क्या है 5 साल पुराना भारतपे और फोनपे ट्रेडमार्क विवाद जिस पर दोनों कंपनियों ने सहमति से की सुलह?

इस विवाद के सुलझने के बाद दिल्ली और बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहे केसों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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What is 5 year old BharatPe and PhonePe trademark pe dispute on which both the companies agreed to settle

फोनपे और भारतपे (फाइल फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत के दो बड़े फिनटेक कंपनियां भारतपे (BharatPe) और फोनपे (PhonePe) के बीच पिछले कुछ सालों से चल रहे ट्रेडमार्क विवाद सुलझ गया है। दोनों कंपनियों ने आपसी सहमति से इस पर फैसला लिया है और इस विवाद को खत्म कर दिया है।

इन कंपनियों के बीच 'पे' शब्द के इस्तेमाल को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही थी। ऐसे में अब जब सुलह हो गया तो ये अपने केस वापस ले लेंगी। यही नहीं कंपनियों ने कहा है कि वे इस विवाद को खत्म कर अपने कारोबार पर ध्यान देंगी।

विवाद के सुलझ जाने के बाद दोनों कंपनियों के बड़े अधिकारियों का एक बयान भी आया है। बयान के जरिए उन लोगों ने खुशी जाहिर की है और एक दूसरे का धन्यवाद किया है। मामले को लेकर जहां फोनपे हाई कोर्ट गया था वहीं भारतपे ने सुप्रीम कोर्ट का रूख भी किया था।

पांच साल से चल रहा विवाद सुलझा

26 मई को भारतपे और फोनपे ने घोषणा की है कि उन लोगों ने पांच साल से चल रहे विवाद को खत्म कर दिया है। इस विवाद को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में कई केस चल रहे हैं। ऐसे में इस समझौता के बाद इन केसों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों कंपनियां इस बात पर तैयार हो गए हैं कि वे एक दूसरे के खिलाफ ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में किए गए सभी केसों को वापस ले लेंगी। इससे उनके बीच का विवाद खत्म हो जाएगा और वे अपने संबंधित चिह्नों के पंजीकरण करने में कामयाब रहेंगी।

क्या है यह विवाद

साल 2018 में फोनपे ने भारतपे को एक नोटिस जारी किया था। नोटिस में फोनपे ने भारतपे को कहा था कि वह ट्रेडमार्क 'पे' का देवनागरी में यूज करना बंद कर दे। तब भारतपे ने फोनपे की बात मान ली थी और देवनागरी में 'पे' का इस्तेमाल बंद कर दिया था। इसके बाद भारतपे ने अपनी सभी सेवाओं के लिए 'भारतपे'का यूज करना शुरू कर दिया था।

साल 2019 में फोनपे ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में कंपनी ने भारतपे पर रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क के उलंघन का आरोप लगाया था। कंपनी ने कहा था 'भारतपे' ने फोनपे के रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क को इस्तेमाल किया है।

इन आरोपों के बाद अक्टूबर 2021 में भारतपे की पैरेंट कंपनी रिजिलयंट इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में छह याचिकाएं दायर की थी।

याचिकाओं मे भारतपे ने देवनागरी में 'पे' लोगो के इस्तेमाल के रजिस्ट्रेशन कैंसल करने की मांग की थी। यही नहीं साल 2021 में फोनपे ने भारतपे के खिलाफ कमर्शियल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी सूट भी दायर किया था। ऐसे में इस विवाद को लेकर अब दोनों कंपनियों ने आपस में सुलह कर ली है और सभी विवादों को सुलझा लिया है।

दोनों कंपनियों ने क्या कहा

लंबे समय से चल रहे विवाद के सुलझ जाने पर भारतपे के बोर्ड अध्यक्ष रजनीश कुमार और फोनपे के संस्थापक और सीईओ समीर निगम ने बयान जारी किया। रजनीश कुमार ने कहा कि यह इंडस्ट्री के लिए एक सकारात्मक विकास है।

रजनीश कुमार ने दोनों कंपनियों के प्रबंधनों की सराहना करते हुए कहा है कि जिस तरीके इस विवाद को सुलझाने में परिपक्वता दिखाई गई है, इससे हम भविष्य में नई ऊर्जा के जरिए अन्य जरूरी मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करेंगे।

सीईओ समीर निगम ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है। उन्होंने भी भारतपे के बोर्ड अध्यक्ष रजनीश कुमार और उनकी टीम का शुक्रिया अदा किया है।

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