नई दिल्ली: माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर (अब एक्स) को टक्कर देने वाला भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू (Koo) अब बंद होने को जा रहा है। चार साल पहले लॉन्च किया गया Koo प्लेटफॉर्म एक्स (X) के एक विकल्प के रूप में उभर के सामने आ रहा था।
फ्लेटफॉर्म के फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण और उसके को-फाउंडर मयंक बिद्वतका ने लिंक्डइन पर इस बात की जानकारी दी है। फाउंडरों का कहना है कि कई बड़ी कंपनियों के साथ इसके अधिग्रहण की कोशिश फेल होने के बाद इसे बंद करने का फैसला लिया गया है।
डेलीहंट से भी अधिग्रहण के लिए नहीं बनी थी बात
बता दें कि कू के अधिकरण के लिए कई बड़ी इंटरनेट कंपनियां, समूह और मीडिया हाउस से भी बात की गई थी लेकिन यह डील पक्की नहीं हो पाई थी। इसी साल फरवरी में एक अन्य रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि कू के फाउंडरों ने बैंगलोर स्थित समाचार एग्रीगेटर डेलीहंट से भी इसके अधिग्रहण को लेकर चर्चा की थी लेकिन वह भी फेल ही साबित हुआ था।
इस कारण खरीदार नहीं हुए थे तैयार
कू के अधिग्रहण नहीं होने के कारण पर बोलते हुए फाउंडर ने कहा कि प्लेटफॉर्म के खरीदारों ने यूजर द्वारा तैयार किए गए कंटेंट में कम रूचि दिखाया है और एक सोशल मीडिया को चलाने में आने वाली जटिल समस्याओं के कारण इसकी डील पक्की नहीं हो पाई है।
एक अन्य स्थानीय एप शेयरचैट को भी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा था। ऐसे में एप को बड़ी कटौती और छंटनी का सामना करना पड़ा जिससे 2022 में इसके वैल्यू में 60 फीसदी से अधिक की गिरावट आई थी।
एक्स से अधिक यूजर बनाने का था कू का लक्ष्य
कू जब चरम पर था तब इसके 10 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता और 2.1 मिलियन यूजर इसे प्रतिदिन इस्तेमाल करते थे। कू के पास करीब नौ हजार वीआईपी यूजर भी थे।
भारत में इसने लोकप्रियता तब हासिल की थी जब भारत सरकार और ट्विटर के बीच कुछ पोस्ट हटाए जाने को लेकर विवाद चला था और इस समय इसके एप के खूब इंस्टॉल भी हुए थे। साल 2022 में कू आने वाले कुछ सालों में एक्स के यूजर से भी अधिक यूजर बनाने का लक्ष्य था।
फंडिंग मंदी के कारण भी कू पर पड़ा असर
हाल के कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर जिस तरह से कई स्टार्टअप्स प्रभावित हुई हैं इसका असर कू पर भी पड़ा है और लंबे समय से फंडिंग मंदी के कारण इसका ग्रोध नहीं हो पाया है।
कू के फाउंडर राधाकृष्ण ने कहा है कि प्लेटफॉर्म से मुनाफा कमाने से पहले इसे पांच से छह साल का समय देना होगा और इसके लिए इतने लंबे समय तक की पूंजी की भी जरूरत है। इसे चलाने के लिए लगने वाले उच्च लागत के कारण भी इसे बंद किया जा रहा है।
कू के लिए कुछ भी नहीं आया काम
बड़े निवेशक जैसे एक्सेल और टाइगर ग्लोबल की फंडिंग के बावजूद कू अपने आप को बंद होने से बचा नहीं पाया है। 3one4 कैपिटल सहित अन्य निवेशकों से 66 मिलियन डॉलर का फंड जुटाने के बाद कू का वैल्यू 274 मिलियन डॉलर हो गया था।
पिछले साल कू को नई फंडिंग नहीं मिल पाई थी और वह इसके लिए संघर्ष कर रहा था। इसके बाद कू का अन्य कंपनियों में विलय की भी योजना बनाई गई थी और वह भी फेल ही हो गई है।
खर्चे कम कर और कर्मचारियों को भी निकालकर देख चूका था कू
एक रिपोर्ट के अनुसार, कू ने अपने कुछ खर्चे भी कम किए थे और कई कर्मचारियों को भी काम से निकाला था लेकिन फिर भी प्लेटफॉर्म को चलाना चुनौती हो गई थी। सूत्रों का कहना है कि कंपनी अपनी क्लाउड क्रेडिट जैसी कुछ डिजिटल संपत्तियां बेच भी सकती है।
पिछले साल कू ने ब्राजील के बाजार में भी अपना विस्तार किया था। इन सब कोशिशों के बावजूद प्लेटफॉर्म खुद को बंद होने से रोक नहीं पाया है।
कौन है फाउंडर
कू को शुरू करने से पहले फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण टैक्सी सर्विस कंपनी टैक्सी फॉर श्योर शुरू की थी। इस कंपनी को 2015 में ओला ने खरीदा लिया था। टैक्सी फॉर श्योर में मयंक बिदावतका भी काम करते थे और उसमें वे अप्रमेय के सहयोगी थे।