Wednesday, November 19, 2025
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दिल्ली धमाके से जुड़े केस में अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्दीकी 13 दिन की ईडी हिरासत में, ED नोट में क्या खुलासे हुए?

जांच एजेंसियों का दावा है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने झूठे दावों और भ्रामक प्रैक्टिस के जरिए छात्रों के विश्वास, भविष्य और उम्मीदों के साथ खिलवाड़ किया।

दिल्ली कार धमाके मामले में जांच एजेंसियों की रडार पर आई अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जावदे अहमद सिद्दीकी को 13 दिन की ईडी रिमांड पर भेजा गया है। ईडी दिल्ली में लाल किले के पास हुए हालिया आतंकी हमले की जांच मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से कर रही है। इसी सिलसिले में मंगलवार यूनिवर्सिटी से जुड़े 25 ठिकानों पर तोबड़तोड़ छापेमारी की गई और देर शाम जावेद सिद्दीकी को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। बुधवार रात करीब एक बजे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने सिद्दीकी को 13 दिन की ईडी रिमांड पर भेजने का आदेश दिया।

अदालत ने माना कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई उचित है और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए हिरासत जरूरी है। ईडी का कहना है कि सिद्दीकी की गिरफ्तारी इसलिए भी जरूरी थी ताकि संदिग्ध रकम को किसी अन्य संस्था या व्यक्ति के जरिए अलग दिशा में मोड़े जाने से रोका जा सके।

फर्जी मान्यता, झूठे दावे और करोड़ों की कमाई, ईडी नोट में क्या?

ईडी के रिमांड नोट में कहा गया है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने कथित तौर पर फर्जी मान्यता और भ्रमित करने वाले दावों के जरिए छात्रों को एडमिशन दिए और भारी भरकम फीस वसूली। दस्तावेजों के अनुसार यूनिवर्सिटी ने वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2024-25 तक करोड़ों रुपये की आय दिखाई।

जांच में सामने आया कि 2014-15 और 2015-16 में क्रमशः 30.89 करोड़ और 29.48 करोड़ रुपये को “स्वैच्छिक योगदान” बताया गया, जबकि 2016-17 के बाद इनकम को सीधा “शैक्षणिक राजस्व” के रूप में दर्ज किया जाने लगा।
वित्तीय वर्ष 2018-19 में 24.21 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज हुआ, जो 2024-25 में बढ़कर 80.01 करोड़ रुपये हो गया। कुल मिलाकर लगभग 415.10 करोड़ रुपये की कमाई कथित तौर पर झूठे दावों और भ्रामक प्रैक्टिस के जरिए की गई।

ये भी पढ़ेंः अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को ED ने गिरफ्तार किया

ईडी ने अदालत में कहा कि यूनिवर्सिटी ने UGC की मान्यता और NAAC (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल) के दर्जे को लेकर झूठी या भ्रामक जानकारी फैलाई। NAAC, जो UGC के तहत एक स्वायत्त निकाय है, भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन और मान्यता देता है। ईडी के मुताबिक विश्वविद्यालय ने इन संस्थागत मान्यताओं का गलत इस्तेमाल कर छात्रों को गुमराह किया और एडमिशन के नाम पर करोड़ों रुपये वसूले।

छात्रों की फीस से निजी खर्च?

जांच अधिकारियों ने अदालत को बताया कि विश्वविद्यालय की आय का एक हिस्सा निजी उपयोग और निजी कारोबारी गतिविधियों में लगाया गया। ईडी का कहना है कि जावेद सिद्दीकी बतौर फाउंडर और मैनेजिंग ट्रस्टी अभी भी यूनिवर्सिटी तथा अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट पर प्रभाव रखते हैं और निर्णय लेते हैं।

जावेद सिद्दीकी के बारे में जानें

इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की एफआईआर से शुरू हुई थी। एफआईआर के आधार पर अब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग और कथित फर्जी मान्यता की दिशा में जांच तेज कर दी है। एजेंसियों का दावा है कि यूनिवर्सिटी ने छात्रों के भविष्य, करियर और उम्मीदों के साथ खिलवाड़ किया और यह मामला महज प्रशासनिक विफलता नहीं बल्कि एक गंभीर आर्थिक अपराध हो सकता है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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