बोलते बंगले: अमित शाह ने 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग में रहते हुए बनाया कौन सा कीर्तिमान

कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले लुटियंस दिल्ली की विशिष्ट औपनिवेशिक शैली में निर्मित हैं। इनमें बड़े-बड़े परिसर, विशाल लॉन, और हरियाली से भरे बगीचे शामिल हैं। ये बंगलें टाइप VIII श्रेणी के हैं।

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केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह जब राजधानी में अपने 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग के सरकारी आवास से नॉर्थ एवेन्यू के अपने दफ्तर में जा रहे होते होंगे तो उनके जेहन में जम्मू- कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में स्थायी शांति, नक्सली समस्या, साइबर अपराध, विदेशी नागरिकों की देश में घुसपैठ जैसे बहुत सारे गंभीर मसले चल रहे होते होंगे। उन्हें इस बात का संतोष भी होगा कि उनकी कोशिशों के चलते जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया।

कौन सा बनाया कीर्तिमान

अमित शाह ने बीती 5 अगस्त को भारत के सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री के रूप में सेवा देने का कीर्तिमान स्थापित किया, जब उन्होंने 2,258 दिनों के कार्यकाल के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के 2,256 दिनों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

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30 मई, 2019 को गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद से, शाह ने अपने दृढ़ नेतृत्व, रणनीतिक दृष्टिकोण और निर्णायक फैसलों के माध्यम से भारत की आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं।

कौन कौन रहा वहां

अमित शाह उसी सरकारी आवास में रहते हैं, जहां पर एक दौर में महान आर्किटेक्ट हरबर्ट बेकर रहते थे जिन्होंने नॉर्थ ब्लॉक का डिजाइन बनाया था। प्रधानमंत्री पद से 2004 में मुक्त होने के अटल बिहारी वाजपेयी सपरिवार 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले में शिफ्ट कर गए थे। बेकर इसमें नई दिल्ली के निर्माण के दौरान 1925-1930 के दरम्यान रहे।

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हरबर्ट बेकर

किन मसलों पर करते मंत्रणा

बीते करीब छह सालों के दौरान देश में संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने से लेकर नक्सली, पूर्वोत्तर, साइबर अपराध, विदेशी नागरिकों की देश में घुसपैठ जैसे बहुत सारे गंभीर मसलों पर अमित शाह अपने सहयोगियों के साथ उन दो स्थानों पर ही मिलते और मंत्रणा करते हैं, जिनका संबंध बेकर से भी रहा है। अगर एडविन लुटियन की सरपरस्ती में नई दिल्ली बनी-संवरी तो हरबर्ट बेकर ने राजधानी को  साउथ ब्लॉक, नॉर्थ ब्लॉक,जयपुर हाउस, हैदराबाद हाऊस, बड़ौदा हाउस जैसी शानदार इमारतें दीं। बेकर ने भारत आने से पहले 1892 से 1912 तक दक्षिण अफ्रीका और केन्या में बहुत सी सरकारी इमारतों और गिरिजाघरों के भी डिजाइन तैयार किए।

परिंदों की अखंड चहचहाहट

जानकार कहते हैं कि 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले के पिछले हिस्से में एक फव्वारा भी है। ये शायद लुटियन जोन का एकमात्र सरकारी बंगला है,जिसमें फव्वारा भी है। इसके करीब बैठकर अमित शाह सुबह अखबार पढ़ते हैं और अपने सलाहकारों से चर्चा भी करते हैं। दूसरी तरफ इधर लगे बुजुर्ग पेड़ों में रहने वाले परिंदों की अखंड चहचहाहट जारी रहती है। इनमें तोते सर्वाधिक हैं। इन पेड़ों ने ना जाने कितनी शक्तिशाली हस्तियों को देखा है। 

बेकर से लेकर अमित शाह तक, इस बंगले में मोटे तौर पर एक ही बदलाव हुआ। बेकर 8 नंबर में रहते थे, पर प्रधानमंत्री पद से 2014 में मुक्त होने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी को जब यह बंगला अलॉट हुआ तो इसका एड्रेस 8 कृष्ण मेनन मार्ग से 6- ए कृष्ण मेनन मार्ग करवा दिया गया। ये गुत्थी कभी नहीं सुलझी कि अटल जी के दौर में इस बंगले का एड्रेस क्यों बदला गया।

ड्राइंग रूम में बजरंग बली

जानने वाले जानते हैं कि अमित शाह अपने घर के ड्राइंग रूम में बैठकर देश के सामने उपस्थित मसलों पर गंभीरता से अपने सलाहकारों से चर्चा करते हैं। उनके ड्राइंग रूम में हनुमान जी की सुंदर सी मूर्ति रखी हुई है। हनुमान जी गृह मंत्री के इष्ट देव हैं। वहां की दिवार पर वीर सावरकर का चित्र भी टंगा हुआ है।  

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आप जानते हैं कि नक्सलवाद, जिसे वामपंथी उग्रवाद के रूप में भी जाना जाता है, दशकों से भारत के लिए एक गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौती रहा है। अमित शाह ने नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई, जिसके परिणामस्वरूप इस समस्या पर अभूतपूर्व नियंत्रण स्थापित हुआ। उन्होंने 31 मार्च, 2026 तक भारत को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, और इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

