अशोक रोड, यह सड़क पटेल चौक से इंडिया गेट की ओर जाती है और कई महत्वपूर्ण मार्गों जैसे रफी मार्ग और रायसीना रोड से जुड़ती है। इसकी स्थिति इसे दिल्ली के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण मार्गों में से एक बनाती है। इसी सड़क पर इंडिया गेट से कुछ ही दूरी पर है 7 अशोक रोड का बंगला। इसमें एक वक्त एक केन्द्रीय मंत्री के साथ एक डॉक्टर, पुलिस अफसर और स्टार क्रिकेटर भी रहा करते थे।
दरअसल 7 अशोक रोड का बंगला 1967 में बिहार के कद्दावर नेता श्री भागवत झा आजाद को केन्द्र में मंत्री बनने के बाद अलॉट हुआ था। यहां आने से पहले वे सांसद के रूप में 209 नॉर्थ एवेन्यू में रहा करते थे। श्री आजाद एक बार यहां आए तो फिर वे यहां सपरिवार 1990 तक तक रहे। यानी लगातार 23 सालों तक। आमतौर पर लुटियंस जोन के किसी बंगले में कोई इतने सालों तक लगातार नहीं रहता।
क्यों भाग्यशाली रहा घर
भागवत झा आजाद के साथ इधर उनकी पत्नी श्रीमती इंदिरा झा के अलावा उनके तीनों पुत्र डॉ.राजवर्धन आजाद, यशोवर्धन आजाद और कीर्ति आजाद भी रहे। इनके अलावा, 7 अशोक रोड में आजाद परिवार का सेवक मोती भी रहा करता था। श्री आजाद के ज्येष्ठ पुत्र डॉ. राजवर्धन आजाद बताते हैं कि 7 अशोक रोड उनके परिवार के लिए बड़ा ही भाग्यशाली साबित हुआ। इसमें रहते हुए ही उनके पिता ने कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव भी देखे। वे केंद्रीय शिक्षा मंत्री से लेकर कांग्रेस पार्टी की कांग्रेस वर्किंग कमेटी के मेंबर भी बने। श्री आजाद ने हर जिम्मेदारी को निष्ठापूर्वक तरीके से अंजाम दिया। इधर रहते हुए आजाद के पुत्र डॉक्टर, आईपीएस अधिकारी और नामवर क्रिकेटर बने।
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क्या हुआ 1977 के चुनाव में हार के बाद
भागवत झा आजाद जब 7 अशोक रोड में रह रहे थे तब देश में इमरजेंसी लगी और फिर कांग्रेस पार्टी की 1977 के लोकसभा चुनाव में हार हुई। भागवत झा आजाद 1977 का लोकसभा चुनाव हार गए। अब उनके सामने 7 अशोक रोड का बंगला खाली करने का संकट खड़ा हो गया। पर आजाद की मदद के लिये आंध्र प्रदेश से लोकसभा के सदस्य राम गोपाल रेड्डी ने यह बंगला अपने नाम कराया तथा आधे घर में आजाद के परिवार को रहने के लिये खुशी-खुशी जगह दे दी।
इस तरह आजाद 7 अशोक रोड में रहते रहे। आजाद 1980 के लोकसभा चुनाव के बाद फिर से लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए और इस तरह 7 अशोक रोड फिर से उनके नाम पर आवंटित हो गया। इस दौरान एक वाक़या जो काफ़ी चर्चित रहा। आजाद ने जनवरी 1980 में राज्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण लेने से इंकार कर दिया था और राष्ट्रपति भवन में चल रहे शपथ ग्रहण समारोह से सीधे अपने 7 अशोक रोड के घर लौट आये थे। फिर श्रीमती गांधी ने उन्हें अक्टूबर 1980 में स्वतंत्र प्रभार देकर केन्द्रीय मंत्री के रूप में निमंत्रण दिया।
7 अशोक रोड में किसकी शादी
आजाद के सबसे बड़े पुत्र डॉ राजवर्धन आजाद का विवाह शीला झा के साथ इसी 7 अशोक रोड में दिसंबर 1977 में हुआ। वह एक यादगार विवाह था। विवाह समारोह में श्रीमती इन्दिरा गांधी से लेकर जगजीवन राम और अनेक राजनेता जिसमें बीजू पटनायक, नंदिनी सत्पथी, विद्या चरण शुक्ल, के सी पन्त, चन्द्र शेखर, अनेक साहित्यकार तथा चिकित्सा जगत से जुड़ी नामी हस्तियां भी मौजूद रहे।
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भारत के आँखों के सर्वश्रेष्ठ सर्जन डॉ. एल पी अग्रवाल समेत कई अन्य चिकित्सकों का भी इस घर में आना-जाना रहा। डॉ. अग्रवाल अखिल भारतीय आय़ुविज्ञान केन्द्र के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद आई सेंटर के फाउंडर डायरेक्टर थे। उनकी पुत्री डॉ. कविता शर्मा हिन्दू कॉलेज की प्रिंसिपल भी रहीं। बता दें कि डॉ राजवर्धन देश के नामी नेत्र सर्जन हैं तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के रेटिना के विशेषज्ञ हैं। वे भी एम्स के राजेन्द्र प्रसाद आई सेंटर को खड़ा करने वालों में से एक हैं। वे इसके डायरेक्टर भी रहे। वे करीब चार दशकों तक एम्स में स्टूडेंट से लेकर डायरेक्टर रहे। उन्होंने एम्स में पढ़ाया भी और सैकड़ों मरीज़ों का इलाज किया जिनमें कई देश और दुनिया के उच्च पद पर आसीन व्यक्ति भी शामिल थे।
आजकल भी एम्स में प्रोफेसर आजाद बिहार विधान परिषद के नामित सदस्य हैं और हिन्दुस्तान में आँखों के सबसे बड़े अस्पताल में शिक्षा तथा अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं। वे पटना के अखंड ज्योति आई होस्पिटल के भी सर्वेसर्वा हैं।
