नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में बारामूला के सांसद अब्दुल राशिद शेख उर्फ इंजीनियर राशिद की उस याचिका पर खंडित फैसला सुनाया जिसमें उन्होंने लोकसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए अपनी सुरक्षा और यात्रा व्यवस्था पर होने वाले खर्च में छूट की मांग की थी।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस अनूप भंभानी की पीठ ने की। इससे पहले मामले को लेकर अगस्त में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। फैसला सुनाते हुए जस्टिस चौधरी ने कहा कि वे राशिद की याचिका खारिज करते हैं जबकि जस्टिस भंभानी ने इसे स्वीकार कर लिया है। जस्टिस भंभानी ने मौखिक रूप से कहा कि पीठ ‘एकमत नहीं है’ और ‘दो अलग-अलग निर्णय दे रही है, दोनों भिन्न हैं।’
बंट गई पीठ…अब आगे क्या?
मौजूदा पीठ से आए बंटे हुए फैसले की वजह से अब यह मामला उचित निर्देशों के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा। फिलहाल फैसले की विस्तृत प्रति का भी इंतजार है। इंजीनियर राशिद कथित आतंकी फंडिंग के एक मामले में 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्होंने जेल में रहते हुए ही निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की।
इस साल मार्च में हाई कोर्ट ने सांसद को बजट सत्र के दौरान संसद में उपस्थित होने की अनुमति देते हुए यह शर्त रखी थी कि हिरासत में रहने के दौरान यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं का खर्च वो खुद वहन करेंगे। जब संसद के मानसून सत्र में भाग लेने के लिए उन पर दूसरी बार यही शर्त लगाई गई तो राशिद ने अपने वकील विख्यात ओबेरॉय के माध्यम से इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी।
सरकार ने कोर्ट में गिनाया था खर्च
इस साल की शुरुआत में जब अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही थी, तब दिल्ली सरकार ने इंजीनियर राशिद को संसद ले जाने और ले आने के लागत का ब्यौरा प्रस्तुत किया था। कोर्ट को यह बताया गया था कि राशिद के संसद एस्कॉर्ट दल में एक सहायक पुलिस आयुक्त, एक निरीक्षक, एक उप-निरीक्षक, एक सहायक उप-निरीक्षक और आठ हेड कांस्टेबल शामिल हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 12 नवंबर, 2024 को एक अधिसूचना में दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस अधिनियम और दिल्ली पुलिस (विविध मामले) नियमों के प्रावधानों के अनुसार, ‘निजी व्यक्तियों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और अन्य कार्यों के लिए भुगतान पर अतिरिक्त पुलिस की तैनाती’ के लिए शुल्क निर्धारित किए थे।
दिल्ली पुलिस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था, ‘दिल्ली सरकार के निर्देशों के अनुसार, एनएवी डीएपी (न्यायिक अभीरक्षा वाहिनी, दिल्ली सशस्त्र पुलिस) प्रत्येक एसीपी के लिए 7,039 रुपये, प्रत्येक इंस्पेक्टर के लिए 7,176 रुपये, प्रत्येक एसआई के लिए 5,739 रुपये, प्रत्येक एएसआई के लिए 4,783 रुपये, प्रत्येक एचसी (हेड कांस्टेबल) के लिए 4,232 रुपये और प्रत्येक कांस्टेबल के लिए प्रति शिफ्ट 3,658 रुपये ले रहा है। यानी भुगतान के आधार पर निजी व्यक्तियों को पुलिस गार्ड की तैनाती के लिए प्रति दिन पांच घंटे और प्रति रात चार घंटे के लिए ये भुगतान करने हैं। इस प्रकार, एक दिन में 10 घंटे (मानकर) कुल 2 शिफ्टों को माना जाए तो इंजीनियर राशिद पर अनुमानित लागत 1,44,795 रुपये आएगी।’
राशिद ने पिछले साल 2024 के लोकसभा चुनावों में बारामूला सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, जो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री हैं, उन्हें 2 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने राशिद पर विभिन्न सार्वजनिक मंचों का इस्तेमाल ‘अलगाववाद और अलगाववाद की विचारधारा का प्रचार’ करने के लिए करने का आरोप लगाया है। उन्हें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक आतंकी हाफिज सईद और अन्य ‘अलगाववादी’ नेताओं के खिलाफ 2017 में दर्ज एनआईए मामले में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली की एक विशेष एनआईए अदालत ने मार्च 2022 में राशिद के खिलाफ आरोप तय किए थे।

