नई दिल्ली: पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष के बढ़ने की आशंका के बीच बुधवार को कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल दर्ज की गई। ईरान द्वारा इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागने के बाद यह डर पैदा हो गया है कि यह संघर्ष बड़े युद्ध में बदल सकता है, जिससे तेल उत्पादक इस प्रमुख क्षेत्र से वैश्विक आपूर्ति बाधित हो सकती है। अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि कर सकती हैं जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा।
बता दें कि ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स की कीमत 83 सेंट (1.13%) बढ़कर 74.39 अमेरिकी डॉलर (₹6,248.86) प्रति बैरल हो गई, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 88 सेंट (1.26%) बढ़कर 70.71 अमेरिकी डॉलर (₹5,936.29) प्रति बैरल पर पहुंच गया।
मंगलवार को भी दर्ज हुआ था बड़ा उछाल
मंगलवार के कारोबार के दौरान दोनों कच्चे तेल सूचकांकों में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई थी। इजराइल ने बताया कि ईरान ने लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ इज़राइल के अभियान के जवाब में 180 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं। ईरान, जो पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) का एक महत्वपूर्ण सदस्य है, इस क्षेत्र का प्रमुख तेल उत्पादक देश है।
एएनजेड रिसर्च के मुताबिक, ओपेक सदस्य ईरान की प्रत्यक्ष भागीदारी से तेल आपूर्ति में व्यवधान की संभावना और भी बढ़ गई है। अगस्त में ईरान का तेल उत्पादन 3.7 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुंच गया था, जो पिछले छह वर्षों में सबसे अधिक है।
बढ़ती भू-राजनीतिक चिंताएं
इस मिसाइल हमले के बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वादा किया कि ईरान को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, जबकि तेहरान ने चेतावनी दी कि किसी भी प्रतिशोध का जवाब भारी विनाश से दिया जाएगा। इससे एक व्यापक युद्ध की आशंका और गहरा गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए इजराइल के प्रति अमेरिका के पूर्ण समर्थन की पुष्टि की है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बुधवार को मध्य पूर्व पर चर्चा के लिए एक आपात बैठक बुलाई है।
कैपिटल इकोनॉमिक्स का कहना है, “ईरान द्वारा बड़े पैमाने पर सैन्य हस्तक्षेप से अमेरिका भी इस युद्ध में खिंच सकता है। ईरान वैश्विक तेल उत्पादन का लगभग 4 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है, लेकिन यह देखना अहम होगा कि क्या सऊदी अरब ईरान की आपूर्ति बाधित होने पर उत्पादन बढ़ाएगा या नहीं।”
ओपेक की बैठक पर नजर
बुधवार को ओपेक और उसके सहयोगी देश के मंत्रियों की एक बैठक भी होनी है, जिसमें तेल बाजार की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। हालांकि, फिलहाल किसी नीतिगत बदलाव की संभावना नहीं है। ओपेक और उसके सहयोगी देशों के सदस्य, जिसमें रूस भी शामिल है, दिसंबर से प्रति दिन 180,000 बैरल उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। एएनजेड की रिपोर्ट के अनुसार, “अगर उत्पादन में वृद्धि की जाती है, तो यह मध्य पूर्व में आपूर्ति में संभावित व्यवधानों की चिंताओं को कम कर सकती है।”
अमेरिकी तेल भंडार में मिला-जुला असर
अमेरिका के तेल भंडारों से भी मिले-जुले संकेत मिले हैं। बाजार सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी पेट्रोलियम संस्थान द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों में बताया गया कि कच्चे तेल और डिस्टिलेट भंडार में पिछले हफ्ते गिरावट आई, जबकि गैसोलीन भंडार में वृद्धि हुई है।