7 अशोक रोड में दिनकर, बच्चन भारती
जब तक भागवत झा आजाद 7 अशोक रोड में रहे, तब यहां साहित्यकारों का अक्सर जमावड़ा रहता था। रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन, शिवसागर मिश्र, कन्हैयालाल नन्दन, धर्मवीर भारती,रमानाथ अवस्थी सरीखे लोगों का आना जाना रहता था। महादेवी वर्मा जी से श्री आजाद जी का मौसी भांजे का भागलपुर से रिश्ता था जहां महादेवी जी के भाई श्री गोविन्द वर्मा टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य थे और आजाद विद्यार्थी थे।
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डॉ कपिला वात्स्यायन तथा तेजी बच्चन जी का भी इस घर में आना जाना रहा करता था। संडे मेल के संपादक श्री त्रिलोक दीप बताते हैं कि आजाद साहित्य, समाज, राजनीति के चोटी के विद्वान थे। वे अपने घर में साहित्यकारों के साथ मिलबैठ लगातार करते थे।
आईपीएस पुत्र चले गए मध्य प्रदेश
भागवत झा आजाद के मझले पुत्र यशोवर्धन आज़ाद 1976 में आईपीएस बनने के बाद मध्य प्रदेश चले गए। उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिला। फिर तो वे जब दिल्ली आते तब ही 7 अशोक रोड में अपने पिता के घर में ठहरते। वे 1997 में आंतरिक सुरक्षा के लिए देश की प्रमुख एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में चले गए। एक खुफिया पेशेवर के रूप में अपने करियर में, उन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने, देश के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के लिए सुरक्षा जोखिम आकलन और पाकिस्तान और बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा असाइनमेंट पर काम किया।
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वे भारत की द्विपक्षीय यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जैसे उच्च जोखिम वाले गणमान्य व्यक्तियों की सुरक्षा की व्यवस्था करने के लिए भी जिम्मेदार थे। उन्होंने आईबी में विशेष निदेशक के रूप में कार्य किया और बाद में भारत सरकार में सचिव (सुरक्षा) के रूप में नियुक्त हुए। सचिव के रूप में, वे प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ-साथ कैबिनेट सचिव की ओर से राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समूह के समन्वय के लिए जिम्मेदार सरकार के शीर्ष जोखिम और सुरक्षा अधिकारी थे।
जब हुआ विश्व विजेताओं का सम्मान
आजाद के 7 अशोक रोड के बंगले में 1983 के क्रिकेट विश्व कप के विजेताओं का एक जश्न भोज का आयोजन किया गया था जिसमें विश्व कप विजेता टीम के कप्तान कपिल देव से लेकर सभी खिलाड़ी मौजूद थे। श्री आजाद के छोटे पुत्र कीर्ति आजाद 1983 में विश्व कप क्रिकेट चैंपियनशिप विजयी टीम के सदस्य थे। वे आजकल लोक सभा के सदस्य भी हैं। दिल्ली क्रिकेट को बीती आधी सदी से फोलो कर रहे कीर्ति आजाद के दोस्त सैंडी गर्ग कहते हैं कि एक दौर में 7 अशोक रोड में दिल्ली क्रिकेट के मशहूर क्रिकेटर जैसे बिशन सिंह बेदी, कपिल देव, मनिंदर सिंह, राजेश पीटर, जीशान मोहम्मद वगैरह लगातार आते-जाते थे।
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7 अशोक रोड की वो खास शख्सियत
भागवत झा आजाद और 7 अशोक रोड की कहानी मोती यादव की बात किए बगैर अधूरी ही रहेगी। मोती 1967 में श्री आजाद के घर में आए और उनकी पत्नी श्रीमती इन्दिरा झा के पुत्रवत बन गए। मोती 1990 तक 7 अशोक रोड में रहे तथा सन् 2000 में कैंसर से उनकी मृत्यु हुई। डॉ राजवर्धन आजाद बताते हैं कि मोती सिर्फ़ घर के ख़ानसामा ही नहीं थे बल्कि उनके और उनके दोना छोटे भाइयों क्रमश: यशोवर्धन तथा कीर्ति के अभिभावक भी बन गए थे। उनकी बीमारी के दौरान हम तीनों भाइयों ने मोती की खूब सेवा की।
एम्स दिल्ली के प्राइवेट वार्ड में उनका इलाज करवाया तथा मृत्यु पश्चात उन्हें कन्धा देकर अंतिम संस्कार किया। मोती की निष्ठा तथा वफादारी का अंदाज़ा इस तरह लगाया जा सकता हैं कि श्रीमती आजाद के घर पर नहीं रहने पर मोती अपने या उधार के पैसे से रोजमर्रा की चीज ख़रीद कर लाते थे ताकि घर का काम चलता रहे।
मोती बहुत पूजा पाठ करते थे तथा उन्हें इस घर में रहने में बहुत अपनापन सा महसूस करते थे। एक बार मोती अनमने ढंग से 7 अशोक रोड छोड़ कर चले गये पर 2-3 दिनों के अन्दर ही वापस आ गये। वापसी पर वे श्रीमती आजाद से लिपटकर खूब रोये। और फिर मोती अंत तक 7 अशोक रोड में भागवत झा आजाद परिवार का हिस्सा बनकर रहे और आजाद परिवार ने भी उन्हें अपना माना।