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कांगो में फैल रही ‘रोने वाली’ रहस्यमयी बीमारी! 50 से ज्यादा की मौत, क्या हैं लक्षण?

किंशासाः कांगो के उत्तरी-पश्चिमी इक्वेटर प्रांत में एक अज्ञात बीमारी फैली है जिसकी वजह से अबतक 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। बीते पांच हफ्तों से यह बीमारी फैल रही है। इस बीमारी में मारे गए अधिकतर लोगों में मौत बीमार पड़ने के कुछ ही घंटों में हुई है। इसके प्रमुख लक्षणों में ‘रोना’ भी एक है। 

स्वास्थ्य अधिकारियों की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस बीमारी से 53 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि कुल मामले 419 दर्ज किए गए हैं। इसकी शुरुआत 21 जनवरी को हुई थी। सबसे पहले इसका प्रकोप दो गांवों में फैलना शुरू हुआ था। ये गांव 120 मील की दूरी पर स्थित है।  

अधिकारी कर रहे हैं जांच

अधिकारी इस मामले की जांच करने में जुटे हैं कि क्या दोनों गांवों में फैली बीमारी में किसी तरह का कोई लिंक है। अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह बीमारी कैसे फैल रही है क्या इसकी वजह मानव संचरण ( ह्यूमन ट्रांसमिशन) है। 

इसका पहला मामला बोलोको गांव में दर्ज किया गया है। यहां बीमारी की चपेट में आने के 48 घंटों के अंदर तीन बच्चों की मौत हो गई। वहीं बोमेट गांव में 400 से अधिक लोग बीमार हुए हैं जिसमें से कुछ मरीजों में मलेरिया के लक्षण पाए गए हैं। 

दोनों गांवों में फैली बीमारी के बीच बिकोरो अस्पताल के निदेशक सर्ज गालेबाटो (Surge Ngalebato) ने अंतर स्पष्ट किया है। वह सरकार की तरफ से बनाई गई रिस्पांस टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा ” पहले केस में असामान्य परिस्थितियों में अधिकतर लोगों की मौत हुई है, जिसकी हम जांच कर रहे हैं। दूसरे केस में हमने मलेरिया के बहुत से मामले देखे हैं।”

क्या हैं इसके प्रमुख लक्षण? 

कांगो के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 80 प्रतिशत मरीजों में बुखार, ठंड लगना, दस्त, शरीर में अकड़न जैसे लक्षण पाए गए हैं। इसके अलावा कुछ मरीजों में गर्दन और जोड़ों में दर्द की शिकायत भी पाई गई है। इसके अलावा पसीना आना और सांस लेने में तकलीफ भी होती है। 59 वर्षीय एक पीड़ित ने लगातार प्यास लगने की शिकायत की वहीं अधिकतर बच्चे लगातार रोते रहते हैं। 

इस बीमारी के कारण लगातार हुई मौतों के बाद इसे इबोला जैसी किसी बीमारी की तरह देखा जा रहा था। हालांकि, करीब एक दर्जन से अधिक लोगों के लिए गए सैंपल में इबोला और इसकी जैसी अन्य बीमारी जैसी मार्बग के लक्षण नहीं पाए गए हैं। 

इसकी जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लयूएचओ जांच कर रही है कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं। इसमें मलेरिया, वायरल हेमोरहैजिक फीवर, फूड/ वाटर प्वाइजनिंग, टाइफाइड या अन्य हैं। 

सरकार ने गांव में भेजे अधिकारी

वहीं कांगो सरकार ने भी अधिकारियों को दोनों गांवों में जांच के लिए भेजा है। इन लोगों को 14 फरवरी को भेजा गया था। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते पीड़ितों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। 

इसका पहला पीड़ित बोलोको गांव में पाया गया था जिसमें बच्चे ने चमगादड़ खाया था। ऐसे में यह भी जांच की जा रही है कि इसके पीछे जोनोटिक संचरण तो नहीं है। इस संचरण में जानवरों से मनु्ष्यों में बीमारी का प्रसार होता है। 

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि बीते एक दशक में अफ्रीका में इस तरह की बीमारियों में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसका एक कारण वहां रहने वाले लोगों का जंगलों में रहने वाले जानवरों से अधिक संपर्क हो सकता है। 

अमेरिका जो कि पहले कांगो के स्वास्थ्य क्षेत्र में सर्वाधिक दान देता था लेकिन ट्रंप की वापसी के बाद सभी तरह की विदेशी सहायता पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी। ऐसे में कांगो को इससे लड़ने में कोई मदद नहीं मिल पा रही है। 

अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...

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