कहने वाले कहते हैं कि पृथ्वी राज सिंह (पीआरएस) ओबेरॉय देश के सबसे विशाल आशियाने में रहते थे। ये 70 एकड़ में फैला हुआ है। राजधानी दिल्ली में किसी शख्स का 70 एकड़ का फार्म हाउस होगा इस बात पर आराम से यकीन नहीं होता। पर ये सच है। पीआरएस को "बिक्की" ओबेरॉय के नाम से भी जाना जाता था। वे ओबेरॉय ग्रुप के चेयरमैन एमेरिटस और भारत की होटल एंड्रस्ट्री के शिखर पुरुष थे। उनका फार्महाउस साउथ- वेस्ट दिल्ली के कापसहेड़ा एरिया में है। ये एरिया बिजवासन के भी करीब है।

इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से कितना दूर

दरअसल बिक्की ओबेरॉय का फॉर्म हाउस उनकी शानदार जीवनशैली और आतिथ्य के प्रति उनके जुनून को दर्शाता है। जिधर यह फॉर्म हाउस है, वहां पर उस तरह का शोर- शराबा नहीं है, जो हमें शेष दिल्ली में नजर आता है। इसके आसपास कई और फॉर्म हाउस भी हैं। इस सारे एरिया में शांति और हरियाली है।

oberoi farm house
दिल्ली में ओबरॉय फार्म हाउस Photograph: (फेसबुक)

यह फार्महाउस दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 15-20 किलोमीटर की दूरी पर है और इसे सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। कुछ डीटीसी बसें जैसे 539, 578, और 790A भी कापसहेडा गांव में ओबेरॉय फार्म्स के पास रुकती हैं। निकटतम मेट्रो स्टेशन "इंडसइंड बैंक साइबर सिटी" है, जो लगभग 14 मिनट की पैदल दूरी पर है।

बगीचों में घूमते मोर

ओबेरॉय फार्महाउस अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए जाना जाता है, जो पी आर एस ओबेरॉय के व्यक्तित्व और उनके आतिथ्य के प्रति दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है। यह एक विशाल संपत्ति है, जिसमें सुव्यवस्थित उद्यान, खुली जगहें और शानदार आंतरिक सज्जा शामिल है। फार्महाउस के बगीचों में मोरों को स्वतंत्र रूप से घूमते हुए देखा जा सकता है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाते हैं। यहाँ की हर चीज़ में बिक्की ओबेरॉय की छाप है, जो उनके होटलों में भी देखी जा सकती है।

खाने में पसंद थी दाल और भिंडी

राजधानी के कारोबारी और फन एंड फूड पार्क के फाउंडर संतोख चावला ने बताया कि ओबरॉय फार्महाउस में आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ पारंपरिक भारतीय आतिथ्य का मिश्रण देखने को मिलता है। यहाँ की सजावट और डिज़ाइन में ओबेरॉय की व्यक्तिगत पसंद स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह स्थान उनके लिए एक निजी रिट्रीट होने के साथ-साथ सामाजिक और पारिवारिक आयोजनों का केंद्र भी रहा है। 

santokh chawla
संतोख चावला

यहाँ बिक्की ओबरॉय अपने दोस्तों, सहयोगियों और परिवार के साथ समय बिताते थे, और अक्सर अपने होटल उद्योग से जुड़े लोगों के साथ अनौपचारिक मुलाकातें भी यहीं होती थीं। यहाँ वे साधारण पंजाबी भोजन जैसे भिंडी और दाल का आनंद लेते थे।

किसके साथ बिताते थे वक्त

ओबेरॉय फार्महाउस में पी आर एस ओबेरॉय अपने पोते-पोतियों के साथ समय बिताते थे और अपने शौक, जैसे घोड़ों की देखभाल को पूरा करते थे। वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने अपनी एक पोस्ट में इस फार्महाउस में ओबेरॉय के साथ बिताए समय को याद किया था। पी आर एस ओबेरॉय के 2023 में निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार इसी फार्महाउस परिसर में  किया गया। उनके निधन के बाद अब यहां उनका बच्चे रहते हैं।

