अब से लगभग एक सदी पहले 24 अगस्त 1925 को भारत के महान स्वाधीनता सेनानी विठ्ठलभाई झवेरभाई पटेल ने सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के प्रेसिडेंट का पदभार ग्रहण किया था। तब स्पीकर को प्रेसिडेंट कहने की परंपरा थी। वे दो दिन पहले यानी 22 अगस्त 1925 को इस पद के लिए निर्वाचित हुए थे। सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली का अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें लुटियंस दिल्ली का 20 अकबर रोड का बंगला अलॉट हुआ। वे इधर 1930 तक रहे। देश के आजाद होने के बाद 20 अकबर रोड का बंगला लोकसभा स्पीकर को अलॉट होने लगा। तब से यह परंपरा जारी है। इस बंगले का निर्माण 1925 तक पूरा हो गया था, और यह उस समय की औपनिवेशिक वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।

सबसे पहले लोकसभा का कौन स्पीकर रहा ?

1952 में, जब भारत की पहली लोकसभा का गठन हुआ, तब कांग्रेस नेता गणेश वासुदेव मावलंकर को पहली बार लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। उन्हें यह बंगला आवंटित किया गया, और तभी से यह परंपरा शुरू हुई कि 20 अकबर रोड लोकसभा अध्यक्ष का आधिकारिक निवास होगा। यह बंगला तब से लगातार लोकसभा अध्यक्षों का निवास रहा है, और इसकी यह विशेषता इसे भारतीय संसदीय परंपरा में एक अनूठा स्थान प्रदान करती है। गणेश वासुदेव मावलंकर (1952-1956) भारत के पहले लोकसभा अध्यक्ष, जिन्हें "लोकसभा के पितामह" के रूप में जाना जाता है। मावलंकर ने संसदीय प्रक्रियाओं को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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गणेश वासुदेव मावलंकर

अनंतशयनम अयंगार (1956-1962) मावलंकर के निधन के बाद लोकसभा अध्यक्ष बने। सरदार हुकुम सिंह (1962-1967) ने अपने कार्यकाल के दौरान,इस बंगले को एक सामाजिक केंद्र के रूप में भी इस्तेमाल किया, जहां सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ विचार-विमर्श होता था।नीलम संजीव रेड्डी (1967-1969, 1977) जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने, भी 20 अकबर रोड में रहे।

जाखड़ के दौर में 20 अकबर रोड

बलराम जाखड़ (1980-1989) सबसे लंबे समय तक लोकसभा अध्यक्ष रहे। जाखड़ ने इस बंगले को हमेशा खुला रखा, खासकर किसानों और सामान्य लोगों के लिए। उनके कार्यकाल में यह बंगला सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा। बलराम जाखड़ को 22 जनवरी, 1980 को सातवीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। यद्यपि जाखड़ को पीठासीन अधिकारी के रूप में पिछला कोई अनुभव नहीं था, तथापि उन्हें सौंपी गई नई भूमिका के बहुत बड़े उत्तरदायित्व से वह बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए। 

जाखड़ ने सातवीं लोक सभा में सदन की कार्यवाही का जिस तरीके से संचालन किया, उसकी सर्वत्र सराहना की गई और वह सभा के सभी वर्गों के प्रिय बन गए। इसलिए, दिसम्बर, 1984 के आम चुनाव में उनके इस बार राजस्थान के सीकर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए पुनः निर्वाचित होने पर वह नई सभा की भी अध्यक्षता करने के लिए स्वाभाविक पसंद बने। 

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16 जनवरी, 1985 को उन्हें एक बार फिर सर्वसम्मति से आठवीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। दिसम्बर, 1989 में आठवीं लोक सभा का कार्यकाल पूरा होने पर जब जाखड़ ने अध्यक्ष पद का त्याग किया तो उन्हें स्वतंत्र भारत में लगातार दो बार लोक सभा की पूर्ण अवधि के लिए बने रहने वाले एक मात्र अध्यक्ष का अनूठा गौरव प्राप्त हुआ। यह अवधि (अर्थात् 22 जनवरी, 1980 से 18 दिसम्बर, 1989 तक) एक दशक से मात्र एक माह कम थी। 

अब ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष बने हैं। इस तरह वो जाखड़ के बाद लोकसभा का अध्यक्ष बनने वाले दूसरे राजनेता बन गए हैं। जीएमसी बालयोगी देश के पहले दलित लोकसभा अध्यक्ष थे। बालयोगी का इस बंगले में रहते हुए निधन हो गया।

सुमित्रा महाजन का आतिथ्य

सुमित्रा महाजन (2014-2019) ने अपने कार्यकाल में इस बंगले को एक आतिथ्य केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया। सुमित्रा महाजन 20 अकबर रोड में रहते हुए सांसदों के लिए भोज की मेजबानी करती रहती थीं। उनकी दावतों में मेहमान  मेंगो रबड़ी, रबड़ी मालपुआ, श्रीखंड, भुट्टे का किस, साबूदाना खिचड़ी, मूंग दाल कचौरी, कैरी पना और ठंडाई के अलावा अन्य व्यंजनों का आनंद लेते थे। कहते हैं, सुमित्रा महाजन युवा सांसदों से विशेष रूप मिला करती थीं ताकि उन्हें संसद की कार्यवाही के संबंध में विस्तार से जानकारी दे सकें।

