लुटियंस दिल्ली का 5 कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला है। ये लंबे समय से भारत के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ) का आधिकारिक निवास रहा है।

कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले भारत के आला सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और न्यायाधीशों को ही अलॉट होते हैं। 5 कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला भारत के मुख्य न्यायाधीश के लिए आरक्षित है। इस बंगले का महत्व इसकी लोकेशन के कारण बढ़ जाता  है।

कितने कमरे हैं

5 कृष्ण मेनन मार्ग टाइप VIII बंगला है, जो भारत सरकार के आवास नियमों के अनुसार सबसे उच्च श्रेणी का सरकारी आवास है। इस प्रकार के बंगले विशाल, शानदार और विशेष सुविधाओं से युक्त होते हैं। इस बंगले में कई बेडरूम, लिविंग रूम, डाइनिंग हॉल, और कार्यालय होते हैं, जो मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक और निजी उपयोग के लिए उपयुक्त हैं।

बंगले के आगे-पीछे बगीचा

लुटियंस दिल्ली के बंगलों की विशेषता उनके बड़े बगीचे और हरियाली से भरे परिसर हैं। यह बंगला भी एक विशाल लॉन और बगीचे से घिरा हुआ है, जो इसे शांत और शानदार बनाता है। मुख्य न्यायाधीश के निवास के रूप में, इस बंगले में उच्च-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था होती है, जिसमें सशस्त्र गार्ड, सीसीटीवी कैमरे और अन्य सुरक्षा उपाय शामिल हैं।

व्हीलचेयर अनुकूल सुविधाएं

हाल के वर्षों में, चीफ जस्टिस के  बंगले को विशेष जरूरतों के लिए अनुकूल बनाया गया था, क्योंकि  पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेटियों अस्वस्थ थीं। हालांकि  कुछ दिन पहले उन्होंने इस बंगले को खाली कर दिया है।

5 कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला कई दशकों से भारत के मुख्य न्यायाधीशों का निवास रहा है। भारत के संविधान के तहत सर्वोच्च न्यायालय 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया और 1958 में तिलक मार्ग, नई दिल्ली में अपने वर्तमान भवन में स्थानांतरित हुआ।  जानकार कहते हैं कि तब से ही 5 कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला मुख्य न्यायाधीशों के लिए एक आधिकारिक निवास के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। यह बंगला मुख्य न्यायाधीश के पद की गरिमा और प्रतिष्ठा के अनुरूप है।

विवाद की वजह

DY Chandrachur

5 कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला हाल ही में तब चर्चा में आया जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद निर्धारित समय से अधिक समय तक इस बंगले में रहे। डी. वाई. चंद्रचूड़, जो भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश थे और 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए, ने इस बंगले को 31 मई 2025 तक अपने पास रखा, जो सर्वोच्च न्यायालय (संशोधन) नियम, 2022 के नियम 3बी के तहत अनुमत छह महीने की अवधि से अधिक था। इस नियम के अनुसार, एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश  अधिकतम छह महीने तक रख सकता है।

इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई 2025 को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर बंगले को तुरंत खाली कराने का अनुरोध किया। पत्र में उल्लेख किया गया कि बंगले की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और अन्य चार जजों को अभी तक सरकारी आवास आवंटित नहीं हुआ था। चंद्रचूड़ ने देरी का कारण अपनी बेटियों की चिकित्सा स्थिति (नेमालीन मायोपैथी) और व्हीलचेयर अनुकूल आवास की खोज को बताया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके सामान को पहले ही पैक कर लिया गया था और कुछ सामान नए किराए के आवास में भेज दिया गया था। अंततः, 2 अगस्त 2025 तक, चंद्रचूड़ ने बंगला खाली कर दिया।

कौन रहता रहा 6, कृष्ण मेनन मार्ग में

बाबू जगजीवन राम 1946 में दिल्ली आ गए थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें 1946 में गठित अंतरिम सरकार की कैबिनेट में श्रम मंत्री का पद दिया था। उन्हें दिल्ली में तब 6, कृष्ण मेनन मार्ग का विशाल बंगला आवंटित किया गया था। तब इसे जगह को हैस्टिंग्स रोड कहा जाता था। वे एक बार 6, कृष्ण मेनन मार्ग पर रहने लगे तो वे अंत इसी में रहे। इसी में उनकी पत्नी इंद्राणी देवी, पुत्र सुरेश और पुत्री मीरा कुमार भी रहे। बाबू जगजीवन राम की 1986 में मृत्यु के बाद उनके बंगले में उनका स्मारक बन गया है। इसे जगजीवन राम फाउंडेशन देखता है।

