नई दिल्ली: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई-FSSAI) ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं ताकि लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुएं मिल सकें।
प्राधिकरण ने कहा है कि ऑनलाइन खरीदारी के माध्यम से ग्राहकों को जो खाद्य उत्पाद दिए जा रहे हैं, उनकी खराब होने की तिथि (एक्सपायरी डेट) से काफी पहले उन्हें ग्राहकों तक पहुंचा देना चाहिए।
अंग्रेजी वेबसाइट फर्स्टपोस्ट के अनुसार, यह निर्देश एफएसएसएआई के पास उपभोक्ताओं की लगातार बढ़ती शिकायतों के बाद जारी किए गए हैं। इन शिकायतों में ग्राहकों ने बताया कि उन्हें ऑनलाइन खरीदे गए कई उत्पाद उनकी खराब होने की तिथि (एक्सपायरी डेट) के करीब ही मिलते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरे हो सकते हैं।
इन निर्देशों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्राहकों को सुरक्षित और टिकाऊ खाद्य उत्पाद मिलें, जिनकी गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहे। एफएसएसएआई के इस कदम से ई-कॉमर्स कंपनियों पर ग्राहकों को गुणवत्तायुक्त वस्तुएं देने का दबाव बनेगा।
लगातार शिकायत के बाद FSSAI ने लिया एक्शन
इस सिलसिले में एफएसएसएआई ने मंगलवार को ई-कॉमर्स कंपनियों के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की है। इस बैठक में एफएसएसएआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गंजी कमला वी राव ने विशेष रूप से जोर देकर कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों को ऐसे खाद्य उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित करनी चाहिए जिनकी शेल्फ लाइफ 45 दिनों से कम न हो।
राव ने यह भी निर्देश दिया कि जब उपभोक्ता को उत्पाद दिया जाए, तब उसकी शेल्फ लाइफ में कम से कम 30 प्रतिशत या 45 दिन की अवधि बाकी होनी चाहिए। ऐसा होने से ग्राहक को बेहतर गुणवत्ता का उत्पाद मिलेगा और उन्हें बार-बार जल्दी खराब होने वाले उत्पादों की शिकायत नहीं करनी पड़ेगी।
खबर के रिपोर्ट के मुताबिक, मान लीजिए आप ऑनलाइन दही का एक पैकेट ऑर्डर करते हैं, जिसकी शेल्फ लाइफ आमतौर पर 10 दिन होती है। जिस एफबीओ (खाद्य व्यवसाय संचालक) से आपने दही मंगवाया है, उसे सुनिश्चित करना होगा कि देते समय दही की शेल्फ लाइफ में कम से कम तीन दिन बचे हों।
अगर आप ओट्स, ड्राई फ्रूट्स या ऐसे खाद्य पदार्थ मंगवाते हैं जिनकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है, तो एफएसएसएआई के निर्देश के अनुसार, आपूर्ति के समय उस उत्पाद में कम से कम 45 दिन की शेल्फ लाइफ बची होनी चाहिए।
बिना प्रमाण के कोई भी दावे न किए जाने के भी निर्देश
एफएसएसएआई ने कंपनियों को यह भी स्पष्ट निर्देश दिया कि बिना उचित प्रमाण के किसी भी प्रकार के विज्ञापन या दावे करने से बचें। इससे ग्राहकों तक केवल सही जानकारी पहुंचेगी और भ्रामक दावों से उपभोक्ताओं के साथ धोखा नहीं होगा।
राव ने कंपनियों को आगाह करते हुए कहा कि अनावश्यक और असत्यापित दावों से ग्राहक भ्रमित हो सकते हैं, जो न केवल उनके अधिकारों का हनन करता है बल्कि कंपनी की साख को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
रिपोर्ट में एफएसएसएआई के अफसरों के हवाले से लिखा गया है कि बैठक के दौरान राव ने ई-कॉमर्स कंपनियों को यह भी हिदायत दी कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर दी गई जानकारी और उत्पाद पर दिए गए लेबल में समानता रखें।
किसी भी उत्पाद के बारे में दी गई जानकारी, जैसे कि उसकी शेल्फ लाइफ, उनमें शामिल तत्व, गुणवत्ता और अन्य सभी दावे उत्पाद के लेबल पर लिखी गई जानकारी के अनुसार ही होने चाहिए। एफएसएसएआई के लेबलिंग और प्रदर्शन विनियमों का पालन करना भी इन कंपनियों के लिए अनिवार्य होगा।
एफएसएसएआई ने यह भी कहा कि ऐसे कदम उठाने से ग्राहक भरोसा बढ़ेगा और उपभोक्ताओं को उत्पादों के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी। ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा और गुणवत्ता की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर केवल ऐसे खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराए जाएं जो उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और लंबे समय तक टिकाऊ हों।
एफएसएसएआई का यह कदम उन मामलों में भी उपयोगी साबित होगा, जब उपभोक्ता किसी खास खाद्य उत्पाद के खराब होने या गुणवत्ता पर सवाल उठाते हैं। एफएसएसएआई का मानना है कि इस दिशा में सख्ती से पालन करवाने से उपभोक्ता संतुष्ट रहेंगे और ऑनलाइन खरीदारी के प्रति उनका विश्वास और बढ़ेगा।