नई दिल्लीः भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने फैंटसी गेम कंपनियों और वर्चुअल ट्रेडिंग प्लेटफार्मों पर लगाम लगाने का फैसला किया है। सेबी ने यह कदम वास्तविक समय के मूल्य डेटा और शेयर कीमतों को तीसरे पक्षों के साथ साझा करने से रोकने को लेकर उठाया है। पिछले दिनों इसको लेकर सेबी ने एक परिपत्र जारी किया।
एक परिपत्र में, नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग निगमों, डिपॉजिटरी और स्टॉक ब्रोकर्स को निर्देश दिया है कि वे वास्तविक समय के मूल्य डेटा को तीसरे पक्ष के साथ साझा न करें। सेबी के परिपत्र में कहा गया है कि, “बाजार मध्यस्थों को उन संस्थाओं के साथ उचित समझौतों में करना चाहिए जिनके साथ वे वास्तविक समय के शेयर मूल्य डेटा को साझा करने का इरादा रखते हैं। इस तरह के समझौते में उन गतिविधियों को शामिल किया जाएगा जिनके लिए वास्तविक समय मूल्य डेटा का उपयोग इकाई द्वारा किया जाएगा। परिपत्र में कहा गया है कि यह प्रतिबंध एक महीने के बाद लागू होगा।
सेबी ने क्यों लिया ये फैसला?
दरअसल ये वर्चुअल ट्रेडिंग ऐप्स NSE और BSE जैसे विनियमित स्टॉक एक्सचेंजों से वास्तविक समय का डेटा प्राप्त करते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो ये प्लेटफॉर्म को वास्तविक जैसा बनाने के लिए अधिकृत विक्रेताओं से शेयर कीमतों, खरीद और बिक्री कोटेशन आदि जैसा डेटा खरीदते हैं। लेकिन सेबी को यह तरीका रास नहीं आता। उनका मानना है कि शेयर बाजार को जुआ बनाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज के डेटा फीड का उपयोग करना दुरुपयोग के समान है और इससे निवेशकों का हित भी प्रभावित हो सकता है। इसीलिए सेबी ने इन प्लेटफॉर्मों के काम में रुकावट डाल दी है। कुछ दिनों पहले, इसने एक परिपत्र जारी किया जिसमें स्टॉक गेमिंग प्लेटफॉर्म जैसे तीसरे पक्ष को इस तरह के डेटा तक पहुंचने से रोक दिया गया है।
हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि सेबी ने यह फैसला अचानक नहीं लिया है। दरअसल, वे काफी समय से इन प्लेटफॉर्मों पर नजर रख रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर वास्तविक समय के शेयर मूल्य आंकड़ों का उपयोग करके सट्टेबाजी, लीग और लेन-देन के बढ़ते चलन के बीच आया है।
फैंटसी गेम कंपनियों और वर्चुअल ट्रेडिंग प्लेटफार्मों पर कार्रवाई की क्या है वजह?
वास्तव में, 2016 में सेबी ऐसे प्लेटफार्मों को हमेशा के लिए बंद करने पर भी विचार कर रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय सैमको सिक्योरिटीज के इंडिया ट्रेडिंग लीग जैसे मशहूर हस्तियों द्वारा समर्थित फैंटसी स्टॉक गेम्स का चलन था। जिन्हें पूर्व भारतीय क्रिकेटर कपिल देव प्रमोट करते थे या फिर राज कुंद्रा समर्थित स्टॉक रेस। राज कुंद्रा उन दिनों आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) की राजस्थान रॉयल्स क्रिकेट टीम के पूर्व सह-मालिक थे। लेकिन सेबी का वह प्रस्ताव असफल हो गया था। और सेबी ने सिर्फ निवेशकों को सचेत करने का फैसला किया कि वे ऐसे शेयर बाजार के खेलों को स्वीकृति नहीं देती है।
सेबी को वर्चुअल ट्रेडिंग के लिए बाजार डेटा का उपयोग करने वाले प्लेटफार्मों से कोई समस्या नहीं है। असली मुद्दा असल धन का शामिल होना है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये वर्चुअल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जो अपने यूजर्स को वर्चुअल ट्रेडिंग गेम खेलने के लिए शुल्क लेते हैं। सस्ते या कम लागत वाले मार्केट डेटा का फायदा उठाकर अपना खुद का बिजनेस मॉडल खड़ा कर रहे हैं। इससे यूजर्स को नुकसान हो सकता है। क्योंकि ये गेम यूजर्स की बढ़ती दिलचस्पी से पैसा कमाते है। लेकिन सेबी उन्हें नियंत्रित नहीं करता है। इसलिए, उनके पास यूजर्स को यह औपचारिक रूप से बताने की कोई बाध्यता नहीं होती है कि असली पैसे से जुड़े वर्चुअल ट्रेडिंग में कितना जोखिम है। ऐसे में जब उनके साथ फ्रॉड होता है तो सेबी उनकी किसी भी तरह की मदद या मुआवजा नहीं कर पाता है। यही कारण है कि सेबी इन प्लेटफॉर्मों को शेयर बाजारों से वास्तविक समय का डेटा प्राप्त करने से प्रतिबंधित करना चाहता है।