Photograph: (Grok/IANS/X)
आपको लुटियंस दिल्ली में दो ही सरकारी बंगले डबल स्टोरी मिलेंगे। एक, 10 राजाजी मार्ग (पहले हेस्टिगस रोड) और दूसरा 20 अकबर रोड। 20 अकबर रोड लोकसभा के स्पीकर का बंगला है। 10 राजाजी मार्ग के बंगले में नई दिल्ली के चीफ आर्किटेक्ट ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस खुद रहा करते थे। मतलब यह कि नई दिल्ली की अधिकतर खासमखास सरकारी और दूसरी इमारतों का डिजाइन करने वाला शख्स इस बंगले में रहा।
भारत के दो पूर्व राष्ट्रपति क्रमश: डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और प्रणब कुमार मुखर्जी भी इस बंगले में अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद में रहे थे। इसमें आजकल कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे रहते हैं। चूंकि इधर कुछ समय तक भारत के द्वितीय गवर्नर जनरल सी.राजगोपालचारी भी रहे हैं, इसलिए हेस्टिंग्स रोड का नाम बदलकर राजाजी मार्ग रख दिया गया था।
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कब आए दिल्ली
एडविन लुटियंस पहली बार भारत में 1912 में आए थे, जब उन्हें नई दिल्ली को ब्रिटिश भारत की नई राजधानी के रूप में डिजाइन करने का कार्य सौंपा गया। उन्होंने 1912 से 1930 तक भारत में समय-समय पर काम किया, हालांकि वह लगातार भारत में नहीं रहे। वे कई बार भारत आए और गए, क्योंकि उनकी जिम्मेदारियां न केवल नई दिल्ली के डिजाइन तक सीमित थीं, बल्कि उनके अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट भी थे।
लुटियंस दिल्ली के सरकारी बंगलो (जो अब लुटियंस बंगलो जोन या LBZ के रूप में जाने जाते हैं) का निर्माण मुख्य रूप से 1920 के दशक के अंत से 1930 के दशक तक हुआ। ये बंगले ब्रिटिश अधिकारियों और प्रशासकों के लिए बनाए गए थे। खुशवंत सिंह बताते थे कि नई दिल्ली के अधिकांश प्रमुख सरकारी बंगले और इमारतें 1931 तक पूरी हो चुकी थीं, जब नई दिल्ली को आधिकारिक रूप से ब्रिटिश भारत की राजधानी के रूप में उद्घाटन किया गया। 1931 में नई दिल्ली के उद्घाटन के बाद लुटियंस का भारत में कार्य धीरे-धीरे कम हो गया, और वे अन्य वैश्विक परियोजनाओं में व्यस्त हो गए।
किसके करीब 10 राजाजी मार्ग
10 राजाजी मार्ग का बंगला रायसीना हिल्स के निकट है, जहाँ राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी भवन स्थित हैं। यह डबल स्टोरी बंगला लुटियंस दिल्ली की विशिष्ट वास्तुकला का प्रतीक है, जिसमें विशाल बरामदे, ऊँची छतें, और बड़े बगीचे शामिल हैं। यह बंगला अपनी भव्यता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, जो इसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए उपयुक्त बनाता है।
कहां, किसके साथ करते थे बैठकें
लुटियंस ने अपने सहयोगियों, जैसे हरबर्ट बेकर, रॉबर्ट टोर रसेल और वाल्टर जॉर्ज के साथ मिलकर नई दिल्ली की खास इमारतों और बंगलों को डिजाइन किया। यह स्थान न केवल उनके निवास का केंद्र था, बल्कि नई दिल्ली के नियोजन और निर्माण कार्यों का एक महत्वपूर्ण कार्यालय भी था।
लुटियंस ने इस बंगले से नई दिल्ली की व्यापक योजना तैयार की, जिसमें सड़कों का ले-आउट, बंगलों की संरचना और प्रमुख स्मारकों का डिजाइन शामिल था। यह बंगला उस समय के ब्रिटिश प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था, जहां से नई दिल्ली की भव्यता को आकार दिया गया।
किससे प्रभावित थे लुटियंस
लुटियंस भारत की संस्कृति और स्थापत्य से प्रभावित हुए और धीरे-धीरे भारतीय परंपराओं को अपनी डिजाइनों में शामिल करने लगे। शुरुआत में उनके मन में भारतीयों के प्रति कुछ नकारात्मक विचार थे, लेकिन दिल्ली में समय बिताने के बाद उन्होंने भारतीय स्थापत्य की सुंदरता को समझा और इसे अपनी योजनाओं में शामिल किया।एडविन लुटियंस ने नई दिल्ली को एक योजनाबद्ध और भव्य राजधानी के रूप में डिजाइन किया, जिसमें कई ऐतिहासिक और प्रशासनिक इमारतें शामिल थीं। उनके द्वारा डिजाइन की गई प्रमुख इमारतें निम्नलिखित हैं:
1. राष्ट्रपति भवन (पहले वायसराय भवन)
राष्ट्रपति भवन, जिसे पहले वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था, लुटियंस की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है। यह भवन रायसीना हिल पर स्थित है और ब्रिटिश साम्राज्य की शक्ति और भव्यता का प्रतीक था। लुटियंस ने इस भवन को डिजाइन करते समय भारतीय और यूरोपीय वास्तुकला का मिश्रण किया। इसके मुख्य गुंबदनुमा ढांचे में बौद्ध परंपरा के सांची स्तूप की प्रेरणा दिखती है, जबकि इसकी समग्र संरचना नव-शास्त्रीय (Neo-Classical) शैली को दर्शाती है। इस भवन में मुगल उद्यान (Mughal Gardens) भी लुटियंस की ही देन हैं, जो भारतीय परंपराओं को दर्शाते हैं।
