Sunday, November 9, 2025
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दिल्ली-एनसीआर फिर ‘गैस चैंबर’, कई इलाकों का AQI 400 के पार, सरकार GRAP-3 लागू करने से अब भी बच रही

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, शाम चार बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 361 रहा, जिससे यह देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया। एक दिन पहले यानी शुक्रवार को यह 322 था। शाम छह बजे तक दिल्ली के 39 प्रदूषण निगरानी केंद्रों में से 15 का एक्यूआई 400 या उससे ऊपर था।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। शनिवार को कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के पार दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, शाम चार बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 361 रहा, जिससे यह देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया। एक दिन पहले यानी शुक्रवार को यह 322 था। शाम छह बजे तक दिल्ली के 39 प्रदूषण निगरानी केंद्रों में से 15 का एक्यूआई 400 या उससे ऊपर था। सबसे खराब हवा वज़ीरपुर और बवाना में दर्ज की गई, जहां एक्यूआई 424 रहा।

एनसीआर में भी हालात बेहतर नहीं रहे। नोएडा (354), ग्रेटर नोएडा (336) और गाजियाबाद (339) में हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही। प्रदूषण के प्रमुख कारण सूक्ष्म धूलकण PM2.5 और PM10 रहे, जिनका स्तर कई गुना बढ़ गया।

‘डिसीजन सपोर्ट सिस्टम’ के अनुमान के मुताबिक, शनिवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान करीब 30% रहा, जबकि वाहनों के धुएं ने 15.2% हिस्सेदारी दी। उपग्रह आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को पंजाब में 100, हरियाणा में 18 और उत्तर प्रदेश में 164 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुईं।

दिल्ली के वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान केंद्र ने चेताया है कि अगले कुछ दिनों में राहत की उम्मीद नहीं है। दीवाली के बाद से राजधानी की हवा लगातार ‘खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी के बीच झूल रही है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार, एक्यूआई 0-50 ‘अच्छा’, 51-100 ‘संतोषजनक’, 101-200 ‘मध्यम’, 201-300 ‘खराब’, 301-400 ‘बहुत खराब’ और 401-500 ‘गंभीर’ माना जाता है।

दिन / स्थानएक्यूआई (AQI) स्तरश्रेणी
रविवार (सुबह 7 बजे) – कुल औसत391गंभीर (Severe)
आनंद विहार412गंभीर
अलीपुर415गंभीर
बवाना436गंभीर
चांदनी चौक409गंभीर
आरके पुरम422गंभीर
पटपड़गंज425गंभीर
सोनिया विहार415गंभीर

GRAP-3 लागू क्यों नहीं किया जा रहा?

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) का कहना है कि इस साल नवंबर की हवा पिछले साल के मुकाबले कुछ बेहतर है, इसलिए फिलहाल ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (GRAP) का तीसरा चरण लागू नहीं किया गया है। समिति के अनुसार, पिछले सात दिनों में से छह दिन पिछले साल की तुलना में कम प्रदूषित रहे।

अधिकारियों का कहना है कि समय पर कार्रवाई और विभागों के समन्वय से हालात कुछ हद तक नियंत्रण में हैं। पिछले साल GRAP-3 को 13 नवंबर को लागू किया गया था, जबकि इस बार सरकार इसे टालने की कोशिश में है।

डीपीसीसी के चेयरमैन संदीप कुमार ने बताया कि नवंबर के पहले हफ्ते के छह दिन पिछले साल की तुलना में बेहतर रहे हैं। उनके मुताबिक, सड़कों की सफाई, धूल नियंत्रण, एंटी-स्मॉग गन और वाहनों व उद्योगों पर सख्त निगरानी जैसे कदमों से कुछ सुधार देखने को मिला है।

ये भी पढ़ेंः दिल्लीः खराब AQI के बीच सरकार ने कुछ प्रतिबंध लागू किए, जानें क्या अनुमति और क्या बैन लगाए गए?

एनसीआर समेत यूपी के कई शहरों में भी स्तिथि चिंताजनक

एनसीआर समते उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, नोएडा और गाजियाबाद ने इस साल पिछले पांच वर्षों की तुलना में सबसे खराब अक्टूबर देखा। नोएडा का औसत एक्यूआई 236 रहा, जबकि गाजियाबाद का 227। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी रितेश तिवारी ने कहा कि इस बार दीवाली अक्टूबर में होने से प्रदूषण जल्दी बढ़ गया। खरीदारी, ट्रैफिक जाम और पटाखों के कारण हवा ज्यादा खराब हुई।

लखनऊ और मेरठ समेत वेस्ट यूपी के कई शहरों में वायु गुणवत्ता अब भी खराब है। माना जा रहा है कि हवा की गति बढ़ने या बारिश होने पर ही प्रदूषण में कुछ राहत मिलेगी, लेकिन फिलहाल अगले दो सप्ताह तक ऐसे आसार नहीं हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, लखनऊ का एक्यूआई मामूली सुधार के साथ 198 पर पहुंचा है, जबकि कानपुर 256, आगरा 128, वाराणसी 94 और मेरठ 318 के साथ सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है। वेस्ट यूपी के अधिकतर जिलों में स्थिति ‘रेड जोन’ या उसके करीब बनी हुई है। मौसम विभाग ने अगले दो हफ्तों तक बारिश की संभावना से इनकार किया है, जिससे प्रदूषण में फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं है।

डेटा की विश्वसनीयता पर सवाल

कुछ वीडियो में यह आरोप लगाया गया कि प्रदूषण मॉनिटरिंग स्टेशनों के आसपास पानी का छिड़काव कर हवा साफ दिखाने की कोशिश हो रही है। इस पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने सफाई दी कि यह नियमित सफाई का हिस्सा है और सेंसर 2-3 किलोमीटर के दायरे में औसत डेटा लेते हैं, इसलिए इससे नतीजे प्रभावित नहीं होते। हालांकि, कई स्वतंत्र विश्लेषणों ने डेटा की पारदर्शिता पर सवाल जरूर उठाए हैं।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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