अमित शाह के गृह मंत्री होने के मायने  

अमित शाह 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले में रहते हुए आजाद भारत के सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री होने का रिकार्ड बना चुके हैं। वे अब तक के सबसे कामयाब गृह मंत्री भी हैं क्या? इसका विश्लेषण लोग अपने अपने तरीके से कर सकते हैं। लेकिन सभी के विश्लेषण में इस बात की जिक्र जरूर होगी कि आखिर देश ने उनके कार्य काल ने क्या हासिल किया और आगे उनसे उम्मीदें क्या है? गृह मंत्री के रूप में अमित शाह अपने सातवें वर्ष के कार्यकाल में हैं। इस अवधि में उन्होंने जो सबसे बड़ी सार्वजनिक पहचान हासिल की है वह यह है कि वे बड़े साहसी नेता हैं और देश को उनकी ज़रूरत है। यह भाव केवल सत्ता पक्ष का नहीं है, बल्कि विपक्ष का भी है। 

कृष्ण मेनन मार्ग के बंगलों की विशेषताएं

कृष्ण मेनन मार्ग लुटियंस दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण एरिया में से एक  है। यह सड़क अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व के साथ-साथ अपने शानदार बंगलों के लिए भी जानी जाती है। ये बंगले ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में निर्मित हुई थीं और इन्हें उच्च सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और न्यायाधीशों के लिए डिज़ाइन किया गया था। 

कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले लुटियंस दिल्ली की विशिष्ट औपनिवेशिक शैली में निर्मित हैं। इनमें बड़े-बड़े परिसर, विशाल लॉन, और हरियाली से भरे बगीचे शामिल हैं। ये बंगलें टाइप VIII श्रेणी के हैं, जो भारत सरकार के आवास नियमों के अनुसार सबसे उच्च श्रेणी के सरकारी आवास हैं। 

इन बंगलों में कई बेडरूम, लिविंग रूम, डाइनिंग हॉल, कार्यालय और अन्य आधुनिक सुविधाएं होती हैं। ये बंगलें उच्च-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था से लैस हैं, जिसमें सशस्त्र गार्ड, सीसीटीवी कैमरे और अन्य सुरक्षा उपाय शामिल हैं। कुछ बंगलों को विशेष जरूरतों, जैसे व्हीलचेयर अनुकूलता, के लिए भी अनुकूलित किया गया है।

नॉर्थ ब्लॉक में अमित शाह

जैसा कि सब जानते हैं कि अमित शाह का दफ्तर नॉर्थ ब्लॉक में है। यह साउथ ब्लॉक के साथ मिलकर भारत सरकार के सबसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्रों में से एक है। इसका निर्माण ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में हुआ था और यह भारत की सत्ता और प्रशासन का प्रतीक रहा है। नॉर्थ ब्लॉक का निर्माण  1931 में पूरा किया गया। यह नई दिल्ली को ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाने की योजना का हिस्सा था, जब राजधानी को 1911 में कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था।  

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नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक का डिज़ाइन प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार हर्बर्ट बेकर ने तैयार किया था, जिन्होंने एडविन लुटियंस के साथ मिलकर नई दिल्ली की योजना बनाई थी। लुटियंस ने मुख्य रूप से नई दिल्ली के समग्र लेआउट और राष्ट्रपति भवन (तत्कालीन वायसराय हाउस) का डिज़ाइन तैयार किया, जबकि बेकर ने नॉर्थ और साउथ ब्लॉक जैसे प्रशासनिक भवनों पर ध्यान केंद्रित किया।

किस तरह का डिजाइन नॉर्थ ब्लॉक का

नॉर्थ ब्लॉक की इमारत लाल बलुआ पत्थर से बनी है और इसमें मुगल, राजपूत, और यूरोपीय गोथिक शैली का मिश्रण देखने को मिलता है, जिसे लुटियंस शैली के रूप में जाना जाता है। यह इमारत इंडो-सारासेनिक शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें भारतीय और ब्रिटिश स्थापत्य कला के तत्वों का समन्वय है।

नॉर्थ ब्लॉक में पटेल से लेकर अमित शाह

वर्तमान में, नॉर्थ ब्लॉक में केंद्रीय गृह मंत्रालय का दफ्तर है। इसे नॉर्थ ब्लॉक का सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय रहा है, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, और प्रशासनिक नीतियों के लिए जिम्मेदार है।  इधर वित्त मंत्रालय भी है। यह मंत्रालय भारत की आर्थिक नीतियों, बजट, और वित्तीय प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। यह नॉर्थ ब्लॉक में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति बनाए हुए है।  

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नॉर्थ ब्लॉक ब्रिटिश वायसराय की सरकार का मुख्य प्रशासनिक केंद्र था। यहाँ से ब्रिटिश शासन की नीतियाँ बनाई और लागू की जाती थीं। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, नॉर्थ ब्लॉक भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। यहाँ से देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने रियासतों के एकीकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए। इसी नॉर्थ ब्लॉक से लाल कृष्ण आडवाणी ने भी देश के गृह मंत्री के रूप में काम किया। ये दोनों अमित शाह के प्रेरणा स्रोत रहे हैं।

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