Friday, October 17, 2025
HomeभारतDelhi-NCR में प्रदूषण नियंत्रण के लिए संसदीय समिति ने की पराली पर...

Delhi-NCR में प्रदूषण नियंत्रण के लिए संसदीय समिति ने की पराली पर MSP और ‘रेड एंट्री’ नियमों में सुधार की सिफारिश

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के तहत पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए पराली का न्यूनतम मूल्य तय करने और जल्दी पकने वाली धान की किस्मों को बढ़ावा देने की सिफारिश की है। साथ ही, “रेड एंट्री” सूची में शामिल किसानों को एक निश्चित समय बाद इससे बाहर निकलने का अवसर देने का भी प्रस्ताव रखा गया है।

मानक न्यूनतम मूल्य और भंडारण सुविधा पर जोर

राज्यसभा में पेश की गई अधीनस्थ विधान संबंधी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पराली के लिए एक मानक न्यूनतम मूल्य तय किया जाना चाहिए, जिससे किसानों को इसकी बिक्री पर निश्चित आय की गारंटी मिल सके। यह मूल्य एमएसपी की तर्ज पर होगा और इसकी वार्षिक समीक्षा की जाएगी। जिन इलाकों में पराली के अंतिम उपभोक्ता नहीं हैं, वहां 20-50 किलोमीटर की दूरी पर भंडारण सुविधाएं उपलब्ध कराने की भी सिफारिश की गई है, ताकि किसानों पर परिवहन का अतिरिक्त बोझ न पड़े।

जल्दी पकने वाली फसल को बढ़ावा

समिति ने बताया कि पराली जलाने की एक प्रमुख वजह धान की कटाई और रबी की फसल की बुवाई के बीच का कम समय (लगभग 25 दिन) है। इसे कम करने के लिए पूसा-44 जैसी जल्दी पकने वाली धान की किस्मों को अपनाने की सिफारिश की गई है, जिससे किसानों को अधिक समय मिल सके और वे पराली जलाने से बचें।

समिति ने कृषि अपशिष्ट से जैव ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय नीति बनाने की जरूरत बताई है। इस नीति के निर्माण में कृषि मंत्रालय के अलावा नवीन एवं नवीनीकृत ऊर्जा मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, उद्योग, स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्रालयों की सहभागिता का सुझाव दिया गया है।

‘रेड एंट्री’ नियमों में बदलाव

समिति ने ‘रेड एंट्री’ नियमों में संशोधन की सिफारिश करते हुए कहा कि यदि कोई किसान दोबारा पराली जलाने का दोषी नहीं पाया जाता है, तो एक निश्चित अवधि के बाद उसका नाम स्वतः हट जाना चाहिए। साथ ही, यदि कोई किसान पर्यावरण-अनुकूल तरीकों से पराली निष्पादन करता है, तो उसे अपना नाम हटवाने की प्रक्रिया खुद शुरू करने का भी अधिकार दिया जाना चाहिए।

स्पष्ट परिभाषाएं और प्रशासनिक सुधार

समिति ने “छोटे और सीमांत किसान” की स्पष्ट परिभाषा तय करने और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा, पराली जलाने संबंधी नियमों और दंडात्मक प्रावधानों में भी स्पष्टता लाने की जरूरत बताई गई है।

समिति की इन सिफारिशों का उद्देश्य पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान निकालना और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, जिससे दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।

समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा