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रिटायरमेंट के बाद नहीं लूंगा कोई आधिकारिक पद, फेयरवेल स्पीच में जस्टिस संजीव खन्ना

नई दिल्लीः भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन कहा कि वे रिटायर होने के बाद कोई आधिकारिक पद नहीं ग्रहण करेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह कानून के साथ अपनी सेवाएं देते रहेंगे। 

अपनी फेयरवेल स्पीच के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा  “मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद स्वीकार नहीं करूंगा.. लेकिन शायद कानून के साथ कुछ करूंगा।”

उनकी जगह जस्टिस बीआर गवई लेंगे। वह देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे।

जस्टिस वर्मा के बारे में क्या बोले?

वहीं, हाल ही में चर्चा में रहे जस्टिस यशवंत वर्मा से संबंधित सवाल में पूछा गया कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से कैसे निपटा गया, इसके जवाब में उन्होंने कहा, न्यायिक सोच निर्णायक और निर्णयात्मक होना चाहिए। 

हम सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष देखते हैं और निर्णय करते हैं कि क्या कुछ तर्कसंगत है। उन्होंने आगे कहा कि जब हम ऐसा करते हैं तो निर्णय लेते हैं। फिर भविष्य आपको बताता है कि आपने जो किया वो सही है या नहीं। 

समृद्ध कानूनी विरासत

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 1960 में हुआ था। वह एक समृद्ध कानूनी विरासत वाले परिवार से आते हैं। उनके पिता देव राज खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय में जज रह चुके हैं और मां सरोज खन्ना लेडी श्री राम कॉलेज में लेक्चरर थीं।

वह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एच आर खन्ना के भतीजे हैं। एच आर खन्ना ने केशवानंदन भारती केस में मूल ढांचे के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। 

वहीं, खन्ना के दादा जी सरल दयाल भी एक जाने-माने वकील थे। वह 1919 में जलियावाला बाग हत्याकांड की जांच करने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समिति में कार्यरत थे।

जस्टिस खन्ना का न्यायपालिका और एडवोकेसी में करीब तीन दशक का अनुभव है। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं। साल 2005 में वह दिल्ली हाई कोर्ट में आए और 2019 में सुप्रीम कोर्ट आए। इसके बाद नवंबर 2024 में देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने।

अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...

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