नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे साइबर अपराध मामले में एक नई अभियोजन शिकायत दर्ज की है। एजेंसी की यह कार्रवाई तब सामने आई है जब हाल ही में पीएम मोदी ने अपने मासिक ‘मन की बात’ रेडियो संबोधन में इस स्कैम का जिक्र किया था और लोगों को इसके बारे में सतर्क रहने को कहा था।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एजेंसी ने कई पुलिस शिकायतों को आधार बनाते हुए मामला दर्ज किया है और इस तरह के धोखाधड़ी में शामिल आठ लोगों के एक गिरोह को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार आरोपियों में चरण राज सी, किरण एस के, शाही कुमार एम, सचिन एम, तमिलारासन, प्रकाश आर, अजित आर और अरविंदन शामिल हैं। इन्हें न्यायिक हिरासत में रखा गया है। आरोप है कि ये लोग 24 शेल कंपनियां भी चलाते थे जिसके जरिए पैसों की हेराफेरी होती थी।
इन लोगों पर अलग-अलग स्कैम के जरिए देश में 159 करोड़ रुपए के फ्रॉड करने का आरोप है। इन जालसाजों ने शेल कंपनियों के बैंक खातों से जुड़े सैकड़ों सिम कार्ड हासिल किए थे और उनका इस्तेमाल फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाने के लिए किया करते थे।
देश के कई राज्यों में बनाई गई थी शेल कंपनियां
न्यूज एजेंसी के अनुसार, शेल कंपनियां तमिलनाडु, कर्नाटक और अन्य राज्यों में पंजीकृत थीं जो अक्सर को-वर्किंग जगहों को अपने पते के रूप में इस्तेमाल करती थी। कंपनियों को पंजीकृत करने के लिए सरकारियों अधिकारो के सामने फर्जी बैंक खातों प्रसुतुत किए जाते थे।
स्कैमर फ्रॉड किए हुए पैसों को ट्रांसफर करने के लिए फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे। इन खातों में जैसे ही पैसे आते थे उन्हें क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाता था या फिर उसे विदेश भेज दिया जाता था।
जिसमें जमा पैसों को क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया गया और विदेश भेज दिया जाता है। जांच के दौरान सरकारी एजेंसी ने चेक बुक और संचार रिकॉर्ड सहित कई और सबूत भी जब्त किए हैं जिससे पता चलता है कि समूह साइबर अपराधों से धन शोधन में शामिल एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा था।
यही नहीं एक संदिग्ध की स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय घोटालेबाजों के साथ समन्वय करने, साइबरफॉरेस्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों के लिए बैंक खाते स्थापित करने में मदद करने जैसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का भी खुलासा हुआ है।
I4C ने क्या नया एडवाइजरी जारी की है
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने “डिजिटल अरेस्ट” को लेकर रविवार को नई एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि “वीडियो कॉल करने वाले लोग न तो पुलिस, सीबीआई, कस्टम अधिकारी और न ही कोई जज होते हैं।”
I4C ने लोगों से इस तरह से स्कैम में नहीं फंसने और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। इस तरह के स्कैम के बारे में राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करने या फिर www.cybercrime.gov.in पोर्टल पर शिकायत दर्ज करेने की सलाह दी है।