उनका नाम था ऑक्टेवियो पॉज़। वे मेक्सिको के महान कवि थे। उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला था। वे 1962- 68 के दौरान लुटियंस दिल्ली के पॉश 13 पृथ्वीराज रोड के शानदार बंगले में रहते थे। आप पूछ सकते हैं कि मेक्सिको का कवि भारत में क्यों रहता था? आपका सवाल वाजिब है। दरअसल पॉज मेक्सिको के भारत में राजदूत थे। वे जब यहां पर आए तब पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। उनके भारत प्रवास के दौरान लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी भी देश की प्रधानमंत्री बने। 

उनका पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी से लगातार मिलना जुलना रहता था। वे भले ही राजनयिक थे, पर वे मन से कवि थे। इसलिए उनका बंगला उस दौर में साहित्यिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया था। उनके 13 पृथ्वीराज रोड के बंगले में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के कवियों के बीच कविता पाठ के कार्यक्रम होने लगे थे। वे भी अपनी ताजा कविताएं सुनाते। पॉज के घर में श्रीकांत वर्मा और जगदीश स्वामीनाथन जैसे कवि और चित्रकार के साथ-साथ खुशवंत सिंह, कुलदीप नैयर और बी.जी. वर्गीज  जैसे नामवर दिग्गज लेखक संपादक भी आते-जाते थे। वे भारत से जाने के बाद भी दिल्ली आते-जाते रहे।

ये भी ऑक्टेवियो पॉज़ के मित्र

पॉज़ की भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ मित्रता थी। वे प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के भी मित्र थे। प्रख्यात वास्तुकार चार्ल्स कॉरिया के साथ भी उनकी गहरी दोस्ती थी। वे कॉरिया से भारत की वास्तुकला के बारे में चर्चा करते थे। देखा जाए तो उनकी दिलचस्पियां बहुत ही व्यापक थीं। वे डिप्लोमेट थे, पर उनके कविता लिखना, साहित्यकारों के साथ सत्संग करना और वास्तुकला पर गहराई से अध्ययन करना भी पसंद था।

Indira Gandhi

पॉज़ ने भारत में कई बुद्धिजीवियों, लेखकों और कलाकारों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए। उन्होंने भारतीय साहित्यिक जगत में सक्रिय रूप से भाग लिया और भारतीय लेखकों को मेक्सिको में पहचान दिलाने में मदद की।

कब आए थे पहली बार?

ओक्टावियो पॉज दिल्ली और भारत पर जान निसार करते थे। वे 1952 में पहली बार भारत यात्रा के समय दिल्ली आए थे। वे दिल्ली के इतिहास और यहां की प्राचीन इमारतों को देखकर चमत्कृत हो गए थे। उसके बाद से उनका भारत से जीवनभर का संबंध बन गया। पॉज ने भारत की संस्कृति एवं विरासत में गहरी दिलचस्पी ली और वृंदावन, शिव-पार्वती एवं अमीर खुसरो पर कविताएं लिखीं। पॉज को भारत की सदियों पुरानी सभ्यता ने प्रभवित किया था। उनका जीवन दर्शन था, ‘अपनी जिंदगी को खुली किताब की तरह रखें’।

लोधी गार्डन पर कविता

ऑक्टेवियो पॉज़ का 13 पृथ्वीराज रोड का बंगला लोधी गार्डन के करीब ही था। इसलिए वे वहां रोज सैर करने के लिए जाया करते थे। उन्होंने लोधी गार्डन से प्रेरित होकर "लोधी गार्डन" नामक एक कविता लिखी। यह कविता उनके प्रसिद्ध संग्रह "ईस्ट स्लोप" (East Slope) में शामिल है। इस कविता में, पॉज़ ने लोधी गार्डन के ऐतिहासिक महत्व, उसकी सुंदरता और वहां के शांत वातावरण का वर्णन किया है। 

lodhi garden
Photograph: (IANS)

"लोधी गार्डन" कविता में पॉज़ ने समय, इतिहास और प्रकृति के बीच संबंध को दर्शाया है। उन्होंने गार्डन में स्थित मकबरों और स्मारकों को अतीत की यादों के रूप में चित्रित किया है, जो वर्तमान में भी जीवित हैं। कविता में उन्होंने प्रेम, मृत्यु और जीवन के चक्र जैसे विषयों पर भी विचार व्यक्त किए हैं। यह कविता लोधी गार्डन के सौंदर्य और रहस्य को दर्शाती है, और यह पॉज़ की भारत और उसकी संस्कृति के प्रति गहरी समझ और प्रेम का प्रतीक है।

सबसे प्रसिद्द रचना कौन सी?

पॉज ने 1995 में भारत पर एक किताब ‘ग्लिम्प्स आफ इंडिया’ भी लिखी। पॉज को दिल्ली की प्राचीन इमारतों का आर्किटेक्चर विशेष रूप से प्रभावित करता था। वे उनका लगातार अध्ययन करते थे। वरिष्ठ लेखक और संपादक त्रिलोक दीप ने भी पॉज से मुलाकात की थी। वे बताते हैं कि पॉज ने भारत में रहने के दौरान भारतीय संस्कृति, दर्शन, और कला को गहराई से अनुभव किया और उससे प्रभावित होकर अपनी रचनाओं में व्यक्त किया। 

"इन लाइट ऑफ़ इंडिया" पॉज़ की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है जो भारत पर आधारित है। इसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति, इतिहास, धर्म और कला के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने भारत की विविधता, आध्यात्मिकता और प्राचीन ज्ञान की गहराई को सराहा।

प्रभावित थे किन धर्मों से?

