क्या आपको पता है कि राजधानी दिल्ली में एक घर ऐसा भी है, जहां पर अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी को आना था। पर, अफसोस कि वो यहां नहीं सके। कैनेडी को 1964 के शुरू में भारत की सरकारी यात्रा पर आना था। तब उनका दिल्ली में बने अपने देश यानी अमेरिकी एंबेसी की बिल्डिंग को देखने का कार्यक्रम तय था। उसी दौरान उन्हें एंबेसी कैंपस में ही स्थित रूजवेल्ट हाउस में भी आना और रूकना था। हालांकि, उनकी भारत यात्रा से पहले ही हत्या कर दी गई। वैसे, उनकी पत्नी जैकलिन कैनेडी रूजवेल्ट हाउस में जरूर आईं और रहीं।
रूजवेल्ट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिटंन और बराक ओबामा भी आए। ये खास घर है राजधानी दिल्ली में अमेरिका के एंबेसेडर का। इसे कहते हैं रूजवेल्ट हाउस। अमेरिकी एंबेसी 27 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है। बेशक, दिल्ली में अमेरिका का सबसे खास प्रतीक तो उनकी एंबेसी ही है। स्थापत्य की दृष्टि से रूजवेल्ट हाउस एंबेसी अद्वितीय है। रूजवेल्ट हाउस अपने सुंदर डिजाइन के कारण उत्कृष्ट है। रूजवेल्ट हाउस में कला, साहित्य, विज्ञान और अन्य क्षेत्रों की हस्तियों को अमेरिकी राजदूत आमंत्रित करते रहे हैं। ये अमेरिका के 32 वें राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट के नाम पर है। रूजवेल्ट कभी भारत नहीं आए।
जैक्लीन कैनेडी कब रूकी थीं रूजवेल्ट हाउस में?
जॉन कैनेडी की पत्नी जैक्लीन कैनेडी 12-21 मार्च,1962 के दौरान भारत यात्रा पर रहीं। उनकी उस यात्रा की सारी तैयारी अमेरिका के राजदूत जॉन कैनिथ गेलब्रिथ देख रहे थे। वे कैनेडी परिवार के विश्वासपात्र और भारत के मित्र थे। जैक्लीन कैनेडी का पालम एयरपोर्ट पर पहुंचने पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अन्य गणमान्य हस्तियों ने स्वागत किया। उसी साल पालम एयरपोर्ट शुरू हुआ था।
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जैक्लीन कैनेडी महात्मा गांधी की समाधि पर भी गईं थीं। उस समय खूबसूरत जैक्लीन कैनेडी मात्र 32 साल की थीं और उनकी शख्सियत भी अपने पति की तरह आकर्षक थीं। कोई वजह ही रही होगी कि कैनेडी अपनी पत्नी के साथ नहीं आ पाए। दिल्ली में जैक्लीन कैनेडी रूजवेल्ट हाउस में ठहरी थीं।
रूजवेल्ट हाउस में कैनेडी का करीबी
राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के विश्वासपात्र जॉन कैनिथ गेलब्रिथ 1961-1963 के बीच अमेरिका के भारत में राजदूत थे। वे अपने भारत के कार्यकाल के अंतिम दौर में जॉन एफ कैनेडी की आगामी भारत यात्रा की तैयारी में जुटे हुए थे। हालांकि, 22 नवंबर, 1963 को जो हुआ उससे पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई। उस दिन अमेरिका के बेहद लोकप्रिय राष्ट्रपति कैनेडी की डलास, टेक्सास में हत्या कर दी गई थी। कैनेडी का अपनी भारत यात्रा के समय राजधानी में नई-नई बनी अमेरिकी दूतावास की बिल्डिंग को देखने का कार्यक्रम तय था।
बीसवी सदी के महानतम आर्किटेक्ट माने जाने वाले फ्रेंक लायड राइट कहते थे कि स्थापत्य की दृष्टि से अमेरिकी एंबेसी अद्वितीय हैं। राइट की टिप्पणी के बाद कैनेडी को पता चल ही गया होगा कि नई दिल्ली में बनी अमेरिकी एंबेसी बिल्डिंग अमेरिकी आर्किटेक्ट एडवर्ड डुरेल स्टोन की रचनाधर्मिता का चरम है। जाहिर है, अगर वे अमेरिकी एँबेसी में आते तो रूजवेल्ट हाउस में ही ठहरते। कैनेडी राष्ट्पति पद पर रहते हुए तो भारत नहीं आ सके। हां, वे 1955 में भारत घूमने के लिए आए थे। तब वे अपने मित्रों के साथ भारत आए थे।
क्यों चर्चा बनता था गेलिब्रिथ का कद?