राख के ढेर से उठना

बिक्की ओबरॉय का पूरा नाम पृथ्वीराज सिंह ओबरॉय था। उन्हें आप भारत के होटल और टुरिज्म सेक्टर के प्रथम  पुरुष का आराम से दर्जा दे सकते हैं।  बिक्की ओबरॉय बहुत आहत हुए थे जब उनके प्रिय ट्राइडेंट होटल को मुंबई में हुए 26/11 के हमलों में तबाह कर दिया गया था। वहां पर पाकिस्तानी आतंकिय़ों ने दर्जनों बेगुनाहों को मार डाला था। बिक्की ओबरॉय बहुत दुखी थे पर वे दुनिया को संदेश देना चाहते थे कि वे और भारत राख के ढेर पर से भी उठना जानते हैं। तब उनकी सरपरस्ती में ओबराय ट्राइडेंट होटल का नए सिर से रेनोवेशन हुआ। वे कई महीनों के लिये दिल्ली से मुंबई चले गए थे। उन्होंने दिल खोलकर पैसा लगाय़ा। यानी उन्होंने इसे राख के ढेर से फिर खड़ा किया।

oberoi hotel
मुंबई में ओबरॉय होटल

कितने बजे निकलते थे फॉर्म हाउस से

अगर बिक्की ओबरॉय दिल्ली में होते तो सुबह नौ बजे अपने फॉर्म हाउस से होटल के लिए निकल जाते थे। वे अपने जीवन के हर पल को सार्थक बनाने में जुटे रहते थे। बेशक से मानव जीवन क्षण भंगुर हो फिर भी उसे इंसान को अपने सतकर्म से सार्थक बनाना चाहिए। अंधकार का साम्राज्य कितना बड़ा होता है कि सूर्य भी उसे दूर ना कर सके पर एक कोने में पड़ा हुआ छोटा सा दीपक अपने अंत समय तक अंधेरे से मुकाबला करता रहता है। 

अब देखिए कि फूलों का जीवन कितना छोटा सा होता है पर वो अपने  सुगंध देने के धर्म का निर्वाह  करते है।  बिक्की ओबरॉय ने अपने को फूलों और दीपक जैसा जाने-अनजाने बना लिया है। वे सदैव बेहतर कर्म करते रहना चाहते हैं।  उनका जीवन बेदाग रहा है। उनकी समूह पर कभी किसी तरह का आरोप नहीं लगा। उन पर कभी किसी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान से धन लेनेके बाद उसे वापस ना करने का आरोप नहीं लगाया। 

आप जानते हैं कि हाल के दौर में कितने भारतीय उद्यमियों ने जल्दी-जल्दी पैसा कमाने के फेर में कितने पाप किए हैं। इस तरह के दागदार उद्यमियों की सूची बहुत लंबी है।

फॉर्म हाउस से रखते थे नजर

बिक्की ओबरॉय भविष्य द्रष्टा थे। वे अपने फॉर्म हाउस के दफ्तर से अपने देश-दुनिया के होटलों पर नजर रखते थे। उन्हें ईश्वर ने यह शक्ति दी थी कि वे जान लें किस शहर या देश में इनवेस्ट करने से लाभ होगा। उन्होंने गुरुग्राम में अपना होटल खोला। उसमें तगड़ा इनवेस्टमेंट किया। तब कुछ लोग दबी जुबान से कह रहे थे कि उनकी गुरुग्राम की इनवेस्टमेंट का लाभ नहीं होगा। पर वे सब गलत साबित हुए। 

prs oberoi

पिछले 15 सालों में गुरुग्राम बदल गया है। अब यह शहर आईटी हब बन गया है। यहां हजारों विदेशी रहते हैं और आते जाते है। इनका गुरुग्राम का होटल धड़ल्ले से चल रहा है। दरअसल शिखर पर बैठे शख्स से यही उम्मीद रहती है कि वह भविष्य की संभावनाओं को जान ले। 

इस लिहाज से बिकी ओबराय लाजवाब थे। वे यह साबित कर पाए कि आप ईमानदारी से बिजनेस की दुनिया में आगे बढ़ सकते हैं। यकीन मानिए कि  आर्थिक उदारीकरण से पहले भारत के टाटा, गोदरेज, महिन्द्रा तथा ओबराय जैसे ब्रांड ही देश से बाहर जाने जाते थे। तब तक आईटी क्रांति और आईटी कंपनियों को आना था।  

