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एलन मस्क के 10 लाख डॉलर के दान कार्यक्रम पर रोक लगाने से कोर्ट का इनकार

पेन्सिलवेनियाः अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के ठीक पहले एलन मस्क के 10 लाख डॉलर (8.4 करोड़ रुपए) के दान कार्यक्रम पर पेन्सिलवेनिया के एक राज्य न्यायाधीश ने रोक लगाने से इनकार कर दिया। गुरुवार को हुई सुनवाई में न्यायाधीश एंजेलो फोग्लिएटा ने कहा कि जब तक संघीय अदालत इस मामले पर विचार नहीं करती, वह इसे आगे नहीं बढ़ाएंगे।

मस्क द्वारा मामले को संघीय अदालत में स्थानांतरित करने की कोशिश से उन्हें इस कार्यक्रम को जारी रखने की अनुमति मिल गई है, क्योंकि माना जा रहा है कि यह मामला 5 नवंबर को होने वाले चुनाव के बाद ही सुलझेगा। मस्क को मामले की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहना का आदेश दिया गया था लेकिन वह अदालत नहीं पहुंचे।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल मस्क ने चुनाव से पहले वोट देने वाले मतदाताओं को 10 लाख डॉलर देने की घोषणा की थी। दान कार्यक्रम के तहत मस्क ने मतदाताओं के सामने कुछ शर्तें भी रखी हैं। जैसे मतदाता स्विंग स्टेट्स का रजिस्टर्ड वोटर हो। साथ ही उसे फ्रीडम ऑफ स्पीच और हथियार रखने वाली ऑनलाइन याचिका पर दस्तखत करना होगा और इसका समर्थन करना होगा।

पेंसिल्वेनिया में याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले प्रत्येक रजिस्टर्ड वोटर को अपने आप 8400 रुपए की राशि मिल जाएगी। बाकि 6 स्विंग स्टेट्स में याचिका पर दस्तखत करने वाले वोटर को 3951 रुपए मिलेंगे।

फिलाडेल्फिया के जिला अटॉर्नी लैरी क्रासनर ने इस नकद वितरण को अवैध लॉटरी योजना बताते हुए इसे रोकने के लिए अदालत का रुख किया है। उनके मुताबिक, मस्क और उनकी राजनीतिक समिति, अमेरिका पीएसी, इस कार्यक्रम के माध्यम से चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।

आरोप है कि यह नकद वितरण उन मतदाताओं को दिया जा रहा है जो मुक्त भाषण और बंदूक के अधिकारों के समर्थन में हस्ताक्षर करते हैं। यह कार्यक्रम विशेष रूप से उन सात राज्यों (स्विंग स्टेट्स)  के पंजीकृत मतदाताओं के लिए है जो चुनाव परिणाम में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

सुनवाई के दौरान अदालत में हलचल

सुनवाई के बाद मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अमेरिकन जस्टिस FTW पोस्ट (जीत का संक्षिप्त रूप) किया। वहीं, गुरुवार दोपहर को क्रासनर के कार्यालय ने मामले को राज्य अदालत में वापस भेजने के लिए एक आपातकालीन याचिका दायर की, जिसमें मस्क की रणनीति को एक चाल बताया।

क्रासनर का आरोप

क्रासनर के अनुसार, मस्क की योजना में स्पष्ट नियमों की कमी है और यह भी नहीं बताया गया कि मतदाताओं की व्यक्तिगत जानकारी को कैसे सुरक्षित किया जाएगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि मस्क द्वारा दिए गए धन से लाभान्वित लोग वास्तविक रूप से रैंडम नहीं चुने गए हैं, बल्कि उन लोगों में से हैं जिन्होंने ट्रंप समर्थक रैलियों में भाग लिया।

संघीय कानून का उल्लंघन या चुनावी प्रक्रिया का समर्थन?

कानूनी विशेषज्ञ इस बात पर विभाजित हैं कि क्या मस्क की यह योजना संघीय कानून का उल्लंघन कर रही है। वहीं, अमेरिकी न्याय विभाग ने अमेरिका पीएसी को चेतावनी दी है कि यह उपहार योजना संघीय कानून का उल्लंघन कर सकती है। हालांकि, संघीय अभियोजकों ने इस पर कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है।

एलन मस्क इस वर्ष खुले तौर पर ट्रंप के समर्थक बने हैं और उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनके प्रचार का समर्थन कर रहे हैं। बदले में, ट्रंप ने मस्क से वादा किया है कि अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो उनको एक सरकारी दक्षता आयोग का प्रमुख बनाया जाएगा। इस बीच, चुनाव नजदीक होने के कारण यह मामला राजनीतिक हलकों में एक चर्चित मुद्दा बन गया है।

अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...

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