भारत में जिन अमेरिकी पूर्व राजदूतों को खासतौर पर याद किया जाता है उनमें जॉन कैनिथ गेलब्रिथ का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे चोटी के अर्थशास्त्री थे। वे जब यहां पर तैनात थे तब भारत-चीन के बीच जंग छिड़ गई थी। तब अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी प्रधानमंत्री नेहरू से गेलब्रिथ की मार्फत ही संपर्क में रहा करते थे। वे दिल्ली के डिप्लोमैटिक सर्किल में अपने 6 फीट 11 इंच लंबे कद के कारण भी पहचाने जाने लगे थे। वे भारत से विदा होने के बाद भी भारत में लेक्चर आदि के लिए आते थे।
इस बीच, ये बात कम लोगों को पता है कि बापू के पौत्र कनू गांधी को नासा में दाखिला गेलब्रिथ के ही प्रयासों से मिला था। अब बुजुर्ग हो रहे हिन्दुस्तानियों को याद होगा कि 1962 के युद्ध के वक्त जॉन कैनेडी खुलकर भारत के पक्ष में खड़े थे।
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उन्होंने तब चीन को साफ शब्दों में समझा दिया था कि यदि उसने युद्ध विराम नहीं किया तो अमेरिका युद्ध में कूद पड़ेगा। उसके बाद चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम किया था और साथ ही विवादित क्षेत्र से अपनी वापसी की घोषणा भी की थी। यह भी याद रखा जाए कि युद्ध के समय जॉन गेलब्रिथ भारत सरकार को सलाह दे रहे थे कि उसकी समर नीति किस तरह की रहे।
रूजवेल्ट हाउस में रहने वाला ‘भारतीय’
अमेरिका के नई दिल्ली में रहे राजदूतों में राहुल रिचर्ड वर्मा अपने आप में एकदम खास थे। इसकी वजह थी उनका भारतीय मूल का होना। वे 2014-17 के बीच अमेरिका के नई दिल्ली में राजदूत थे। जाहिर है, वे जब एंबेसेडर थे तब रूजवेल्ट हाउस ही उनका सरकारी आवास था। उनका संबंध पंजाब के जालंधर शहर से था। वे पंजाबी भी बोल लेते थे। वे यहां एंबेसेडर के रूप में आने से पहले 1974 में अपने माता-पिता के साथ भी आए थे। वे बताते थे कि उन्हें अपने जालंधर के पुश्तैनी घर को देखकर बहुत अच्छा लगता है।
वर्मा के रिश्तेदार उनसे मिलने रूजवेल्ट हाउस में बीच-बीच में पहुंचते थे। वे कहते थे कि भारतीय कहीं का नागरिक हो जाए पर वह कहलाता भारतीय ही है। इसलिए उनका भारत से लगाव होना स्वाभाविक है। उन्हें भारत की विविधता पसंद आती थी।
किसने डिजाइन किया था रूजवेल्ट हाउस?
रूजवेल्ट हाउस आधुनिक वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे प्रसिद्ध अमेरिकी वास्तुकार एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन ने डिजाइन किया था। स्टोन ने भारत की पारंपरिक वास्तुकला और आधुनिक डिजाइन को मिलाकर एक अनूठा रूप दिया। एडवर्ड डुरेल स्टोन रचनाधर्मी आर्किटेक्ट थे। बेशक, कैनेडी अमेरिकी एंबेसी और रूजवेल्ट हाउस के सुंदर डिजाइन को देखकर खुश होते। रूजवेल्ट हाउस के डिजाइन में अतिव्यय नहीं दिखाई देता। तड़क-भड़क कतई नहीं मिलती। ये ही अमेरिकी वास्तुकला की पहचान है।
स्टोन की कृति को देखकर लगता है कि उन्होंने इसका डिजाइन तैयार करने से पहले दिल्ली में ब्रिटिश दौर की अन्य प्रमुख इमारतों को देखा होगा। इसलिए वे भी अमेरिकी एंबेसी में जालियां और छज्जे देते है। एडविन लुटियन स्कूल के आर्किटेक्ट जालियों का प्रयोग इसलिए करते थे ताकि इमारतों के भीतर सूरज की रोशनी पहुंचती रहे। माना जाता है कि वह ही आर्किटेक्ट बेहतर होता है, जो यूजर फ्रेंडली सीढ़ियां देता है।
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स्टोन ने एंबेसी बिल्डिंग और रूजवेल्ट हाउस में सीढ़ियों को इस तरह से डिजाइन किया कि मानो आप कहीं चल रहे हों। ये आर्किटेक्चर के छात्रों को लगातार अपनी तरफ आकर्षित करती रहेगी। स्टोन ने इनके डिजाइन के समय राजधानी की शुष्क जलवायु को जेहन में रखते हुए लैंड स्केपिंग पर बहुत फोकस दिया। इसके चप्पे-चप्पे पर हरियाली मिलेगी। रूजवेल्ट हाउस के आगे ही जल कुंड मिलते हैं। ये सारे माहौल को शीतलता प्रदान करते हैं।
रूजवेल्ट हाउस में क्या क्या होता है?
रूजवेल्ट हाउस दिल्ली में अमेरिकी एंबेसेडर राजदूत का आधिकारिक निवास है। यहाँ पर अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस, धन्यवाद दिवस जैसे अमेरिकी राष्ट्रीय अवकाशों के साथ-साथ भारत-अमेरिका संबंधों से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन होता है। अमेरिकी एंबेसेडर भारतीय राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों और आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठकें करते हैं। रूजवेल्ट हाउस में अमेरिकी कला, संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए संगीत कार्यक्रम, कला प्रदर्शनियाँ, फिल्म स्क्रीनिंग और साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कौन आमंत्रित किया जाता है?
रूजवेल्ट हाउस में भारतीय राजनेता, सरकारी अधिकारी,विभिन्न देशों के राजनयिक, व्यापार जगत के नेता, कला और संस्कृति जगत की हस्तियां, शिक्षाविद,पत्रकार वगैरह को विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है। रूजवेल्ट हाउस में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए बैठकें और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं।
भारतीय और अमेरिकी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। छात्रों और विद्वानों के लिए सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। यहां पर विभिन्न अवसरों पर पार्टियां और रिसेप्शन आयोजित किए जाते हैं ताकि लोगों के बीच मेलजोल बढ़ सके।