नई दिल्ली: हाल ही में पेश किए गए नए आयकर विधेयक में पुराने 1961 के आयकर अधिनियम की भाषा और संरचना को सुव्यवस्थित करने पर जोर दिया गया है। हालांकि, इसमें कर दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।

बजट में पहले ही करदाताओं को कई राहतें दी जा चुकी थीं, इसलिए नए विधेयक से कर दरों में चमत्कारी बदलाव की उम्मीद नहीं की जा रही थी। फिर भी, वित्त मंत्री द्वारा जुलाई बजट में घोषित आयकर अधिनियम की समीक्षा से कर सुधारों की उम्मीदें बनी हुई थीं।

पुराने और नए आयकर विधेयक में मुख्य अंतर

नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य आयकर अधिनियम को अधिक स्पष्ट, संक्षिप्त और समझने में आसान बनाना है। और इसे हासिल करने के लिए निम्नलिखित तीन प्रमुख बदलाव किए गए हैं:

भाषा को सरल और संक्षिप्त बनाया गया: विधेयक में कानूनी जटिलताओं को हटाकर वाक्यों की लंबाई कम की गई है और जहां संभव हो, जानकारी को सारणीबद्ध किया गया है। इस प्रयास के तहत अधिनियम के कुल शब्दों की संख्या 5.1 लाख से घटाकर 2.6 लाख कर दी गई है।

पुरानी और अप्रासंगिक धाराओं को हटाया गया: बदलते व्यावसायिक माहौल और कर कानूनों के कारण अप्रचलित हो चुकी धाराओं, जैसे विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), फ्रिंज बेनेफिट टैक्स, संपत्ति कर आदि से संबंधित कानूनों को हटा दिया गया है।

शब्दजाल और अतिरिक्त प्रावधानों को हटाया गया: वर्षों से विभिन्न अदालती फैसलों और कानूनी कमियों को दूर करने के लिए अधिनियम में कई उपबंध जोड़े गए थे, जिससे इसकी पठनीयता प्रभावित हो रही थी। नए विधेयक में 1200 उपबंध और 900 स्पष्टीकरणों को हटाकर उन्हें आवश्यकतानुसार मुख्य प्रावधानों में सम्मिलित किया गया है। इससे अधिनियम के कुल अध्यायों की संख्या 47 से घटकर 23 और धाराओं की संख्या 819 से घटकर 536 रह गई है।

इसके अतिरिक्त, नए विधेयक में 'आकलन वर्ष' और 'पिछला वर्ष' की जगह 'कर वर्ष' की अवधारणा को शामिल किया गया है। इसके तहत कई धाराओं को नए क्रम में पुनर्गठित किया गया है, जिससे 80C और 80CCD जैसी धाराएं अब अप्रासंगिक हो गई हैं।

ये बदलाव कैसे तय किए गए?

आयकर विभाग ने इस विधेयक के लिए ऑनलाइन सुझाव आमंत्रित किए थे। इसके लिए 20,900 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए। इसके अलावा, उद्योग जगत, कर दाताओं, कर पेशेवरों और विभागीय अधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित की गईं। 150 कर अधिकारियों की एक समिति ने पुराने अधिनियम को अध्याय-दर-अध्याय पुनर्लेखित किया, जिसे बाद में कानून मंत्रालय द्वारा समीक्षा के बाद अंतिम रूप दिया गया।

कर दरों या नियमों में कोई बदलाव या अनुपालन (compliance) में कोई राहत?

नहीं, नए विधेयक में कर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, कुछ नियमों में संशोधन किए गए हैं, जैसे कि निवास स्थिति से संबंधित नियमों में परिवर्तन, आय समेकन (क्लबिंग) के प्रावधानों में संशोधन, विदेश यात्रा और पुनर्मूल्यांकन आदि से जुड़े कर दाखिले के विशेष मामलों में नए नियम लागू होंगे।

अनुपालन में भी व्यापक रूप से कोई राहत प्रदान नहीं की गई है। बल्कि, नए विधेयक में डिजिटल आय और वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, कर अधिकारियों को जानकारी मांगने, छानबीन और जब्ती कार्रवाई करने तथा दंड लगाने की अधिक शक्ति दी गई है, जिससे अनुपालन आवश्यकताएं बढ़ सकती हैं।

क्या कर रिटर्न दाखिले की प्रक्रिया में बदलाव होगा?

चूंकि पुराने आयकर अधिनियम को पूरी तरह पुनर्गठित किया गया है और उसकी धाराओं और उपधाराओं का नया क्रम निर्धारित किया गया है, इसलिए सभी रिटर्न दाखिले फॉर्म को नए सिरे से तैयार करना होगा। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि नया अधिनियम 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा, जिससे करदाताओं को तत्काल कोई बदलाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।