वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान और चीन परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि उत्तरी कोरिया और रूस भी अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं। ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब उन्होंने 33 साल के प्रतिबंध के बाद अमेरिकी सेना को परमाणु हथियार के परीक्षण करने के आदेश को सही ठहराया। ट्रंप के इस दावे से भारत के लिए चिंता की स्थिति हो रही है क्योंकि यह दो मोर्चों चीन और पाकिस्तान से सामना कर रहा है।
ट्रंप ने दावा किया कि परमाणु हथियार रखने वाले देश परीक्षण कर रहे हैं, बस वे इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान पहले से ही गुप्त रूप से परीक्षण कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने क्या चीन और पाकिस्तान को लेकर क्या कहा?
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि चीन परीक्षण कर रहा है लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते। ट्रंप ने आगे कहा कि आप जानते हैं कि हम एक खुला समाज हैं। हम अलग हैं। हम इस बारे में बात करते हैं…उनके पास ऐसे पत्रकार नहीं हैं जो इस बारे में लिखें।
चीन के अलावा ट्रंप ने पाकिस्तान और उत्तर कोरिया पर भी आरोप लगाते हुए दावा किया कि निश्चित रूप से उत्तर कोरिया परीक्षण कर रहा है। पाकिस्तान परीक्षण कर रहा है।
ट्रंप ने इसी इंटरव्यू में आगे एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान के बीच मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तनाव को रोकने का दावा किया। ट्रंप ने कहा कि मई में भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध की कगार पर थे जिसे उन्होंने व्यापार और टैरिफ के जरिए रोका था। उन्होंने कहा कि अगर वह बीच में नहीं आते तो लाखों लोग मारे जा सकते थे।
ट्रंप ने आगे कहा कि “भारत पाकिस्तान के साथ परमाणु युद्ध में जा रहा था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तैयार थे… अगर डोनाल्ड ट्रंप शामिल नहीं होते तो लाखों लोग मारे जा सकते थे। यह एक बुरा युद्ध था। सभी जगह हवाई जहाज गिराए गए। मैंने उन दोनों से कहा – अगर आप लोग नहीं रुके तो आप अमेरिका के साथ कोई व्यापार नहीं कर पाएंगे।”
ट्रंप ने कहा कि वे (परमाणु हथियार वाले देश) आपको इसके बारे में बताने नहीं जाते… वे जमीन के नीचे परीक्षण करते हैं जिसके बारे में लोगों को पता नहीं चलता कि परीक्षण में क्या हो रहा है। आपको हल्का सा कंपन महसूस होता है।
वैश्विक निगरानी केंद्र जमीनी कंपनों का पता लगाते हैं जो भूकंप जैसी लहरें होती हैं, जो भूमिगत परमाणु विस्फोटों के कारण होती हैं। हालांकि, ट्रंप ने दावा किया कि ऐसे परीक्षण गुप्त रूप से किए जा सकते हैं जिससे उनका पता नहीं चल पाता।
चीन और पाकिस्तान का परीक्षण भारत के लिए खतरा?
यदि चीन और पाकिस्तान वास्तव में परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं तो यह भारत के लिए स्थिति को और अधिक अस्थिर बना देता है। भारत न केवल पहले प्रयोग न करने की नीति का पालन करता है। इसके साथ ही भारत ने साल 1998 से कोई भी परमाणु परीक्षण नहीं किया है।
भारत के परमाणु शस्त्रागार जिसमें 2025 तक 180 आयुधों का अनुमान है। यह चीन के बढ़ते परमाणु आयुधों से पीछे है। वहीं पाकिस्तान की संख्या के लगभग बराबर है, उसके पास 170 परमाणु आयुध हैं।
पाकिस्तान की विखंडनीय प्रणाली साल 2028 तक 200 परमाणु बमों को ईंधन दे सकती है, इनमें सामरिक परमाणु हथियार भी शामिल हैं। वहीं चीन की उन्नत शक्तियां भी भारत के लिए चिंता पैदा कर सकती हैं। जैसे 2021 में परीक्षण हुआ फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बॉम्बार्डमेंट सिस्टम (FOBS), यह भारत के नवजात पृथ्वी रक्षा वाहन इंटरसेप्टरों से बचते हुए आंशिक पृथ्वी की कक्षाओं में परमाणु बमों को तैनात करता है।
भारत के पोखरण – II के थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण पर भी संदेह बना हुआ है क्योंकि डीआरडीओ के वैज्ञानिक के. संथानम ने इसे “असफल” बताया था जिसमें 200 किलोटन के बजाय केवल 10-15 किलोटन की क्षमता प्राप्त हुई थी। इससे विश्वास और कम हुआ है।
ऐसे में अब अमेरिका द्वारा परमाणु हथियारों का परीक्षण करने के कदम तथा चीन और पाकिस्तान द्वारा गुप्त रूप से परीक्षण करने के दावों ने भारत के लिए पोखरण- III के लिए रास्ता खोल दिया है। ये भारत की हाइड्रोजन बम की प्रभावकारिता को प्रमाणित करेगा तथा अग्नि-VI अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइलों
या K-5 पनडुब्बी से प्रक्षेपित मिसाइलों की क्षमता को कम करेगा।

