Wednesday, November 19, 2025
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दिल्ली दंगा मामले में जांच रिपोर्ट मांगते हुए हाईकोर्ट ने 6 साल से लंबित याचिकाओं पर जताई नाराजगी

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि वैकल्पिक कानूनी उपाय मौजूद होने के बावजूद याचिकाकर्ताओं ने उन्हें नहीं अपनाया और यह मामले लगभग छह वर्ष से अदालत में ही लंबित पड़े हैं।

नई दिल्लीः पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगा मामलों से जुड़ी याचिकाओं पर सालों से कोई प्रगति न होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस से जांच की ताजा स्थिति पेश करने को कहा। अदालत ने दंगों से जुड़ी कई याचिकाओं के सालों से लंबित रहने पर भी गंभीर सवाल उठाए। यह निर्देश विशेष रूप से उन याचिकाओं पर आया, जिनमें राजनीतिक नेताओं के कथित नफरत भरे भाषणों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि वैकल्पिक कानूनी उपाय मौजूद होने के बावजूद याचिकाकर्ताओं ने उन्हें नहीं अपनाया और यह मामले लगभग छह वर्ष से अदालत में ही लंबित पड़े हैं।

सुनवाई के दौरान, एक याचिकाकर्ता के वकील ने दंगों में हुई मौतों का जिक्र किया। इस पर खंडपीठ ने जवाब दिया कि इस संबंध में पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और जाँच पुलिस के पास है। अदालत ने कहा कि वर्तमान रिट याचिकाओं में उच्च न्यायालय के लिए फैसला सुनाने लायक कुछ खास नहीं बचा है, क्योंकि पुलिस पहले ही जांच कर रही है।

जब वकील की ओर से निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की दलील दी गई, तो अदालत ने निर्देश दिया कि यह चुनौती मजिस्ट्रेट के सामने दी जानी चाहिए। पीठ ने कहा, “ये तथ्यात्मक सवाल हैं। इन्हें रिट याचिका के जरिए नहीं सुना जा सकता। आप सबूत मजिस्ट्रेट के सामने रखें, वही इसकी निगरानी कर सकता है। हाई कोर्ट यह नहीं कर सकता।”

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर के लिए तय की है और दिल्ली पुलिस से जांच की प्रगति और अब तक दर्ज एफआईआरों की संख्या बताने को कहा है।

मामले में जिन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है, वे 2020 में दाखिल हुई थीं। इनमें सीपीआई (एम) की नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य बृंदा करात, सामाजिक संगठन जमीअत उलेमा-ए-हिंद, रजिस्टर्ड सोसाइटी ‘लॉयर्स वॉइस’ (जिसके सह-संस्थापक अब हाई कोर्ट के जज हैं, जस्टिस अजय दिगपौल) और दिल्ली निवासी अजय गौतम द्वारा दायर याचिकाएं शामिल हैं। इन याचिकाओं में नेताओं के कथित भड़काऊ भाषणों की स्वतंत्र जांच और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया था कि इन याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की जाए और तीन महीने के भीतर फैसला लिया जाए। हालांकि, अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं आ सका है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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