वहां उनकी मूरत क्यों

कृष्ण मेनन मार्ग पर लगी वी.के. कृष्ण मेनन की आदमकद मूर्ति को देखकर ना जाने कितने हिन्दुस्तानियों को भारत-चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध की यादें ताजा होने लगती हैं। अब उस भीषण  जंग को हुए साठ साल का अरसा हो रहा है, पर  हरेक भारतीय की दिली इच्छा है कि चीन को एक बार कायदे शिकस्त दी जाए। अब देखिए ना कि जिस शख्स को 1962 की जंग का खलनायक माना जाता है, उसी वी.के. कृष्ण मेनन के नाम पर राजधानी की एक महत्वपूर्ण इलाके की सड़क भी है और वहां पर ही उनकी मूर्ति स्थापित है। क्या इस सड़क का नाम कृष्ण मेनन मार्ग होना चाहिए? उस जंग में हमारे सैनिक कड़ाके की ठंड में पर्याप्त गर्म कपड़े पहने बिना ही लड़े थे। उनके पास दुश्मन से लड़ने के लिए आवश्यक शस्त्र भी नहीं थे। वी.के. कृष्ण मेनन के बारे में कहा जाता है कि वे घनघोर घमंडी और जिद्दी किस्म के इंसान थे। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपनी किताब “दि मैनी लाइव्स ऑफ वी.के.कृष्ण मेनन” में लिखा है कि मेनन जब 1957 में रक्षा मंत्री बने तो देश में उनकी नियुक्ति का स्वागत हुआ था। उम्मीद बंधी थी कि मेनन और सेना प्रमुख कोडन्डेरा सुबय्या थिमय्या की जोड़ी रक्षा क्षेत्र को मजबूती देगी। पर यह हो ना सका। कहते हैं कि मेनन किसी की सुनते ही नहीं थे। कृष्ण मेनन के 10 अक्तूबर, 1974 को  निधन के तुरंत बाद पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने उनके नाम पर एक अति विशिष्ट क्षेत्र की सड़क समर्पित कर दी।

Krishna menon

कृष्ण मेनन मार्ग में बेकर से अमित शाह तक

अगर बात वी.के. कृष्ण मेनन से हटकर कृष्ण मेनन मार्ग की करें तो आजकल केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह  6-ए कृष्ण मेनन पर ही रहते हैं। इसी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सपरिवार 2004 से लेकर अपनी मृत्यु तक रहे। पर इस बंगले से नई दिल्ली को एक से बढ़कर एक खास सरकारी इमारतें देने वाले आर्किटेक्ट हरबर्ट बेकर का भी संबंध रहा है। बेकर इसमें नई दिल्ली के निर्माण के दौरान 1922-1925 के बीच रहे। अगर एडविन लुटियन की सरपरस्ती में नई दिल्ली बनी-संवरी तो हरबर्ट बेकर ने राजधानी को संसद भवन, साउथ ब्लॉक, नॉर्थ ब्लॉक,जयपुर हाऊस, हैदराबाद हाऊस,बडौदा हाऊस जैसी शानदार और भव्य इमारतें दीं। बेकर ने भारत आने से पहले 1892 से 1912 तक दक्षिण अफ्रीका और केन्या में बहुत सी सरकारी इमारतों और गिरिजाघरों के भी डिजाइन तैयार किए। पर उन्होंने नई दिल्ली के किसी गिरिजाघर का डिजाइन नहीं तैयार किया। कृष्ण मेनन मार्ग कई अन्य महत्वपूर्ण सड़कों जैसे राजाजी मार्ग, तुगलक रोड और अकबर रोड से जुड़ा हुआ है।

कैसा है बंगलों का डिज़ाइन

कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित बंगले लुटियंस दिल्ली की विशेषता को दर्शाते हैं, जिसमें बड़े-बड़े परिसर, औपनिवेशिक शैली की वास्तुकला, और हरियाली से भरे बगीचे शामिल हैं। ये बंगले ब्रिटिश काल में बनाए गए थे और उस समय के उच्च अधिकारियों के लिए डिज़ाइन किए गए थे। आज भी, ये बंगले अपनी मूल संरचना को बनाए रखते हैं, हालांकि समय-समय पर इनका नवीनीकरण और आधुनिकीकरण किया जाता है।

हाल की गतिविधियाँ और विकास

कृष्ण मेनन मार्ग और लुटियंस दिल्ली में हाल के वर्षों में कई विकास परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें सेंट्रल विस्टा परियोजना शामिल है। इस परियोजना के तहत, कई पुराने सरकारी भवनों का नवीनीकरण और पुनर्विकास किया जा रहा है। हालांकि, 5 कृष्ण मेनन मार्ग जैसे बंगले इस परियोजना से सीधे प्रभावित नहीं हुए हैं, लेकिन इस क्षेत्र में बढ़ती आवासीय मांग और सीमित उपलब्धता के कारण इन बंगलों का महत्व और बढ़ गया है।