एर्नेस्तो चे ग्वेरा के जीवन पर आधारित किताब 'द मोटसाइकिल डायरीज़' में जब वह माचू-पीचु के खंडहरों में पहुँचता है तब सोचता है कि “…ऐसी दुनिया की याद मुझे कैसे आ सकती है जिसे मैंने आज से पहले कभी नहीं देखा था?" अक्सर खंडहरों में घूमते सैलानियों को भी हम एक गुजरे दौर के पदचिन्ह ढूँढते हुए ही पाते हैं। कभी अंग्कोर वट के टूटते हुए मंदिरों की शिलाओं पर हाथ फेरते तो कभी तुगलाक़ाबाद के किले की चढ़ाई नापते यात्री इतिहास और घुमक्कड़ी का नया अध्याय लिखते मिलते हैं, जिसे हम आज भग्नावशेष पर्यटन (Ruin Tourism) भी कहते हैं। 

खंडहरों, परित्यक्त महलों, टूटे किलों और आपदाग्रस्त बियाबानों को देखने-जानने के लिए की जाने वाली यात्राएं आज भग्नावशेष पर्यटन के दायरे में गिनी जाती हैं। ये यात्राएं समय के साथ एक नए कलेवर में सामने आई हैं और हेरिटेज वॉक्स (heritage walks) के रूप में नफे का उद्यम बनकर उभरी हैं। आज इन यात्राओं के लीडर अपने शहर, गाँव या कस्बे के खंडहरों के इतिहास को घूम घूमकर ऐसे घुमक्कड़ जत्थों के साथ साँझा करते हैं, जिन्हें इन जगहों के खामोश माज़ी और रहस्यमयता के रोमांच में दिलचस्पी होती है। 

पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के दायरे में आने वाले कई धरोहर और सरकारी दायरे के बाहर मौजूद बहुत से ऐतिहासिक स्थल आज 'भग्नावशेष पर्यटन' का गढ़ बन गए हैं। दिल्ली की महरौली हो, ग्रीस का एक्रोपोलिस हो, जापान का हिरोशिमा हो या जर्मनी का ऑशविट्ज़ हो, इन उजड़ी बस्तियों में होने वाले पर्यटकीय दौरे समय के प्रवाह को रोकते हैं और दर्शक को उस समय की साक्षात झलक दिखाते हैं, जिसके बारे में किताबों में लिखा मिलता है, "एक समय की बात है...!"

भग्नावशेष पर्यटन के बढ़ते चलन के साथ न सिर्फ आमजन में पुरानी इमारतों के प्रति इतिहासबोध जगा है, बल्कि खंडहरों और उजाड़ स्थलों पर फिर से रौनक भी लौटी है, जिसके चलते इन एकांत बियाबानों को अब महज़ व्यर्थ कोनों के तौर पर नहीं देखा जाता। इन ऐतिहासिक खंडहरों को देखकर दर्शकों को यह भी एहसास होता है कि सबकुछ फ़ानी है और अंत में हर लावारिस शय पर कुदरत का ही कब्ज़ा होता है। सरकारें चाहें तो और कई ऐतिहासिक स्थलों पर भग्नावशेष पर्यटन को बढ़ावा देकर जनता में इतिहास के प्रति रुचि जगा सकती हैं और पर्यटन की मार्फ़त और रोज़गार पैदा कर सकती हैं। तब तक इंसानी आबादियों से महरूम ये कूचे 'हैरिटेज' की तख्ती थामे आनेवाले सैलानियों की बाट जोह रहे हैं।