राष्ट्रपति भवन का निर्माण 1912 से शुरू हुआ और 1929 में पूरा हुआ। यह 340 कमरों वाला एक विशाल परिसर है, जो 130 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इसकी डिजाइन में समरूपता, भव्यता और कार्यक्षमता का ध्यान रखा गया।
2. इंडिया गेट
इंडिया गेट, जिसे पहले अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाना जाता था, लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया एक और महत्वपूर्ण स्मारक है। इसे प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे आंग्ल-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में बनाया गया था। इसकी डिजाइन में पेरिस के आर्क डी ट्रायम्फ (Arc de Triomphe) से प्रेरणा ली गई, लेकिन इसमें भारतीय तत्वों को भी शामिल किया गया। इंडिया गेट 42 मीटर ऊंचा और 9.1 मीटर चौड़ा है, जो एक हेक्सागोनल परिसर के केंद्र में स्थित है। इसका निर्माण 1921 से 1931 के बीच हुआ।
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3. संसद भवन
लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने मिलकर संसद भवन (Parliament House) को डिजाइन किया, जो नई दिल्ली का एक और महत्वपूर्ण स्थल है। इस भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ और 1927 में लॉर्ड इरविन द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। संसद भवन की गोलाकार संरचना और इसके स्तंभ भारतीय और यूरोपीय शैलियों का मिश्रण दर्शाते हैं। इसकी डिजाइन में लुटियंस ने भारतीय स्थापत्य के तत्वों, जैसे छज्जे और जालियों, को शामिल किया।
4. हैदराबाद हाउस
लुटियंस ने हैदराबाद के निजाम के लिए दिल्ली में हैदराबाद हाउस डिजाइन किया, जो एक शाही महल के रूप में बनाया गया था। इसकी डिजाइन में भारतीय और यूरोपीय तत्वों का मिश्रण देखा जा सकता है, जो इसे एक अनूठा स्थापत्य बनाता है।
लुटियंस के डिजाइनों की विशेषताएं
लुटियंस की वास्तुकला में कई अनूठी विशेषताएं थीं, जो उनकी डिजाइनों को विशिष्ट बनाती थीं। लुटियंस ने नई दिल्ली की डिजाइनों में भारतीय और यूरोपीय वास्तुकला का एक अनूठा संगम प्रस्तुत किया। उनकी इमारतों में यूरोपीय नव-शास्त्रीय शैली के बड़े खंभे और सममित संरचनाएं दिखती हैं, जबकि भारतीय तत्व जैसे छज्जे, जालियां, छतरियां और गुंबदनुमा ढांचे उनकी डिजाइनों को स्थानीय रंग प्रदान करते हैं।
उदाहरण के लिए, राष्ट्रपति भवन का गुंबद सांची स्तूप से प्रेरित है, जो बौद्ध स्थापत्य की याद दिलाता है। लुटियंस ने नई दिल्ली को एक योजनाबद्ध शहर के रूप में डिजाइन किया, जिसमें चौड़ी सड़कें, व्यवस्थित ले-आउट और हरियाली पर विशेष ध्यान दिया गया। उनका डिजाइन इतना शानदार था कि आज भी लुटियंस दिल्ली को दुनिया के सबसे खूबसूरत और सुनियोजित इलाकों में गिना जाता है।
परंपरागत शैली का आधुनिक उपयोग
लुटियंस को परंपरागत वास्तुशिल्प शैलियों को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार ढालने के लिए जाना जाता था। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की भव्यता को दर्शाने के लिए नव-शास्त्रीय शैली का उपयोग किया, लेकिन इसे भारतीय संदर्भ में ढाला। उनकी डिजाइनों में कार्यक्षमता और सौंदर्य का संतुलन था।
लुटियंस अपनी डिजाइनों में छोटे-छोटे विवरणों पर विशेष ध्यान देते थे। वे अपनी कला का अभ्यास शीशे पर साबुन से चित्र बनाकर करते थे, जो उनकी रचनात्मकता और बारीकियों पर ध्यान देने की क्षमता को दर्शाता है। लुटियंस की डिजाइनों में हरियाली और खुले स्थानों का विशेष महत्व था। उनके द्वारा डिजाइन किए गए बंगलों और भवनों में बगीचे और चौड़े लॉन शामिल थे, जो नई दिल्ली को एक हरा-भरा और आकर्षक शहर बनाते हैं।
लुटियंस और हरबर्ट बेकर का संबंध
एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर का संबंध पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर जटिल और बहुआयामी था। दोनों वास्तुकारों ने नई दिल्ली के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन उनके बीच सहयोग और मतभेद दोनों रहे।लुटियंस और बेकर का पहला परिचय लंदन में रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट्स में हुआ, जहां दोनों ने 1885-1887 के बीच वास्तुकला की पढ़ाई की।
1912 में जब लुटियंस को नई दिल्ली की योजना बनाने का दायित्व सौंपा गया, तो उन्होंने बेकर को अपने साथ भारत बुलाया। बेकर उस समय दक्षिण अफ्रीका में प्रिटोरिया और अन्य शहरों में इमारतों के डिजाइन के लिए जाने जाते थे। मतभेदों के बावजूद, लुटियंस और बेकर एक-दूसरे की प्रतिभा का सम्मान करते थे।
बेकर ने लुटियंस की रचनात्मकता और दृष्टिकोण की प्रशंसा की, जबकि लुटियंस ने बेकर के तकनीकी कौशल और अनुभव को महत्व दिया। दोनों ने मिलकर नई दिल्ली को एक ऐसी राजधानी बनाया, जो ब्रिटिश साम्राज्य की शक्ति और भारतीय संस्कृति का प्रतीक थी।