क्या 'वेटिंग लिस्ट' का झंझट होगा हमेशा के लिए हो जाएगा खत्म...सभी यात्रियों को मिलेगा कन्फर्म टिकट? क्या है रेलवे का प्लान

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Will the hassle of waiting list end forever will all passengers get confirmed tickets What is indan railway plan

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:WAP-4_Class_locomotive_of_Indian_Railways.jpg)

भारतीय रेलवे साल 2030 तक'वेटिंग लिस्ट' को खत्म करना चाहती है और इसके लिए बहुत पहले से तैयारियां भी शुरू हो चुकी है। रेलवे की यह तैयारी है कि वह आने वाले कुछ सालों में कुछ और नए ट्रेनों को ट्रैक पर उतारे, साथ ही रेलवे लाइन की संख्या में भी बढ़ोतरी करे। यही नहीं ट्रेन के ट्रिप को भी बढ़ाने की योजना है।

हाल में केंद्रीय रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि अगले पांच सालों में वेटिंग लिस्ट' का झंझट हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा और हर किसी को कन्फर्म टिकट मिलेगा। ऐसे में क्या सच में टिकट की यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा और इसे लेकर रेलवे का क्या प्लान है, आइए जान लेते हैं।

अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा है

मामले में बोलते हुए केंद्रीय रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अगले पांच वर्षों में, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी है कि रेल यात्रा करने के दौरान किसी भी यात्री को आसानी से कन्फर्म टिकट मिलेगा।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में पीएम मोदी ने रेलवे में अभूतपूर्व परिवर्तन किए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, "अगले पांच वर्षों में, पीएम मोदी की गारंटी है कि रेलवे की क्षमता इतनी बढ़ा दी जाएगी कि यात्रा करने वाले लगभग हर यात्री को आसानी से कन्फर्म टिकट मिल सके।"

क्या है रेलवे का प्लान

रेलवे का यह प्लान है कि वह आने वाले कुछ सालों में नई ट्रेनों के लिए एक लाख करोड़ रुपए का निवेश कर पुराने ट्रेनों को नए ट्रेनों से बदले। इसके लिए सात से आठ हजार नई ट्रेन को जोड़ने का प्लान है। इन ट्रेनों की खरीदारी के लिए आने वाले चार से पांच सालों में टेंडर भी निकाले जाएंगे जो अगले 15 साल तक खरीदारी को पूरा कर लिया जाएगा।

इससे पहले रेल मंत्री ने कहा था कि वित्त वर्ष 2024 के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपए के बजट का 70 फीसदी फंड पहले ही उपयोग किया जा चुका है और ट्रैक तय समय पर बिछाया जा रहा है। हाल में एजेंसी से बात करते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे ट्रैक बनाने की प्रक्रिया में 2004 से 2014 के बीच लगभग 17,000 किलोमीटर के ट्रैक बनाए गए थे।

उनके अनुसार, "2014 से 2024 तक 31,000 किलोमीटर नए ट्रैक बनाए गए। 2004 से 2014 तक 10 वर्षों में, केवल लगभग 5,000 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया है जबकि पिछले 10 वर्षों में, आश्चर्यजनक रूप से 44,000 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ।"

कोच की संख्या में भी हुई है बढ़ोतरी

बातचीत में अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा कि "2004-2014 तक केवल 32,000 कोच बनाए गए थे। पिछले 10 साल में 54,000 कोच बनाए गए। वहीं, माल ढुलाई के लिए गलियारा 2014 से पहले एक भी किलोमीटर चालू नहीं किया गया था।

अब, 2,734 किलोमीटर के दो समर्पित माल गलियारे चालू किए गए हैं।" बता दें कि पूर्वी और पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर पर भी अच्छा काम चल रहा है जिससे सिंगल ट्रैक का लोड बहुत हद तक कम हो जाएगा।

देश की बढ़ती आबादी और मौजूदा लोड के कारण भविष्य में यात्रियों की संख्या बढ़ने को लेकर रेलवे काफी चिंतित है और इससे निपटने के लिए 2030 तक लगभग 12 लाख करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता है।

भारत में हर रोज 10,754 ट्रेन चलती हैं जो सलाना 700 करोड़ यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है, ऐसे में साल 2030 तक यह आंकड़ा 1000 करोड़ होने वाला जिसके लिए तीन हजार और ट्रिप जोड़ने का विचार किया जा रहा है।

यही नहीं दिल्ली-हावड़ा और मुंबई-हावड़ा जैसे सात उच्च घनत्व वाले गलियारों पर भी जरूरी बदलाव कर इस रूट के लोड को कम करने की योजना बन रही है।

ऐसे में इन बदलाव के जरिए रेलवे का यह कहना है कि वे आने वाले 2030 तक भारतीयों के लिए ट्रेन यात्रा काफी सरल बना देगी। यही नहीं रेलवे में इन बदलाव के जरिए'वेटिंग लिस्ट'की समस्या से भी साल 2030 तक छुटकारा पाया जा सकता है।

एजेंसी इनपुट के साथ

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