्नी को उन इलाकों में जो वैकल्पिक भूखंड मिले, उनके सर्कल रेट काफी अधिक है। मामला तब सुर्खियों में आया जब मंजूनाथ स्वामी नाम के एक व्यक्ति ने मैसूरु के उपायुक्त को पत्र लिखकर केसारू गांव में स्थित भूखंड को अपनी पैतृक भूमि होने का दावा किया।
स्वामी ने दावा किया कि उनके चाचा देवराज ने धोखे से जमीन पर कब्जा कर लिया और इसे सिद्धारमैया के बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी को बेच दिया। हालांकि, सिद्धारमैया ने दावा किया है कि उनकी पत्नी को जमीन का हस्तांतरण कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार किया गया था। सिद्धारमैया ने ये भी भी कहा है कि 2021 में जब भाजपा सरकार सत्ता में थी, जब उनकी पत्नी को प्लॉट मिले थे।
आरोप ये भी हैं कि जब सिद्धारमैया के बहनोई ने 2004 में जमीन खरीदी थी तब MUDA पहले ही जमीन का अधिग्रहण कर चुका था। मल्लिकार्जुन पर कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों की मदद से जाली दस्तावेजों का उपयोग करके 2004 में ‘अवैध रूप से’ भूमि प्राप्त करने और फिर 2010 में बहन को दे दी।