पॉज़ भारतीय दर्शन, विशेष रूप से बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अपनी कविताओं और निबंधों में इन दर्शनों के तत्वों को शामिल किया। उन्होंने भारत की आध्यात्मिकता को पश्चिमी भौतिकवाद के विपरीत एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में देखा। 

पॉज़ ने भारत की विशाल विविधता और विरोधाभासों को भी महसूस किया। उन्होंने भारत में गरीबी, सामाजिक असमानता और भ्रष्टाचार को देखा, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यहाँ की सुंदरता, रचनात्मकता और मानवीय भावना को भी महसूस किया। पॉज़ ने भारतीय प्रेम और विवाह की परंपराओं पर भी लिखा। उन्होंने भारतीय समाज में प्रेम के विभिन्न रूपों और विवाह के महत्व को समझने की कोशिश की।

कविताओं में क्या चित्रित किया?

पॉज़ ने अपनी कई कविताओं में भारत के दृश्यों, रंगों, ध्वनियों और भावनाओं को चित्रित किया। उनकी कविताएँ भारत के प्रति उनके प्रेम और सम्मान को दर्शाती हैं। ऑक्टेवियो पॉज़ अपने 13 पृथ्वीराज रोड के बंगले में घंटों ही अध्ययन करते थे। उनका भारत के बारे में लेखन एक गहरी समझ, संवेदनशीलता और सहानुभूति को दर्शाता है। उन्होंने भारत को केवल एक विदेशी भूमि के रूप में नहीं देखा, बल्कि इसे एक ऐसे देश के रूप में देखा जो मानव अनुभव के बारे में महत्वपूर्ण सबक सिखा सकता है।

भारत में रहने के दौरान पॉज़ ने कई महत्वपूर्ण रचनाएँ लिखीं, जिनमें "ईस्ट स्लोप" (East Slope), "सनस्टोन" (Sunstone) और "एलेग्रीस" (Alegrias) भी शामिल हैं। उनकी कविता "सनस्टोन" को उनकी सर्वश्रेष्ठ कृतियों में से एक माना जाता है, जिसमें भारतीय दर्शन, समय और प्रेम के विषयों को खूबसूरती से बुना गया है। इसे 20वीं सदी की स्पेनिश भाषा की सबसे महत्वपूर्ण कविताओं में गिना जाता है। 

"सन स्टोन" प्रेम, समय, मृत्यु, और मानव अस्तित्व के चक्रीय स्वभाव जैसे विषयों की पड़ताल करती है। यह कविता प्रेम की खोज, व्यक्तिगत पहचान की खोज, और इतिहास और पौराणिक कथाओं के साथ संबंधों की पड़ताल करती है। कविता एक जटिल संरचना का उपयोग करती है जो एक चक्र या सर्पिल का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें 584 पंक्तियाँ हैं, जो एज़्टेक कैलेंडर के सौर चक्र की लंबाई के समान हैं। कविता एक ही पंक्ति से शुरू और समाप्त होती है, जो एक अंतहीन चक्र का सुझाव देती है। यह संरचना समय की चक्रीय प्रकृति और अनुभवों की पुनरावृत्ति को दर्शाती है। 

पॉज़ की भाषा समृद्ध, काव्यात्मक और प्रतीकात्मक है। वह रूपकों और उपमाओं का उपयोग करते हैं ताकि शक्तिशाली और यादगार चित्र बनाए जा सकें। इस बीच,"सन स्टोन" एक चुनौतीपूर्ण लेकिन पुरस्कृत कविता है जो पाठकों को समय, प्रेम और अस्तित्व की प्रकृति पर विचार करने के लिए आमंत्रित करती है। यह पॉज़ की प्रतिभा और मेक्सिको के साहित्यिक परिदृश्य में उनके महत्वपूर्ण योगदान का एक प्रमाण है।

क्यों दिया पद से इस्तीफा?

पॉज़ का कार्यकाल भारत-चीन युद्ध (1962) और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान रहा। इन घटनाओं ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया और उनकी राजनीतिक विचारधारा को आकार दिया। पॉज ने 1968 में अपने देश में छात्रों के विरोध प्रदर्शनों पर सरकार की क्रूर प्रतिक्रिया के विरोध में भारत में राजदूत पद से इस्तीफा दे दिया। कुल मिलाकर, ऑक्टेवियो पॉज़ का भारत में कार्यकाल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण और रचनात्मक दौर था। 

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भारत ने उनके लेखन को गहराई से प्रभावित किया और उन्हें एक नए दृष्टिकोण से दुनिया को देखने के लिए प्रेरित किया। बहरहाल, बेहतर होगा कि जिस बंगले में पॉज रहे , उसके बाहर एक शिलापट्ट में लिखवाया जाना चाहिए यहां पर रहता था एक संवेदनशील कवि और भारत का मित्र।