नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई जगहों पर 500 के पार चला गया, जो “खतरनाक” श्रेणी में आता है। वायु गुणवत्ता में इस स्तर की गिरावट के बाद दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का चौथा चरण यानी ग्रैप- 4 लागू कर दिया गया है।
प्रदूषण की गंभीर स्थित के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार दिल्ली और एनसीआर राज्यों की सरकारों को सख्त निर्देश दिए। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हुए कहा कि नागरिकों को प्रदूषण-मुक्त वातावरण देना संवैधानिक दायित्व है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रैप-4 को लागू करने में देरी को लेकर दिल्ली सरकार पर नाराजगी जताई। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने ग्रैप-4 सागू पीठ ने कहा कि खतरनाक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई ) के बावजूद ग्रैप-4 को लागू करने में देरी क्यों हुई। अदालत ने कहा कि अधिकांश स्थानों पर वायु गुणवत्ता 400 से ऊपर पहुंच गईं। 12 तारीख को ही एक्यूआई “गंभीर” हो गई थी। आपको ग्रैप को लागू करने के लिए तीन दिन क्यों लगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ग्रैप-4 के उपायों को उसकी अनुमति के बिना कम नहीं किया जा सकता, भले ही एक्यूआई 400 से नीचे आ जाए।
कोर्ट ने देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदूषण नियंत्रण उपायों में देरी का कोई औचित्य नहीं है। जस्टिस ओका ने कहा, क्या आप इस तरह प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में चांस ले सकते हैं? मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर भरोसा करना हल्के में लेने जैसा है।”
राज्यों को टीम गठित करने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनसीआर राज्यों को टीम गठित कर ग्रैप-4 के उपायों की निगरानी करने और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्यों की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि नागरिकों को प्रदूषण मुक्त वातावरण मिले।
पराली जलाने पर तत्काल कार्रवाई का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए इसरो और अन्य उपग्रह प्रणालियों का उपयोग किया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिनभर की घटनाओं का डेटा तुरंत संबंधित राज्यों को उपलब्ध कराया जाए ताकि समय पर कार्रवाई हो सके।
कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी पराली जलाने की घटना की सूचना राज्यों को तुरंत मिले। राज्यों को फसल जलाने की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सके। इसपर दिल्ली सरकार की वकील ज्योति मेंदीरत्ता ने कहा कि नासा के वैज्ञानिक बता रहे हैं कि अधिकांश पराली जलाई जाने की घटनाएं दोपहर 2:30 बजे के बाद होती हैं।
सुप्रीम कोर्ट परिसर में भी गंभीर वायु प्रदूषण
स्विस संगठन IQAir के अनुसार, सोमवार को दिल्ली का AQI 1743 तक पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से 130 गुना अधिक है। शहर की वायु गुणवत्ता को “अत्यंत खतरनाक” श्रेणी में रखा गया।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के भीतर भी एक्यूआई 990 दर्ज किया गया, जिसे बेहद खतरनाक माना गया। कोर्ट को यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है, जबकि ग्रैप-4 के तहत ऐसे कार्यों पर रोक है। इस पर कोर्ट ने तुरंत सचिवालय को तलब किया और निर्माण कार्य बंद करने का आदेश दिया।
अनुपालन की रिपोर्ट सौंपने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार को प्रदूषण नियंत्रण में कोई ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि ग्रैप-3 और ग्रैप-4 के तहत सभी उपायों को प्रभावी तरीके से लागू करें। शीर्ष अदालत ने दिल्ली और एनसीआर सरकारों को अगली सुनवाई से पहले अनुपालन की रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को एकजुट होकर काम करना होगा। अब मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने राजनीतिक घमासान भी खड़ा कर दिया है। भाजपा ने दिल्ली सरकार को दोषी ठहराते हुए पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के इस्तीफे की मांग की। वहीं, गोपाल राय ने केंद्र और भाजपा शासित राज्यों पर पराली जलाने को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया कि प्रदूषण विरोधी उपायों के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए सोमवार को दोपहर 12 बजे बुलाई गई थी लेकिन अधिकारियों की लापरवाही इतनी अधिक है कि ग्रैप-4 लागू होने के बाद भी कोई विभागाध्यक्ष (HOD) बैठक में शामिल नहीं हुआ। इसलिए हमें बैठक रद्द करनी पड़ी। हमने सभी विभागों को दोपहर 3 बजे पुनर्निर्धारित बैठक के लिए नोटिस भेजा है।
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए, सिसोदिया ने कहा कि इस समय प्रदूषण की स्थिति एक राष्ट्रीय आपदा है। न केवल दिल्ली पीड़ित है, बल्कि पूरे उत्तर भारत में लोग भी घुट रहे हैं। केंद्र ने पिछले 7-8 वर्षों में पराली जलाने के संबंध में कुछ नहीं किया है। वे इस पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं।
सिसोदिया ने आगे कहा कि इसे राष्ट्रीय आपदा मानना उनकी जिम्मेदारी है। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 80 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसमें काफी वृद्धि हुई है।
घने स्मॉग के कारण दिल्ली हवाई अड्डे पर 11 उड़ानें डायवर्ट और कई में देरी हुई। वहीं, कई ट्रेनें भी तय समय से देरी से चल रही हैं। दिल्ली और एनसीआर के नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे घरों के अंदर रहें, मास्क पहनें और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
कोर्ट के प्रमुख निर्देश:
ग्रैप-4 की सख्ती: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ग्रैप-4 के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए। एक्यूआई स्तर 400 से नीचे आने पर भी इन उपायों को बिना अदालत की अनुमति के वापस नहीं लिया जा सकता।
शिकायत निवारण तंत्र: दिल्ली और एनसीआर राज्यों को एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का निर्देश दिया गया ताकि प्रदूषण नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट तुरंत की जा सके।
निरीक्षण टीमों का गठन: कोर्ट ने सभी राज्यों से ग्रैप-4 की निगरानी के लिए तुरंत टीमों का गठन करने का आदेश दिया।
स्कूलों को बंद करने का आदेश: एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया गया कि कक्षा 12 तक के सभी भौतिक (फिजिकल) कक्षाओं को तत्काल बंद कर ऑनलाइन शिक्षा शुरू की जाए।
निर्माण और विध्वंस कार्यों पर रोक: निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाने और सड़कों पर नियमित पानी के छिड़काव का निर्देश दिया गया।