नई दिल्लीः भारत के बाद अब तालिबानी शासन वाला अफगानिस्तान भी पाकिस्तान को जल-आपूर्ति रोकने पर विचार कर रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के लिए दोहरी चुनौती हो सकती है। रूसी समाचार एजेंसी आरटी के मुताबिक, तालिबान सरकार ने कुनार नदी तुरंत बांध बनाने का आदेश दिया है।
अफगानिस्तान की तरफ से यह कदम पाकिस्तान के साथ डूरंड रेखा पर बढ़ते सैन्य तनाव के बीच उठाया गया है। डूरंड रेखा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2,640 किमी लंबी रेखा है जो दोनों देशों को अलग करती है।
अफगानी विदेश मंत्रालय ने की पुष्टि
आरटी के मुताबिक, अफगानी विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि कुनार नदी पर बनने वाले बांध का उद्देश्य पाकिस्तान को की जाने वाली जल आपूर्ति को सीमित करना है।
सीमा पर दोनों देशों के बीच बीती 11 अक्टूबर को कई मोर्चों पर हिंसक घटनाएं हुईं थीं। ये घटनाएं कथित तौर पर पाकिस्तान द्वारा काबुल और पक्तिका प्रांत में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे सशस्त्र समूहों को निशाना बनाकर हमले किए।
इन झड़पों में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ और झड़पों में टैंक, हथियार और आईईडी का इस्तेमाल किया गया। ऐसे मं पाकिस्तान के लिए पानी को लेकर यह दोहरी चुनौती हो सकती है क्योंकि इससे पहले भारत ने सिंधु जल संधि समझौते के कुछ हिस्सों को रद्द कर दिया था। इसके तहत सिंधु नदी से पाकिस्तान को दिए जाने वाले पानी पर रोक लगाई थी।
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भारत की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ यह कार्रवाई पहलगाम हमले के जवाब में की गई थी। गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों के ऊपर आतंकी हमला हुआ था। इसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि साल 1960 में हुई थी। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इसके तहत सिंधु नदी और उसकी छह प्रमुख सहायक नदियों (पांच बाएं किनारे से और एक दाएं किनारे से) के उपयोग को नियंत्रित करती है।
भारत-पाक के बीच महत्वपूर्ण जल संधि
इस संधि ने लंबे समय से भारत और पाकिस्तान के बीच जल आपूर्ति प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे पहले साल 1965 और 1971 और कारगिल युद्ध के समय भी यह संधि जारी रही थी।
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पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सेनाओं ने 6 और 7 मई की दरम्यानी रात पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर लांच किया था। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकी मारे गए थे। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले के प्रयास किए गए थे जिसका भारतीय सेना ने तत्परता से जवाब दिया।
दोनों देशों के बीच सीमा पर 3 दिनों तक तनाव जारी रहा और 10 मई को युद्धविराम पर सहमति बनी।

