साइबर फ्रॉड के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हाल के समय में ठगी के कई नए तरीकों के जरिए लोग करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं। देश की राजधानी दिल्ली में भी साइबर ठगी के जरिए लोगों को इस साल 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। दिल्ली पुलिस के अनुसार, पिछले साल यह आंकड़ा 1,100 करोड़ रुपये था। यानी दो साल में साइबर फ्रॉड के शिकार दिल्लीवासी 2100 करोड़ गंवा चुके हैं।
साइबर फ्रॉड को कई तरीके से अंजाम दिया जाता है। फर्जी निवेश योजनाओं से लेकर डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों तक, जिनमें लोगों को झूठे कानून प्रवर्तन अधिकारियों के नाम पर धमकाकर पैसे वसूले जाते हैं।
पुलिस के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट के डीसीपी विनीत कुमार ने बताया कि पुलिस और बैंकों ने अब तक ठगे गए पैसों में से लगभग 20% राशि रोकने में सफलता पाई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा केवल 10% था।
उन्होंने कहा, “साइबर ठगी में तुरंत रिपोर्ट करना बेहद जरूरी है। जैसे ही किसी को ठगी का संदेह हो, वह तुरंत हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करे, ताकि हम पैसों को बैंकिंग सिस्टम से बाहर जाने से पहले फ्रीज कर सकें।”
साइबर फ्रॉड के नए तरीके
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 में तीन तरह के साइबर अपराध सबसे ज्यादा बढ़े हैं-निवेश ठगी (इनवेंस्टमेंट स्कैम), डिजिटल अरेस्ट, और बॉस बनकर ठगने वाले स्कैम। पुलिस के अनुसार इन तीनों मामले में सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई हैं।
निवेश घोटाला (Investment Scam): इनवेस्टमेंट स्कैम के मामलों में अपराधी, अक्सर सोशल मीडिया पर महिला बनकर, लोगों को ऑनलाइन ट्रेडिंग ग्रुप्स में शामिल करते हैं। शुरुआती निवेश पर नकली मुनाफा दिखाने के बाद वे पीड़ितों को और बड़ी रकम लगाने के लिए उकसाते हैं, जो कई बार करोड़ों तक पहुँच जाती है।
डीसीपी कुमार के मुताबिक, “ये गिरोह दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों, जैसे कंबोडिया, लाओस और वियतनाम में चलने वाले स्कैम कंपाउंड्स से ऑपरेट होते हैं, जिन्हें चीनी संचालक नियंत्रित करते हैं। भारत में इनके सहयोगी म्यूल बैंक अकाउंट और फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराते हैं।”
डिजिटल अरेस्ट स्कैम: इसमें ठग खुद को पुलिस, सीबीआई या कूरियर एजेंसी का अधिकारी बताकर डर और दबाव के जरिये लोगों से पैसे वसूलते हैं। वे दावा करते हैं कि पीड़ित का बैंक खाता या पार्सल किसी अपराध (जैसे आतंकवाद या मनी लॉन्ड्रिंग) से जुड़ा है।
फर्जी नंबर, नकली दस्तावेज और एडिटेड वीडियो दिखाकर वे पीड़ित से “जुर्माना” या “सुरक्षा राशि” के नाम पर पैसा ट्रांसफर करवाते हैं।
बॉस स्कैम: इस ठगी में कंपनियों के कर्मचारियों को निशाना बनाया जाता है। ठग सोशल मीडिया पर कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी की तस्वीर लगाकर खुद को सीनियर मैनेजमेंट का हिस्सा बताते हैं और कर्मचारियों को जरूरी पेमेंट करने के लिए कहते हैं।
अक्सर कर्मचारी, यह मानकर कि आदेश असली है, पैसे ट्रांसफर कर देते हैं या गिफ्ट कार्ड कोड साझा कर देते हैं। डीसीपी कुमार ने कहा, “ये मैसेज इतने असली लगते हैं क्योंकि वे आधिकारिक दिखने वाले नंबरों से आते हैं। यही इन्हें सबसे खतरनाक बनाता है।”
साइबर फ्रॉड के शिकार क्या करें?
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, APK फाइल डाउनलोड न करें और किसी को भी पैसा ट्रांसफर करने से पहले सत्यापन करें। विनीत कुमार ने कहा, “अगर कोई व्यक्ति खुद को आपका बॉस बताकर पैसे मांगता है, तो पहले फोन या व्यक्तिगत रूप से पुष्टि करें।”
डीसीपी ने कहा कि अगर आप साइबर ठगी के शिकार होते हैं तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रिपोर्ट करें। जैसे ही कोई पीड़ित अपराध की रिपोर्ट करता है और लेनदेन का विवरण प्रदान करता है, हम धोखाधड़ी वाले फंड को होल्ड पर रखने के लिए ‘लीन मार्किंग’ प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।”
कुमार ने बताया कि साइबर अपराधों से संबंधित शिकायतें दर्ज करने और प्रश्नों को हल करने में पीड़ितों की सहायता के लिए 24 समर्पित हेल्पलाइनें चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। इसके बाद बैंक फंड के मूवमेंट को ट्रैक करते हैं, और यदि पैसा बैंकिंग सिस्टम के भीतर रहता है, तो उसे होल्ड पर डाल दिया जाता है। उन्होंने बताया कि अदालत के आदेश के बाद ही राशि पीड़ित को वापस की जा सकती है।