वाशिंगटनः ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (BBC) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुकदमा करने के संकेत दिए हैं। बीबीसी के खिलाफ यह कार्रवाई ट्रंप के भ्रामक भाषण संपादन को लेकर हो सकती है। ट्रंप ने हालांकि मंगलवार, 11 नवंबर को फॉक्स न्यूज से बातचीत में कानूनी कार्रवाई की घोषणा नहीं की। उन्होंने कहा कि बीबीसी पर मुकदमा करना उनका ‘दायित्व’ है।
गौरतलब है कि बीबीसी पर ट्रंप के एक भाषण को गलत तरीके से एडिट करने का आरोप लगा था। इसके बाद इसके महानिदेशक (डायरेक्टर-जनरल) टिम डेवी ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा बीबीसी की न्यूज सीईओ डेबोरा टर्नेस ने भी इस्तीफा दे दिया था। समाचार एजेंसी एएफपी द्वारा देखे गए एक पत्र के मुताबिक, ट्रंप के वकीलों ने ब्रॉडकास्टर को सोमवार, 10 नवंबर को एक अरब डॉलर के मुकदमे की धमकी दी।
डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?
फॉक्स न्यूज के साथ हुए इंटरव्यू में ट्रंप से बीबीसी के खिलाफ मुकदमा करने की योजना पर सवाल पूछा गया। इस पर ट्रंप ने जवाब दिया “मुझे लगता है, मुझे ऐसा करना ही होगा, क्यों नहीं?”
उन्होंने आगे कहा “मुझे लगता है कि ऐसा करना मेरा दायित्व है क्योंकि आप लोगों को ऐसा करने की अनुमति नहीं दे सकते।” इस दौरान हालांकि उन्होंने यह पुष्टि नहीं की कि मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए आधिकारिक तौर पर कार्रवाई शुरू हुई है या नहीं।
ट्रंप ने इस दौरान कहा था “उन्होंने जनता को धोखा दिया था और इसे स्वीकार भी किया है।”
बीबीसी के बारे में बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि ब्रिटेन हमारे महान सहयोगियों में से एक है और सरकार के पास इसका बड़ा हिस्सा है।
ब्रिटेन सरकार का क्या है इस मामले पर रुख
ब्रिटिश की कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर सरकार बीबीसी की स्वतंत्रता का समर्थन करने तथा ट्रंप के खिलाफ कोई पक्ष लिए बिना दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
बीबीसी की टीम ने कहा कि वह ट्रंप की कानूनी टीम के पत्र की समीक्षा करेगा। बीबीसी के डीजी टिम डेवी और न्यूज सीईओ डेबोरा टर्नेस के इस्तीफ के बाद अध्यक्ष समीर शाह ने संपादन में हुई ‘निर्णय संबंधी त्रुटि’ के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।
वहीं मंगलवार को प्रकाशित यूगॉव (YouGov) पोल के मुताबिक, 57 फीसदी ब्रिटिश नागरिकों का मानना है कि बीबीसी को अमेरिकी राष्ट्रपति से सीधे माफी मांगनी चाहिए। लेकिन एक चौथाई लोग ऐसी माफी के खिलाफ थे।
बीबीसी के लिए यह विवाद संवेदनशील समय में आया है जब उसे निगम के संचालन की रूपरेखा तय करने वाले रॉयल चार्टर पर फिर से बात करनी है। इसका मौजूदा चार्टर 2027 को समाप्त हो रहा है।
जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद से ट्रंप पर अमेरिकी मीडिया में आलोचना को दबाने के लिए कई मुकदमे दायर करने का आरोप लगा है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल बीबीसी ने ‘ट्रम्प: अ सेकंड चांस?’ शीर्षक के एक डॉक्युमेंट्री बनाई थी। इसे अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव से पहले रिलीज किया गया था। इस डॉक्युमेंट्री में ट्रंप के 6 जनवरी, 2021 के भाषण के क्लिप संपादित किए। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उन्होंने अपने समर्थकों से कहा था कि वह ‘जी-जान से लड़ने’ के लिए उनके साथ यूएस कैपिटल तक मार्च करेंगे। जबकि ट्रंप ने कहा था कि ‘हम कैपिटल तक जाएंगे और अपने बहादुर सीनेटरों, कांग्रेसियों और महिलाओं का उत्साह बढ़ाएंगे।’
व्हाइट हाउस ने बाद में बीबीसी पर ‘100 प्रतिशत फेक न्यूज’ का आरोप लगाया।

