Chhath puja 2025: भगवान भास्कर की आराधना का महापर्व छठ इस बार अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देने जा रहा है। व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT/कैट) के अनुसार, पूरे भारत में इस त्योहार से जुड़े व्यापार का आंकड़ा 38,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। कैट के अनुसार, यह पिछले साल की तुलना में लगभग 22 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल यह आंकड़ा करीब 31,000 करोड़ रुपये था। जबकि 2023 में यह आंकड़ा 27,000 करोड़ रुपये था।
चार दिनों तक चलने वाला छठ पर्व अब सिर्फ धार्मिक नहीं रहा, यह स्थानीय व्यापार और स्वदेशी उत्पादों का बड़ा केंद्र बन चुका है। कैट के अनुसार, इस बार देशभर में करीब 15 करोड़ लोग छठ पूजा में भाग ले रहे हैं। चार दिन तक चलने वाले इस लोकपर्व की शुरुआत ‘नहाए-खाए’ से हुई और समापन उषा अर्घ्य से होगा। यह परंपरा हर साल पूरे श्रद्धा भाव से निभाई जाती है। पहले यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार और पूर्वांचल तक सीमित था, लेकिन अब यह पूरे भारत का पर्व बन चुका है। यहां तक विदेशों में भी बिहार और यूपी के प्रवासी धूम धाम से छठ पर्व मनाते हैं।
दिल्ली में इस बार छठ से जुड़ा व्यापार 6,000 करोड़ रुपये से अधिक रहने का अनुमान है। शहर में 1,500 से ज्यादा घाट सजाए गए हैं, जिसमें यमुना घाट, कलिंदी कुंज, वजीराबाद और गीता कॉलोनी प्रमुख हैं। लोग पारंपरिक छठ सामग्री जैसे बांस की टोकरी (सुप, दौरा, डालिया), मिट्टी के दीपक, गुड़, फल, मिठाइयां, साड़ियां, बर्तन और पूजा सामग्री खरीद रहे हैं।
कैट के महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि छठ पूजा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का भी प्रतीक है। इससे छोटे व्यापारी, कारीगर और स्थानीय उद्योग को सीधा लाभ मिलता है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” के विजन को मजबूत करता है।
छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर सामान स्थानीय कारीगरों के हाथों से बने होते हैं। इससे ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को रोजगार मिलता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। खंडेलवाल ने कहा कि छठ सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि साफ-सफाई, पर्यावरण जागरूकता और आत्मअनुशासन का संदेश देने वाला त्योहार है। इसी वजह से इसे भारत के सबसे समग्र और अर्थपूर्ण पर्वों में गिना जाता है।
ग्लोबल पर्व बना चुका है छठ
लोकल से ग्लोबल तक फैल चुकी छठ पूजा इस बार इंग्लैंड के बर्मिंघम में भी धूमधाम से मनाई जा रही है। बिहार और पूर्वांचल के लोग, जो विदेश में बसे हैं, अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखते हुए विधिवत पूजा अर्चना कर रहे हैं। इस साल लगभग 500 परिवार इस आयोजन में शामिल होंगे। कार्यक्रम का आयोजन वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में किया गया है। महिलाओं ने पारंपरिक रीतियों का पालन करते हुए चने और कद्दू की दाल, चावल तैयार किया और मिलजुलकर उसका सेवन किया। खरना से लेकर उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने तक की पूरी व्यवस्था बनाई गई है।
संयोजक अजय कुमार ने आईएएनएस को बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार करीब 100 अतिरिक्त परिवार शामिल हुए हैं, जो छठ पूजा में लोगों के अटूट विश्वास को दर्शाता है। इस वर्ष कुल 13 महिलाएं व्रत रख रही हैं, और उनकी पूरी व्यवस्था दो महीने पहले से शुरू कर दी गई थी। दउरा, डलिया, सूथनी जैसी सामग्री भारत से मंगाई गई।
समूह ने इस बार अगली पीढ़ी को छठ की महिमा से जोड़ने के लिए बच्चों के लिए पेंटिंग और छठ गीत प्रतियोगिता, एनीमेशन सहित कई कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। निशांत नवीन बताते हैं कि इस बार पूजा में बर्मिंघम स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारी और स्थानीय पार्षद भी शामिल होंगे।
छठ के प्रसाद की व्यवस्था इस बार भी विशेष है। कुल 6000 ठेकुआ तैयार किए गए हैं, जिन्हें परिवारों तक मुफ्त पहुंचाया जाएगा। पारितोष कहते हैं, “सिर्फ यही सोच है कि जो लोग किसी कारणवश पूजा में शामिल नहीं हो पाए, उन्हें भी प्रसाद मिल सके और परदेस में रहने के बावजूद देश में होने का एहसास रहे।”
बता दें कि इस बार छठ के पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर, शनिवार से होने जा रही है और इसका समापन 28 अक्टूबर, मंगलवार को होगा।

