ओटावाः कनाडा द्वारा हाल ही में एक ऐसे सिख व्यक्ति को शरण देने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है, जिसे भारत में खालिस्तानी आतंकियों को पनाह देने का आरोपी माना गया था। इस कदम ने न केवल खालिस्तान आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर कनाडा की नीति पर सवाल उठाए हैं, बल्कि दोनों देशों के पहले से तनावपूर्ण संबंधों को और भी जटिल बना दिया है।
सुरक्षा कारणों से इस शख्स का नाम गुप्त रखा गया है। दिव्य टीवी की रिपोर्ट के अनुसार यह व्यक्ति भारत में लंबे समय तक कानूनी पचड़े में फंसा रहा, लेकिन अब उसे कनाडा में मानवाधिकारों के आधार पर शरण दी गई है।
इस व्यक्ति ने कनाडा में प्रवेश से पहले अपने आप्रवासन दस्तावेजों को लेकर लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। भारत में उसे खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े लोगों को शरण देने का आरोपी बनाया गया था, जो एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र के लिए संघर्ष कर रहा है। जबकि भारत ने उस पर अपने कानूनों को तोड़ने का आरोप लगाया है, कनाडा के अधिकारियों ने उसे मानवाधिकार के आधार पर शरण दी है।
आलोचकों का कहना है कि ऐसे व्यक्तियों को कनाडा में शरण देना, देश की आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करता है। उनका मानना है कि ऐसे प्रवासियों को कनाडा में बसाना अलगाववादी ताकतों को और प्रोत्साहित कर सकता है। दूसरी ओर, कनाडाई अधिकारी इस फैसले को मानवाधिकार और शरण के सिद्धांतों के अनुरूप बताते हैं।
कनाडा की सरपरस्ती में फल-फूल रहा खालिस्तान आंदोलन
खालिस्तान आंदोलन, जो भारत से अलग एक स्वतंत्र सिख राज्य की मांग करता है, लंबे समय से भारत और कनाडा के बीच तनाव का कारण रहा है। भारत ने लगातार कनाडा पर खालिस्तानी उग्रवादियों को शरण देने का आरोप लगाया है। जबकि कनाडाई अधिकारी अभिव्यक्ति और सभा की स्वतंत्रता का समर्थन करते रहे हैं, भले ही ये आंदोलनों विवादित राजनीतिक विचारों से जुड़े हों।
पिछले कुछ महीनों में, दोनों देशों के बीच संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं, खासकर तब जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया। भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि निज्जर एक आतंकवादी था और उसका हिंसक अलगाववादी गतिविधियों से संबंध था।
कनाडा में उच्चायुक्त रहे संजय वर्मा
इन आरोपों के बाद भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त और राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया। भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों को “राजनीति से प्रेरित” बताया और कहा कि कनाडाई सरकार द्वारा कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया गया। वर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर भारत के खिलाफ उग्रवादियों को समर्थन दिया है और इससे भारत-कनाडा संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
कनाडा में आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल
कनाडा में भी ट्रूडो के नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। कनाडाई मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रूडो की अपनी पार्टी के कई सांसद उनके नेतृत्व से नाखुश हैं और जल्द ही उनके इस्तीफे की मांग कर सकते हैं।
ट्रूडो ने एक जांच के दौरान स्वीकार किया कि निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप ठोस सबूतों पर आधारित नहीं थे, बल्कि यह खुफिया जानकारी थी। इससे भारत-कनाडा संबंधों में और तनाव बढ़ने की संभावना है, क्योंकि भारत ने ट्रूडो पर राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम करने का आरोप लगाया है।
माना जा रहा है कि कनाडा द्वारा इस नए सिख व्यक्ति को शरण देने का मामला, पहले से ही चुनौतीपूर्ण भारत-कनाडा संबंधों को और भी जटिल बना रहा है। यह मामला दोनों देशों के बीच खालिस्तान मुद्दे को लेकर पहले से मौजूद कड़वाहट और असहमति को और बढ़ा सकता है, जिससे भविष्य में इन संबंधों पर और असर पड़ने की संभावना है।