आखिर क्यों सऊदी अरब के 'नियोम' प्रोजेक्ट के अधिकारी कर रहे हैं चीन से यूरोप तक का सफर, जानें 'द लाइन' को लेकर कौन सी चुनौतियां आ रहीं सामने

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why officials of Saudi Arabia Neom project traveling from China to Europe know what challenges coming in front The Line

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (फोटो- IANS)

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने साल 2017 में 'नियोम' प्रोजेक्ट का ऐलान किया था। तब से लेकर अब तक इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है लेकिन अब खबर आ रही है कि इस प्रोजेक्ट के सामने कुछ चुनौतियां हैं।

बिजनेस इंसाइडर इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इसके लिए 'नियोम' प्रोजेक्ट के अधिकारियों को अब दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर निवेशकों को इसके बारे में बताना पड़ रहा है।

न्यूज साइट द विंटेज के अनुसार, एक तरफ प्रोजेक्ट के अधिकारी फंडिंग के लिए दूसरे देशों का दौरा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस परियोजना को लेकर वास्तुकार, अर्थशास्त्री और निवेशक इसकी व्यवहार्यता और लागत पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

ऐसे में 'नियोम' प्रोजेक्ट के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां हैं और इससे सऊदी सरकार कैसे निपट रही है, आज के इस लेख में हम यही जानने की कोशिश करेंगे।

क्या है यह प्रोजेक्ट

'नियोम' प्रोजेक्ट क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वे इसे साल 2030 तक चालू करना चाहते हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत सऊदी अरब के रेगिस्तान पर एक आधुनिक और हाईटेक शहर बसाने की कोशिश की जा रही है।

इस परियोजना में 170 किलोमीटर लंबी लाइन में मेगा सिटी बनाने की तैयारी है जिसमें हर तरह की सुविधा होगी। यहां कारें नहीं बल्कि फास्ट ट्रेन की सर्विस दी जाएगी।

प्रोजेक्ट के प्लान में क्या हुए बदलाव

न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोजेक्ट के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनसे सऊदी सरकार निपटने में लगी है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2030 तक 170 किलोमीटर लंबी रेखा के बजाय केवल 2.4 किलोमीटर की ही 'द लाइन' तैयार हो पाएगी।

यही नहीं पहले यह कहा गया था कि इसमें 15 लाख लोग रह पाएंगे, जिसे अब घटाकर तीन लाख कर दिया गया है। इन सब के अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूरों को हटाने की भी प्रक्रिया शुरू हो गई है।

फंड की मार झेल रहा है प्रोजेक्ट

द विंटेज के अनुसार, प्रोजेक्ट के भविष्य और इसमें लागत के सवालों के बीच सऊदी अरब दुनिया भर से निवेशकों को आकर्षित करने में जुट गया है। इसके लिए चीन से भी चर्चा की गई है और इसके अधिकारियों ने वहां रोड शो भी किया है। चीन से फंडिंग पाने के लिए अधिकारियों ने बीजिंग से शंघाई और फिर हांगकांग का भी दौरा किया है।

बिजनेस इंसाइडर इंडिया ने वॉल स्ट्रीट जर्नल का हवाला देते हुए कहा है कि देश ने 'नियोम' और अन्य विज़न 2030 "मेगा प्रोजेक्ट्स" की मदद के लिए उधार लेना भी शुरू कर दिया है।

यही नहीं बिजनेस इंसाइडर इंडिया ने यह भी कहा है कि ब्लूमबर्ग के पिछले हफ्ते की एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब इस परियोजना के लिए पहली बार बांड जारी करने की भी योजना बना रहा है।

ऐसे में फंडिंग के लिए अधिकारियों ने सियोल, टोक्यो, सिंगापुर, न्यूयॉर्क शहर, बोस्टन, वाशिंगटन, डी.सी., मियामी, लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को, पेरिस, बर्लिन और लंदन जैसे शहरों में भी रोड शो किया है।

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