भारत आने वाले विदेशी व्यापारी और पर्यटक मुंबई के ओबराय ट्राइडेंट तथा दिल्ली के ओबरॉय इंटरकांटिनेंटल पर जान निसार करते हैं। इन दोनों को बिक्की ओबेराय ने अपने हाथों से बनाया था। इसकी योजना बनाने से लेकर इसे शुरू करने तक वे इससे जुड़े रहे थे। वे सारे फैसले खुद लेकर अपने पिता सरदार मोहन सिंह  ओबरॉय ( एम.एस. ओबरॉय) को बता भर देते थे।

उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने पिता एम.एस. ओबरॉय को इस बात के लिये तैयार किया था कि वे दिल्ली में भी एक होटल और खोलें। हालांकि तब तक ओबरॉय ग्रुप का ओबराय मेडिंस होटल चल रहा था। यह 1960 के दशक के शुरू की बातें हैं। तब दिल्ली में लक्जरी होटल के नाम पर अशोक होटल तथा इंपीरियल होटल ही कायदे के होटल थे।

ms oberoi
मोहन सिंह ओबरॉय

 ओबरॉय पिता-पुत्र ने अपने दिल्ली के होटल के लिए जमीन ली ड़ॉ. जाकिर हुसैन रोड पर। यह जगह दिल्ली ग़ॉल्फ क्लब से सटी है। बिक्की ओबराय ने इसके डिजाइन का काम सौंपा पीलू मोदी को। हालांकि उनके पास देश-दुनिया के तमाम आर्किटेक्ट अपने डिजाइन लेकर आए थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो  के बाल सखा और टाटा अध्यक्ष रुसी मोदी के बड़े भाई पीलू मोदी सियासी शख्सियत होने के साथ-साथ प्रयोगधर्मी आर्किटेक्ट भी थे। उन्होंने इसका शानदार डिजाइन बनाया। यह 1965 में शुरू हुआ।

piloo modi
पीलू मोदी

 फिर भी दिल था हिन्दुस्तानी

पीआरएस ओबरॉय विश्व नागरिक होने के बावजूद दिल से हिन्दुस्तानी थे। उनकी इस सोच के चलते सभी ओबरॉय होटलों में आने वाले गेस्ट का होटल स्टाफ नमस्कार करके ही स्वागत करते हैं। राजधानी के मशहूर चार्टर्ड एकाउंडेंट राजन धवन का बिक्की ओबरॉय से कई बार मिलना हुआ। वे बताते हैं कि बिक्की ओबरॉय मानते थे कि नमस्कार ही भारत की पहचान है। जब कोई ओबराय होटल में आए तो उसे पता चले कि इस होटल का संबंध भारत से है। 

बिक्की ओबरॉय  सबसे अलग थे। वे जानते थे कि अपने ब्रांड को कैसे बाजार में सम्मान दिलवाया जाता है। वे होटल इंडस्ट्री के भीष्म पितामह थे। वे 1988 में ओबराय होटल के चेयरमेन बने थे। उनसे पहले उनके पिता ने ही ओबराय होटल ग्रुप की कमान संभाल रखी थी। वे अपने पिता के जीवनकाल में ही अपने ग्रुप के लिए अहम फैसले लेने लगे थे। बता दें कि एम.एस. ओबेरॉय ने दिल्ली  विधानसभा का 1952 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सिविल लाइंस सीट से चुनाव लड़ा था।  चुना हार गए थे।  

आस्थावान सिख थे ओबरॉय

बिक्की ओबराय बड़े ही आस्थावान सिख थे। वे राजधानी के गुरुद्वारा बंगला साहब में नियमित रूप से पहुंचते थे। वहां सबद कीर्तन सुनते। उन्हें अपने होटलों के बलिष्ठ भुजाओं वाले सुरक्षा कर्मियों से पंजाबी में बतियाना भी पसंद था।  उम्मीद करनी चाहिए कि बिक्की ओबराय के बाद भी उनका समूह भारत और अपनी इमेज को बेहतर करता रहेगा।