क्यों गोदरेज परिवार ने 127 साल पुराने कारोबारी समूह को बांटने का फैसला लिया, बंटवारे में किसे क्या मिलेगा?

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Why did the Godrej family decide to split the 127-year-old business group? Who will get what in the split?

Mumbai: Godrej Group Chairman Adi Godrej, art patron Pheroza Godrej, Godrej Industries Ltd MD Nadir Godrej, his son Burjis Godrej and wife Rati Godrej and former ISRO Chairman K. Radhakrishnan at the the 29th Qimpro Awards in Mumbai on Nov 16, 2018. (Photo: IANS

127 साल पुराने कारोबारी समहू गोदरेज में बंटवारा हो गया है। गोदरेज समूह दो हिस्सों में बंटने जा रहा है। जिसमें एक ग्रुप का स्वामित्व आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर के हाथों में रहेगा जबकि दूसरे ग्रुप का स्वामित्व उनके चचेरे भाई-बहन जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज कृष्णा के पास चला गया है। गोदरेज की शुरुआत ताला बनाने के साथ हुई। आज यह कारोबारी समूह साबुन, घरेलू उपकरण और रियल एस्टेट जैसे कई क्षेत्रों में काम करता है।

क्यों हुआ गोदरेज समूह में बंटवारा?

गोदरेज परिवार ने अपने बयान में बताया है कि कंपनियों में उनके शेयरधारिता के स्वामित्व को “ओनरशिप रीअलाइनमेंट” के तौर पर समूह को दो हिस्सो में बांटने का फैसला किया। बयान में आगे कहा गया है कि, "यह पुनर्गठन सम्मानजनक तरीके से किया गया है ताकि परिवार में सौहार्द बना रहे और गोदरेज परिवार के सदस्यों के अलग-अलग विचारों को स्वीकारते हुए स्वामित्व को बेहतर ढंग से व्यवस्थित किया जा सके। इससे रणनीतिक दिशा, फोकस और तेजी को बढ़ावा मिलेगा, और साथ ही शेयरधारकों और अन्य सभी हितधारकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य सृजित करने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।"

गोदरेज परिवार के कारोबार में बंटवारा, किसे क्या मिलेगा?

गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप (जीईजी): अब जमशेद गोदरेज (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक) और न्यारिका होल्कर (कार्यकारी निदेशक) अपने परिवारों के साथ मिलकर इस ग्रुप को चलाएंगे। इस ग्रुप में गोदरेज एंड बॉयस (जीएंडबी) और उसकी जैसी दूसरी कंपनियां आती हैं, जो इंजीनियरिंग, फर्नीचर, तिजोरी जैसे सामान बनाती हैं।

गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप (जीआईजी): इस ग्रुप में अब नादिर गोदरेज (अध्यक्ष) के साथ आदि गोदरेज और उनके परिवार मिलकर काम करेंगे। इस ग्रुप में गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफसाइंसेज जैसी जानी-मानी कंपनियां शामिल हैं, जिनके शेयर शेयर बाजार में खरीदे और बेचे जा सकते हैं।

गोदरेज समूह का इतिहास

127 साल पुराने गोदरेज समूह की स्थापना 1897 में हुई।  वकील से सफल उद्यमी बने अर्देशिर गोदरेज ने अपने छोटे भाई पीरोशा के साथ मिलकर ताले बनाने के काम शुरू किया। ताला कारोबार में आने से पहले अर्देशिर ने सर्जिकल स्ट्रूमेंट्स का व्यापार शुरू किया था जिसमें वे कामयाब नहीं हुए। अर्देशिर की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उनके छोटे भाई पीरोशा को कंपनी का ग्रुप विरासत में मिला। पीरोशा के चार बच्चे थे: सोहराब, दोसा, बर्जोर और नवल। आगे चलकर, कंपनी की कमान बर्जोर (आदि और नादिर) और नवल (जमशेद और स्मिता) के वंशजों को मिली, क्योंकि सोहराब की कोई संतान नहीं थी। दोसा का एक बेटा रिषद था, लेकिन उनके भी कोई संतान नहीं हुए।

कारोबार में गोदरेज परिवार ने कई उतार चढ़ाव का सामना किया। शुरुआत में ये सिर्फ ताले बनाते थे। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, 50 के दशक में गोदरेज ने कई चीजेंं बनानी शुरू कर दीं। जिसमें रसायन, फर्नीचर, सुरक्षा समाधान, रियल एस्टेट, घर और व्यक्तिगत देखभाल के सामान, सामान्य इंजीनियरिंग से लेकर , बिजली और ऊर्जा, अंतरिक्ष, आंतरिक रसद, बुनियादी ढांचा, खाद्य और कृषि उत्पाद, सूचना प्रौद्योगिकी और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं।

अर्देशिर ने 1918 में स्वदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर छवि नाम से साबुन लॉन्च किया। वहीं साल 1923 में अलमारी बनाने का काम शुरू किया। वहीं आजाद भारत के पहले आम चुनाव के लिए 1951 में गोदरेज ने चुनाव के लिए 17 लाख मतपेटिया भी बनाई। कंपनी ने इसके बाद फ्रिज, रियल एस्टेट, कृषि, रिटेल और स्पेस सेक्टर में भी कदम रखा। चंद्रयान-3 मिशन में इसरो के लिए लिक्विड इंजन का निर्माण गोदरेज एयरोस्पेस ने किया था।

बता दें कि गोदरेज मुंबई के सबसे बड़े जमींदारों में से एक है। उनके पास लगभग 3,400 एकड़ जमीन है, जिसमें विक्रोली उपनगर में 3,000 एकड़ का एक भूखंड भी शामिल है। यह 3 हजार एकड़ जमीन आदि गोदरेज के दादा, पीरोशा ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों से खरीदी थी। बाद में उन्होंने 400 एकड़ और जमीन ( जो बाकी भांडुप और नाहुर में है)  खरीदी, जिससे कुल जमीन 3,400 एकड़ हो गई। गौर करने वाली बात ये है कि करीब 2,000 एकड़ जमीन तो मैंग्रोव के पेड़ों से भरी है। 2013 में आदी ने कहा था कि वो इस हिस्से को नहीं बनाना चाहते क्योंकि मुंबई में काफी मैंग्रोव के पेड़ों को काट दिया गया है। आदि के इस बयान से दो साल पहले, गोदरेज प्रॉपर्टीज (अब आदि के अधीन) ने विक्रोली की जमीन को बनाने के लिए गोदरेज एंड बॉयस (अब जमशेद के अधीन) के साथ एक समझौता किया था। रिपोर्ट के अनुसार, फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) के माध्यम से गोदरेज समूह की एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में भी अच्छी मौजूदगी है।

रिशेद नौरोजी गोदरेज के अपने शेयर करेंगे गिफ्ट

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरबपति रिशद कैखुशरू नौरोजी ने गोदरेज कंपनी के अपने शेयर रिश्तेदारों को तोहफे में देने का फैसला लिया है। रिशद नौरोजी अपने अधिकांश शेयर भतीजे और भतीजियों को उपहार में देंगे। उनके पास गोदरेज कंज्यूमर, गोदरेज प्रॉपर्टीज और गोदरेज इंडस्ट्रीज जैसी संस्थाओं में करीब 7 हजार करोड़ रुपए के मूल्यांकन शेयर हैं।

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