नई दिल्लीः हिंदी साहित्य के जाने-माने सितारे कमल किशोर गोयनका का निधन हो गया। 86 साल की उम्र में उन्होंने अंतिस सांस ली। बीते दिनों सांस की समस्या के चलते उन्हें फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
पहले उन्हें आईसीयू में रखा गया था और बाद में वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था। दुनियाभर में प्रख्यात साहित्यकार प्रेमचंद पर उन्होंने बहुत काम किया। हिंदी साहित्यः रचना एवं रचनाकार, गांधीः पत्रकारिता के प्रतिमान, प्रेमचंद पत्र कोश, गो-दान, प्रेमचंद और शतरंज के खिलाड़ी, प्रेमचंदः राष्ट्र प्रेम की कहानियां, प्रेमचंद की अप्राप्य कहानियां समेत अन्य रचनाएं प्रमुख हैं।
बुधवार को किया जाएगा अंतिम संस्कार
उनका अंतिम संस्कार बुधवार को किया जाएगा। वह केंद्रीय हिंदी संस्थान में बतौर उपाध्यक्ष सेवाएं दे चुके हैं। यह संस्थान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
उनके निधन पर भारतीय हिंदी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. रमाकांत रॉय ने दुख व्यक्त किया है। उन्होंने उनके निधन को हिंदी जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। उन्होंने एक्स पर किए एक पोस्ट में लिखा कि गोयनका के प्रेमचंद के साहित्य का अनुशीलन करके बहुत सी भ्रांतियों को दूर किया और उनकी कहानियों का प्रामाणिक पाठ भी किया था।
केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल और केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष रहे प्रो कमल किशोर गोयनका का आज प्रातःकाल दिल्ली में देहावसान हो गया। वह 87 वर्ष के थे। विगत कुछ वर्षों से कमल किशोर गोयनका ने प्रेमचंद के समग्र साहित्य का अनुशीलन करके बहुत सी भ्रांतियों को दूर किया था और उनकी… pic.twitter.com/lpRdjX81js
— डॉ रमाकान्त राय (@RamaKRoy) April 1, 2025
उनके निधन पर पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी दुख व्यक्त करते हुए एक्स पर पोस्ट लिखा है।
हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कमल किशोर गोयनका जी के निधन का समाचार अत्यंत स्तब्ध करने वाला है। उनका जाना न केवल हिंदी साहित्य जगत, बल्कि संपूर्ण भारतीय सांस्कृतिक और बौद्धिक परंपरा के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) April 1, 2025
उन्होंने अपने शोध और लेखनी के माध्यम से… pic.twitter.com/RdgAC1s0wo
उन्होंने अपने जीवनकाल में प्रेमचंद पर ढेरों रिसर्च की। इन रिसर्च में उन्होंने बताया कि प्रेमचंद की आस्था सनातन धर्म में थी। साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए साल 2022 में उन्हें 24वें व्यास सम्मान से नवाजा गया था।