आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को दिए जाने वाले लड्डू प्रसाद में मिलावटी घी का इस्तेमाल होने की खबर ने सनातन धर्म के अनुयायियों को झकझोर दिया है। इसमें जानवरों की चर्बी और मछली के तेल से बनी घी के इस्तेमाल की खबरें सामने आईं, जिससे भक्तों की आस्था पर गहरा आघात हुआ।
इस खुलासे के बाद साधु-संतों और हिंदू संगठनों ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है। दरअसल, यह कानून ब्रिटिश काल से चला आ रहा है, जिसमें हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रखा गया था, जबकि चर्च और मस्जिदें इससे बाहर थीं। स्वतंत्रता के बाद भी यह कानून जारी रहा और मंदिरों की आय पर कर लगाया गया, जबकि अन्य धर्मस्थलों को ऐसी सीमाओं से मुक्त रखा गया।
अब तिरुपति लड्डू विवाद के बाद यह मुद्दा फिर से उभरकर सामने आया है। साधु-संतों का मानना है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर कर, उनकी पवित्रता और स्वायत्तता सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस मांग को लेकर देशभर में बहस छिड़ी है, और सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर हो चुकी हैं। विश्व हिंदू परिषद और अन्य संगठनों ने इसे लेकर आंदोलन की तैयारी कर ली है।
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