नई दिल्लीः भारत में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर अप्रैल 2025 में घटकर 0.85 प्रतिशत पर आ गई है, जो कि पिछले 13 महीनों का सबसे निचला स्तर है। मार्च 2025 में यह दर 2.05 प्रतिशत दर्ज की गई थी। यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को जारी की।

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी को थोक महंगाई में इस गिरावट का प्रमुख कारण बताया गया है। अप्रैल में खाद्य उत्पादों पर थोक महंगाई घटकर 2.55 प्रतिशत रही, जबकि मार्च में यह 4.66 प्रतिशत थी।

मंत्रालय ने बताया कि अप्रैल में थोक महंगाई दर सकारात्मक बनी रही, जिसका कारण खाद्य वस्तुओं, रसायन और रासायनिक उत्पादों, परिवहन उपकरणों और अन्य मशीनरी के निर्माण में आई महंगाई है।

मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों पर महंगाई दर बढ़कर 2.62 प्रतिशत

मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों पर महंगाई दर बढ़कर 2.62 प्रतिशत हो गई है। वहीं, ईंधन एवं ऊर्जा वर्ग में यह घटकर 2.18 प्रतिशत, और प्राथमिक वस्तुओं में 1.44 प्रतिशत दर्ज की गई।

इस बीच, खुदरा महंगाई दर (CPI) में भी राहत देखने को मिली है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में खुदरा महंगाई घटकर 3.16 प्रतिशत पर आ गई, जो मार्च में 3.34 प्रतिशत थी। यह जुलाई 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है।

यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही है।

आरबीआई को मिल सकती है दरों में कटौती की गुंजाइश

महंगाई में यह नरमी मौद्रिक नीति में नरमी के संकेत देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रुझान बना रहता है, तो आने वाले महीनों में आरबीआई के पास रेपो रेट में और कटौती करने की गुंजाइश होगी।

गौरतलब है कि फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति बैठकों में पहले ही केंद्रीय बैंक 25-25 आधार अंकों की कटौती कर चुका है, जिससे वर्तमान में रेपो रेट 6 प्रतिशत पर है।