Friday, November 14, 2025
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Delhi Blast: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के वित्तीय रिकॉर्ड खंगालने में जुटी NIA, भर्तियों और हॉस्टल की भी जांच

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गुरुवार को अल-फलाह विश्वविद्यालय के धौज परिसर का  दौरा किया और कर्मचारियों की फाइलें, छात्रावास रजिस्टर, उपस्थिति लॉग और वित्तीय बहीखाते जैसे 500 से अधिक रिकॉर्ड जब्त किए।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली धमाके के बाद चर्चा में आई अल-फलाह मेडिकल कॉलेज और फरीदाबाद में स्थिति इसके यूनिवर्सिटी के संबंध में जांच के दायरे को बढ़ा दिया है। इस यूनिवर्सिटी से संचालित हो रहे
कथित आतंकी नेटवर्क की आशंका के बीच एनआईए ने जांच के हिस्से के रूप इससे 2019 से अब तक के रिकॉर्ड मांगे हैं। जांच से अवगत अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि एनआईए के अधिकारियों ने अल-फलाह विश्वविद्यालय, जो कई शैक्षणिक और शोध संस्थान चलाता है, से छात्रावास आवंटन, फैकल्टी भर्ती और वित्तीय लेन-देन का विस्तृत ब्यौरा माँगा है। एजेंसी विशेष रूप से इस बात की जाँच कर रही है कि क्या आरोपी डॉक्टरों जिनमें संदिग्ध डॉ. उमर उन-नबी और उसके सहयोगी डॉ. मुज़म्मिल गनई भी शामिल हैं, ने अपने पदों का दुरुपयोग दूसरों की भर्ती करने, धन जुटाने और हमले के लिए रसद का प्रबंधन करने के लिए किया था।

यूनिवर्सिटी में NIA और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम

हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘एनआईए ने 2019 के बाद के सभी रिकॉर्ड मांगे हैं- इसमें फैकल्टी की भर्ती, वेतन वितरण, छात्रावास आवंटन और पहचान सत्यापन जैसी डिटेल शामिल है। एक विशेष टीम भर्ती, वित्त पोषण या ट्रांसफर आदि में अनियमितताओं की जाँच करेगी।’

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गुरुवार को विश्वविद्यालय के धौज परिसर का संयुक्त रूप से दौरा किया और कर्मचारियों की फाइलें, छात्रावास रजिस्टर, उपस्थिति लॉग और वित्तीय बहीखाते जैसे 500 से अधिक रिकॉर्ड जब्त किए। इसमें डिजिटल रिकॉर्ड भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि विशेष रूप से उन छात्रावासों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जहाँ जम्मू-कश्मीर के कई छात्र रह रहे थे।

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एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के छात्रों की अलग-अलग सूचियाँ तैयार की जा रही हैं, साथ ही उनकी फीस और लिंक किए गए बैंक खातों का विवरण भी खंगाला रहा है। एजेंसी को संदेह है कि एक ही नाम से कई कमरे आवंटित किए गए होंगे, जिससे बाहरी लोगों को परिसर में रहने की अनुमति मिल गई।’

निरीक्षण के दौरान, जाँचकर्ताओं ने फैकल्टी के कमरों और छात्रावासों की तलाशी ली। कंप्यूटर डेटा की क्लोनिंग की और ऐसी डायरियाँ बरामद कीं जिनमें कोड में कथित वित्तीय नोट्स होने का संदेह है।

यूनिवर्सिटी की फंडिंग और वित्तीय रिकॉर्ड की भी जांच

अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि जाँच का दायरा बढ़ाकर विश्वविद्यालय के वित्तीय मामलों को भी शामिल कर लिया गया है। दिल्ली में एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम इस बात की जाँच कर रहे हैं कि क्या धन या बाहरी अनुदान का इस्तेमाल कट्टरपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। 2019 से अब तक प्राप्त भुगतान गेटवे, छात्रवृत्ति और विदेशी लेनदेन की समीक्षा की जा रही है।’

डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दो छात्रावास के कमरे और एक प्रयोगशाला को सील कर दिया गया है। कई संकाय सदस्यों और वरिष्ठ छात्रों से पूछताछ की जा रही है। एक जाँचकर्ता ने कहा, ‘यह अब सिर्फ एक विस्फोट का मामला नहीं है। यह इस बारे में है कि कैसे एक शिक्षण संस्थान का इस्तेमाल किसी और भी भयावह घटना को छुपाने के लिए किया गया होगा।’

बढ़ती जाँच ने अल-फलाह विश्वविद्यालय के प्रबंधन और वित्तीय गतिविधियों की भी जाँच शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय के निदेशक 61 वर्षीय जावेद अहमद सिद्दीकी, जो लंबे समय से अल-फ़लाह समूह से जुड़े हैं, नौ अन्य संस्थानों और कंपनियों से जुड़े हैं। सिद्दीकी को इससे पहले 2000 में फर्जी निवेश फर्मों के माध्यम से निवेशकों से 7.5 करोड़ रुपये की हेराफेरी के एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था।

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पुलिस ने बताया कि सिद्दीकी पर अल-फलाह के बैनर तले बनी शेल कंपनियों के लिए निवेशकों को लुभाने का आरोप था, जिनमें अल-फलाह एजुकेशन सर्विस, अल-फलाह इन्वेस्टमेंट लिमिटेड और अल-फलाह एक्सपोर्ट्स शामिल थीं। ये सभी ओखला के एक ही पते पर पंजीकृत थीं। 2005 में बरी होने से पहले वे तीन साल जेल में रहे थे।

एनआईए और दिल्ली पुलिस की टीमों ने गुरुवार को ओखला परिसर में भी छापा मारा और जमीन के दस्तावेज और वित्तीय फाइलें जब्त कीं। एक अधिकारी ने कहा, ‘हम इस बात की जाँच कर रहे हैं कि क्या किसी पुरानी फर्म या ट्रस्ट खाते का इस्तेमाल आरोपी डॉक्टरों से जुड़े पैसों को इधर-उधर करने के लिए किया गया था।’

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार यूनिवर्सिटी के ओखला कार्यालय के एक कानूनी सलाहकार मोहम्मद राजी ने अखबार को बताया, ‘हमें डॉक्टरों की गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। हमारे परिसर का इस्तेमाल कभी भी आतंकवाद से जुड़े किसी भी फंडिंग या प्रयोग के लिए नहीं किया गया। पुलिस ने दस्तावेज़ अपने कब्जे में ले लिए हैं और हम पूरा सहयोग कर रहे हैं।’

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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