नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशख (एमडी) मनोज गौर को गिरफ्तार किया है। मनोज गौर की गिरफ्तारी 12,000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई है।
गौर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हिरासत में लिया गया था। जांचकर्ताओं द्वारा गौर पर घर खरीदने वालों से एकत्रित धन और हेराफेरी में संलिप्तता का आरोप लगाया गया था।
अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला जेपी समूह की कंपनियों – जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड और जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) से जुड़ी कथित बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है।
ED की जांच में क्या पता चला?
ईडी की यह जांच आवास परियोजनाओं से फंड डायवर्जन पर केंद्रित है। इसमें मुख्य रूप से वे हजारों घर खरीदार प्रभावित हैं जिन्होंने कंपनी के रियल एस्टेट उपक्रमों में निवेश किया था लेकिन उन्हें कभी फ्लैट पर कब्जा नहीं मिला।
ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग की यह जांच 2017 में घर खरीदारों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) पर आधारित है। इन प्राथमिकियों में जेपी ग्रुप पर आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और बेईमानी से प्रलोभन देने का आरोप लगाया गया था और दावा किया गया था कि आवास परियोजनाओं के लिए निवेशकों से एकत्रित धन का दुरुपयोग किया गया या उसे किसी दूसरी जगह भेज दिया गया।
जांच एजेंसी ईडी के मुताबिक, कथित धोखाधड़ी में जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स जैसी प्रमुख परियोजनाओं के लिए जुटाई गई धनराशि शामिल है। इसमें खरीदारों को घर देने का वादा किया गया था लेकिन वे कभी दिए नहीं गए। इनमें से कई फ्लैट 2010-11 में ही बिक गए थे लेकिन निर्माण में देरी और धन के कथित दुरुपयोग के कारण निवेशकों को वर्षों तक घर नहीं मिले।
अधिकारियों ने कहा कि प्रबंध निदेशक गौर ने कंपनी के प्रबंधन और वित्तीय निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जांच में घर खरीदारों के पैसे को समूह के अन्य उपक्रमों में लगाने के साक्ष्य सामने आए।
दिल्ली-एनसीआर समेत मुंबई में छापेमारी
इस मामले में जारी जांच के तहत ईडी ने दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और मुंबई में जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स से जुड़े 15 संबंधित ठिकानों पर छापे मारे। इन अभियानों के तहत एजेंसी ने 1.7 करोड़ रुपये कैश के साथ साथ प्रमोटरों, उनके परिवार के सदस्यों और संबंधित संस्थाओं से कई वित्तीय दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड्स और प्रॉपर्टी पेपर जब्त किए।
जांचकर्ताओं ने अन्य रियल एस्टेट कंपनियों के कार्यालयों की भी तलाशी ली जिनकी कथित तौर पर जेपी के साथ वित्तीय लेन-देन था। इनमें गौरसंस इंडिया प्राइवेट, गुलमोज होम्ज प्राइवेट और महागुन रियल एस्टेट प्राइवेट शामिल हैं।
ईडी ने कहा कि ज़ब्त की गई सामग्री की जाँच की जा रही है ताकि धन के लेन-देन का पता लगाया जा सके और धन के दुरुपयोग की पूरी सीमा का पता लगाया जा सके।
जेपी इंफ्राटेक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बड़े पैमाने पर एकीकृत आवास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण में शामिल शुरुआती निजी डेवलपर्स में से एक थी। हालांकि कंपनी गंभीर वित्तीय संकट में फंस गई जिसके कारण परियोजना के पूरा होने में देरी हुई और घर खरीदारों और ऋणदाताओं को भुगतान में चूक हुई।
साल 2017 में दिवाला एवं अक्षमता संहिता (IBC) के तहत दिवालियेपन की कार्यवाही में शामिल किया गया था। तब से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के माध्यम से इसके ऋण का समाधान करने के कई प्रयास किए गए हैं और कई डेवलपर्स और वित्तीय संस्थानों ने इसकी संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेने में रुचि व्यक्त की है।

