नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नया गवर्नर मिलने जा रहा है। सामने आई जानकारी के अनुसार, संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक का नया गवर्नर नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल में विस्तार नहीं किए जाने के बाद की गई है, जो लगातार मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ था। मल्होत्रा आरबीआई का गर्वनर पद बुधवार (11 दिसंबर) को संभालेंगे। शक्तिकांत दास का कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म होगा।
संजय मल्होत्रा 1990 बैच के IAS अधिकारी
संजय मल्होत्रा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तहत राजस्थान कैडर से अपनी सेवा शुरू की थी। वह 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। बतौर आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का कार्यकाल तीन साल का होगा। शक्तिकांत दास ने उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारियां संभाली थी।
बहरहाल, संजय मल्होत्रा के पास वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में काफी अनुभव है। उन्होंने भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव के तौर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। इसके अलावा, उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों में टैक्स और वित्तीय मामलों का भी गहरा अनुभव है।
मल्होत्रा वर्तमान में वित्त मंत्रालय (MoF) में राजस्व सचिव के रूप में कार्यरत हैं। राजस्व सचिव के रूप में मल्होत्रा ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर दोनों से संबंधित टैक्स पॉलिसी पर काम किया और इसे संभाला। मल्होत्रा ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT-Kanpur) से कंप्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। साथ ही उनके पास प्रिंसटन विश्वविद्यालय, अमेरिका से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर की डिग्री भी है।
2018 में शक्तिकांत दास बने थे गवर्नर
शक्तिकांत दास का कार्यकाल भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में 2018 में शुरू हुआ था और उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लिए गए। हालांकि, सरकार ने उनके कार्यकाल में कोई विस्तार करने का निर्णय नहीं लिया है।
शक्तिकांत दास भी आरबीआई गवर्नर से पहले वित्त मंत्रालय में सचिव के पद पर कर चुके थे। दास को इस अक्टूबर में लगातार दूसरे वर्ष ग्लोबल फाइनेंस पत्रिका द्वारा ए+ ग्रेड से सम्मानित किया गया था और विश्व स्तर पर शीर्ष केंद्रीय बैंकर नामित किया गया।
संजय मल्होत्रा के सामने बतौर गवर्नर क्या होंगी चुनौतियां?
नए आरबीआई गवर्नर यानी संजीव मल्होत्रा को उच्च मुद्रास्फीति आंकड़ों के साथ विकास की उम्मीदों को संतुलित करने की चुनौती का सामना करना होगा। गौरतलब है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था सात तिमाहियों में सबसे धीमी गति से बढ़ी है।
पिछले हफ्ते शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रिजर्व बैंक के दर-निर्धारण पैनल ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए सीआरआर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। सीआरआर उस राशि को कहते जिसे बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास जमा करना होता है और वे इससे कोई ब्याज नहीं कमाते हैं।