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20 अकबर रोड के बंगले में बदलते वक्त के साथ बहुत से बदलाव भी हुए। उदाहरण के रूप में इसमें 1978 में लिफ्ट लगाई गई थी। उस दौर में इसमें 7 वीं लोकसभा के अध्यक्ष के.ए. हेगड़े रहा करते थे। इसके बेड रूम पहली मंजिल में हैं। उनकी सेहत को देखते हुए लिफ्ट लगाई गई थी।इनके अलावा, कई अन्य अध्यक्ष जैसे रवि राय, शिवराज पाटिल, पी.ए. संगमा, और मीरा कुमार ने भी इस बंगले में निवास किया। प्रत्येक अध्यक्ष ने अपने कार्यकाल में इस बंगले को अपनी शैली और दृष्टिकोण के अनुसार उपयोग किया, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व और बढ़ गया।

क्यों खास है 20 अकबर रोड

20 अकबर रोड का बंगला अपनी वास्तुकला और सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है।  यह बंगला लुटियंस दिल्ली के कुछ गिने-चुने दो मंजिला सरकारी बंगलों में से एक है। इसका डिज़ाइन औपनिवेशिक शैली में है, जिसमें विशाल कमरे और ऊंची छतें हैं। बंगले में आठ बेडरूम हैं, जो इसे विशाल और भव्य बनाते हैं। ये बेडरूम पहली मंजिल पर स्थित हैं, और इनका उपयोग अध्यक्ष और उनके परिवार के लिए किया जाता है।

लिफ्ट की सुविधा

1978 में, सातवीं लोकसभा के अध्यक्ष के.एस. हेगड़े की सेहत को ध्यान में रखते हुए इस बंगले में लिफ्ट लगाई गई। यह उस समय किसी सरकारी बंगले में लिफ्ट लगाए जाने की पहली घटना थी।

बंगले के आगे और पीछे बड़े बगीचे हैं, जिनमें जामुन और अमलतास जैसे पेड़ और विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधे हैं। ये बगीचे इसे एक शांत और हरियाली से भरा हुआ वातावरण प्रदान करते हैं।

सेवकों के लिए घर

बंगले के पीछे वाले हिस्से में सेवकों के लिए अलग से आवास की व्यवस्था है, जो इसे एक पूर्ण आवासीय परिसर बनाता है। यह बंगला केवल निवास ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक केंद्र भी रहा है। सुमित्रा महाजन जैसे अध्यक्षों ने यहां भोज और सभाओं का आयोजन किया, जिससे यह सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण मिलन स्थल बन गया। 

भारतीय डाक पुस्तक के लेखक अरविंद कुमार सिंह कहते हैं, 20 अकबर रोड भारतीय संसदीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी दीवारें कई ऐतिहासिक घटनाओं और निर्णयों की गवाह रही हैं। 20 अकबर रोड का बंगला केवल एक सरकारी आवास नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली का प्रतीक है।

लोकतंत्र का प्रतीक

यह बंगला लोकसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा और महत्व को दर्शाता है। लोकसभा अध्यक्ष का पद भारतीय संसद में निष्पक्षता और संतुलन का प्रतीक है, और यह बंगला इस पद के साथ जुड़ा हुआ है।

20 अकबर रोड का बंगला केवल एक बंगला नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं का एक जीवंत प्रतीक है। 1952 में गणेश वासुदेव मावलंकर से शुरू होकर वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तक, इस बंगले ने कई ऐतिहासिक व्यक्तित्वों को आश्रय दिया है। इसकी वास्तुकला, सुविधाएं, और सामाजिक महत्व इसे एक अनूठा स्थान बनाते हैं। यह बंगला न केवल लोकसभा अध्यक्षों का निवास है, बल्कि भारतीय संसद के इतिहास और इसके विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।

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इस बंगले की दीवारें उन अनगिनत कहानियों, निर्णयों, और परंपराओं की गवाह हैं, जिन्होंने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत किया। यह लुटियंस दिल्ली की शान और भारतीय संसदीय प्रणाली की गरिमा का प्रतीक है। भविष्य में भी, 20 अकबर रोड भारतीय लोकतंत्र के इस गौरवशाली इतिहास को संजोए रखेगा।

कहां से कहां तक अकबर रोड 

दरअसल अकबर रोड पर आजादी के बाद से ही सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण हस्तियां रहती रहीं हैं। अकबर रोड शुरू होता इंडिया गेट से और यह सड़क रेस कोर्स तक जाती है। करीब पौने तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क के दोनों तरफ कुल जमा 26 सरकारी बंगले हैं। इधर कुछ प्राइवेट बंगले भी हैं। इधर के बंगलों की छतों पर आपको सुबह-शाम मोर मंडराते हुए मिल जाएंगे।

आपको याद होगा कि कुछ समय पहले अकबर रोड का नाम महाराणा प्रताप रोड के नाम करने की भी नाकाम कोशिशें हुईं थीं। तब कुछ लोगों ने अकबर रोड के संकेतक पर महाराणा प्रताप रोड का पोस्टर चस्पा कर दिया था। महाराणा प्रताप मेवाड़ के शासक थे और उन्होंने ताउम्र अकबर से लोहा लिया था। बहरहाल, अकबर रोड नाम के फिलहाल बदलने की कोई संभावना नहीं है।