नई दिल्ली: पिछले एक साल में देश भर में कैश लेनदेन में बढ़ोतरी के बावजूद चार हजार एटीएम बंद हुए हैं। यह दावा द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय बैंकों द्वारा जिस गति से एटीएम और कैश रिसाइक्लर मशीनों को बंद किया जा रहा है उतनी तेजी से नए एटीएम नहीं खोले जा रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल देश में कुल एटीएम की संख्या 219 हजार थी जो सितंबर 2024 तक घटकर 215 हजार हो गई है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में जो एटीएम बंद हुए हैं वे बैंक से दूरी पर स्थित थे जिन्हें ऑफ-साइट एटीएम के नाम से जाना जाता है।
देश भर में आखिर ये एटीएम क्यों बंद हो रहे हैं, इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। इन कारणों में सबसे प्रमुख कारण डिजीटल पेमेंट (Digital Payments) को बताया जा रहा है।
एटीएम की कमी पर रिपोर्ट में क्या कहा गया है
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में भारत में एटीएम की संख्या में गिरावट ऐसे समय में आई है जब देश में कैश सर्कुलेशन 34.70 लाख करोड़ रुपए है। यह सर्कुलेशन नोटबंदी के बाद से 100 फीसदी बढ़ी है।
वित्त वर्ष 2022 के दौरान भारत में हुई कुल ट्रांजेक्शन में कैश लेनदेन की हिस्सेदारी 89 फीसदी थी। यही नहीं इस दौरान कैश ट्रांजेक्शन देश की कुल जीडीपी का 12 फीसदी था। यह आंकड़े बताते है कि कैश लेनदेन में तुलनात्मक रूप से बढ़ोतरी हुई है।
क्यों हो रहे हैं देश में एटीएम बंद
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में डिजिटल भुगतान पर जोर दिया जा रहा है जिस कारण एटीएम से लेनदेन में कमी देखी गई है। यही नहीं दावा यह भी है कि एटीएम में गिरावट के लिए काफी हद तक डिजिटल भुगतान खासकर यूपीआई पेमेंट जिम्मेदार है।
दावा यह भी है कि मुफ्त एटीएम लेनदेन पर आरबीआई के दिशानिर्देशों और इंटरऑपरेबिलिटी पर सीमाएं के चलते भी देश में एटीएम से लेनदेन प्रभावित हो रहे हैं जिससे ये बंद हो रहे हैं। इसके अलावा इंटरचेंज शुल्क ने भी बैंकों के लिए एटीएम रखरखाव को वित्तीय रूप से काफी कम आकर्षक बनाया है जिससे नए एटीएम लगाने के बदले बैंकों द्वारा पुराने एटीएमों को ज्यादा बंद किया जा रहा है।
आरबीआई की 2022 की एक रिपोर्ट में यह पता चला है कि भारत में जितने लोग रहते हैं उस हिसाब से यहां पर एटीएम की संख्या कम है। आरबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर एक लाख लोगों के लिए केवल 15 एटीएम ही मौजूद हैं।
मामले से जुड़े जानकारों का मानना है कि भारतीय बैंक जल्द ही एक वैश्विक मॉडल अपना सकते हैं जिसमें एक बैंक ब्रांच के लिए केवल दो ही एटीएम अलैट होंगे। इन दो एटीएम में एक एटीएम बैंक के ब्रांच (ऑन-साइट) में ही लग सकते हैं जबकि दूसरा ऑफ-साइट यानी बैंक ब्रांच से बाहर लग सकते हैं।
यूपीआई ने अक्टूबर में तोड़े सारे रिकॉर्ड
एक तरफ जहां रिपोर्टों में यह दावा किया जा रहा है कि बैंकों द्वारा एटीएम को बंद किए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर यूपीआई के इस्तेमाल में लगातार बढ़त देखी जा रही है। अक्टूबर में देश में यूपीआई के जरिए 16.58 अरब लेनदेन हुए हैं। इसकी वैल्यू करीब 23.5 लाख करोड़ रुपए थी।
यह जानकारी इस महीने के शुरुआत में एनपीसीआई द्वारा दी गई है। आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2016 में यूपीआई शुरू होने के बाद से अब तक का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है।